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#PERIOD PAATH:NO SHAME IN MENSTRUATING (hindi)

जिलाधिकारी,
जिला कानपुर
सेवा में,
सविनय निवेदन है की मैं नंदनी गुप्ता सिविल लाइंस कानपुर महानगर की निवासिनी हूँ।
माननीय महोदय, आज मैं आपकी दृष्टि एक ऐसी परिस्तिथि, एक ऐसी विडंबना की ओर ले जाना चाहूँगी जो कहने को तो विश्व की आधी आबादी की जिंदगी का एक अभूतपूर्व अंग है पर शायद ही हम कभी उससे जुड़ी परेशानियों पर कोई चर्चा करते है। मैं बात कर रही हूँ मासिक धर्म और उससे जुड़ी समस्यायों की।
भारत में ज्यादतर बालिकाओं को मासिक धर्म के बारे में कोई भी जानकारी तब तक नहीं होती जब तक उन्हे पहली बार इसका सामना न करना पड़ जाए। ऐसे में कई बार तो बालिकायों को विद्यालय एवं कोचिंग संस्थानों यहाँ तक कि कॉलेजों तक में पूरे पूरे दिन संकोच की स्थिति में बिता देने पड़ते है। ऐसे संस्थानों में न तो कोई ऐसा स्थान होता है जहाँ वह अक्समात् आई इस परिस्थि के बारे में किसी से बात कर सके और न ही सैनिटरी नैप्किंस मुहैय्या करवाने की कोई सुविधा। उधारण स्वरूप कानपुर के ही रेलवे स्टेशन, बस एवं हवाई अड्डे जैसे सार्वजनिक स्थल पर जहाँ कई बार तो घंटो बिताने पड़ जाते हैं महिलाओं की सहायता का कोई केंद्र मौजूद नहीं है।
अब मैं आपका ध्यान मासिक धर्म से जुड़ी स्वास्थ संबंधी मुश्क़िलो की ओर ले जाना चाहूँगी। भारत में आज भी कई महिलाएँ महावरि के दौरान कपड़े का प्रयोग करती हैं और ये अवश्य ही स्वास्थ के लिए अत्यंत हानिकारक है। आमतौर पर कपड़े की जगह सैनिटरी नाप्किंस को एक सस्ता एवं क्षतिशून्य विकल्प माना जाता है।ये बड़े गर्व की बात है की अकेले कानपुर में ही अनेक ऐसी संस्थाएँ हैं जो पैड के उपयोग के बारे में जागरूकता को लेकर ढेरों कदम उठा रहीं हैं पर इस सच्चाई को भी अंदेखा नहीं किया जा सकता की सैनिटरी नप्किंस के सही निराकरण को लेकर आज भी कोई पहल नहीं की जाती है। महावरि को लेकर समाज में विकृत मानसिकता होने के कारण एवं पैड के उचित निराकरण की सुविधा न होने के कारण, बहुत सी महिलाएँ मेंस्ट्रुअल वेस्ट सड़क पर ही फेंक देती हैं। महोदय, कानपुर महानगर की लगभग आधी आबादी का आवास गलियों और मौहल्लों में है और ऐसी जगहों में तो वेस्ट डिस्पोसल की व्यवस्था और भी सुस्त है।यहाँ तक की सार्वजनिक महिला शौचालय में मात्र कूड़ादान न होने के कारण सैनिटरी पैड यहाँ वहाँ बिखरे पड़े रहते हैं। ये न सिर्फ प्रदूषण में सहयोग देते हैं अपितु अन्य महिलाओं में संक्रमण के कारण भी बन सकते हैं।
अंततः मैं अपनी वाणी को विराम देते हुए यही आशा करती हूँ कि महिलाओं के स्वस्थ भविष्य की ओर अवश्य ही सख्त कदम उठाये जायेंगे।
सधन्यवाद,
भवदिया,
नंदनी गुप्ता,
सिविल लाइंस,
कानपुर

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