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#PeriodPaath: “सुरक्षित महावारी स्वच्छ पर्यावरण”

सेवा में,

श्रीमती ऊषा चौधरी,
माननीय महापौर,
काशीपुर (ऊधम सिंह नगर),
उत्तराखण्ड,
244713

26/1/2020

विषय: शहर में महावारी से संबंधित समस्याएँ।

महोदया,

सविनय मैं आपको यह पत्र शहर में महावारी से संबंधित परेशानियों की ओर आपका ध्यान केंद्रित करने के लिए लिख रही हूँ। क्योंकि हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 को सफल बनाने के लिए भी आप सक्रिय हैं।

काशीपुर एक छोटा शहर है इसलिए यहाँ पर कोई भी आमूल-चूल दोष आसानी से दृष्टिगत हो जाता है। सोचनीय यह है कि काशीपुर के अधिकतर प्लॉट और सड़कों पर जगह -जगह कूड़े का ढेर देखने को मिल जाता है। ये कूड़े के ढेर इतने प्रयासों के बाद भी अभी तक ज्यों के त्यों बने हुए हैं। जिनमें सैनेट्री पैड्स का कूड़ा भी शामिल होता है जो कि जैव अपघटीय (बायोडिग्रेडेबल) नहीं होते हैं। एक शोध के अनुसार यह तथ्य सामने आया था कि प्रत्येक वर्ष 1 लाख 8 हजार टन कूड़ा सैनेटरी पैड्स के कारण होता है।बहरहाल, काशीपुर में आधी से ज्यादा जनसंख्या को शायद सैनेटरी पैड्स के अन्य विकल्पों के बारे में पता भी नहीं है। साथ ही महिलाएँ एवं युवतियाँ पैड्स इस्तेमाल करने के बाद उन्हे प्लास्टिक की पिन्नी में बाँधकर फेंकती हैं। जो स्वयं अजैविक हैं।

वहीं सैनेटरी पैड्स के कारण होने वाला फंगल इंफैक्शन भी जैसे आम बात बन चुका है। लेकिन यह उतनी आसानी से ठीक नहीं होता। वो भी तब जब निजी अंग पर हो। ये न सिर्फ सैनेटरी पैड्स बल्कि अस्वच्छ शौचालयों के कारण भी होता है। शहर में अस्वच्छ शौचालयों की समस्या न सिर्फ पब्लिक टॉयलेट्स में है बल्कि विद्यालयों और कॉलेजों में भी यही हाल है। जिसके कारण महिलाएँ एवं युवतियाँ पेशाब रोकने की कोशिश करती हैं या महावारी के समय शौचालयों का इस्तेमाल करने पर विवश होती हैं। फलस्वरूप दोनों ही सूरतों में UTI से संबंधित रोग होने की संभावना रहती है। जो जानलेवा भी हो सकती है। यह बीमारी अधिकांशत: महिलाओं को ही होती है।

रजोधर्म से संबंधित इन समस्याओं का समाधान करने के लिए कई पहलुओं की ओर कार्यरत हुआ जा सकता है:

1. महिलाओं को सैनेटरी पैड्स के विकल्पों के विषय में अवगत करना, जो लंबी अवधि के लिए उपयोग में लाए जा सकें एवं जैविक हों। यह कार्य विज्ञापनों एवं नुक्कड़ नाटकों द्वारा किया जा सकता है।

2. पब्लिक टॉयलेट्स में स्वच्छता का उचित रख-रखाव एवं महिलाओं के लिए शौचालयों का निर्माण करना।

3. पब्लिक टॉयलेट्स में कूड़ेदान और टॉयलेट पेपर का प्रबंध भी होना चाहिए। ये न सिर्फ महिलाओं बल्कि पुरुषों एवं ट्रांसजेंडरों के लिए भी आवश्यक है।

4. वहीं ट्रांसजेंडरों की महावारी से संबंधित समस्याओं को समझते हुए भी उनके लिए तृतीय लिंग के अनुसार सुलभ शौचालयों के निर्माण की पहल आवश्यक है।

5. महावारी से संबंधित बीमारियों के बारे में जागरूक करने के लिए शहर में अभियान चलाया जाना चाहिए।

अत: मेरा आपसे नम्र निवेदन है कि कृपया आप इन पक्षों को आत्मसात करते हुए “सुरक्षित महावारी स्वच्छ पर्यावरण” को एक मुहिम के रूप में सार्थक बनाएँ।

धन्यवाद।

अभिलाषी                                                          आरती राजपूत                                                चामुण्डा विहार।

 

 

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