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“पहले अंग्रेज़ों ने इस देश को तोड़ा और अब बाकी छूटा काम यह सरकार कर रही है”

जब अंग्रेज़ हिंदुस्तान आए तब हिंदुस्तान की आवाम इस बात से बिलकुल बेखबर थी कि अंग्रेज़ आने वाले वक्त में हिंदुस्तानियों पर किस तरह से जु़ल्म और हिंसा करेंगे। लेकिन धीरे-धीरे जब जु़ल्म और हिंसा हद से बढ़ने लगी और अंग्रेज़ों की नीतियों ने हिंदुस्तानियों का उन्हीं के देश में रहना मुश्किल कर दिया। तब हिंदुस्तानियों ने महसूस किया कि यदि इसी तरह से अंग्रेज़ हुकूमत करते रहे तो एक दिन ऐसा आएगा जब हमें हमारे ही मुल्क में बेगाना बना दिया जाएगा।

वही वक्त था जब जुल्म से लड़ने के लिए हिंदुस्तान के सभी लोग एकजुट हो गए। लेकिन यह सब समझने में हमें लगभग 347 साल लग गये। तब तक सोने की चिड़िया कहलाने वाला हिंदुस्तान बिल्कुल खाली हो गया था। परन्तु आखिर में विजय हिन्दुस्तानियों के संघर्ष की ही हुई और हिंदुस्तान की आवाम के डर से अंग्रेज़ों को हिंदुस्तान छोड़ना ही पड़ा।

हिंदुस्तान से अंग्रेज़ तो चले गये लेकिन जाते-जाते वे अपनी सोच, अपनी चालें और रणनीतियां कुछ लोगों को विरासत में दे गए जिसका प्रयोग मौजूदा वक्त के सत्ताधारी कर रहे हैं।

विरोध प्रदर्शन करते लोग

फूट डालो शासन करो

इस नीति का प्रयोग अंग्रेज़ों ने हिंदुस्तान के भाईचारे में विघ्न डालने के लिए किया। इसी के ज़रिए अंग्रेज़ों ने हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई के नाम पर हिंदुस्तान में फूट डालने की कोशिश की और आज भी कुछ सत्ताधारी इसका प्रयोग करते नज़र आ रहे हैं।

वे धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का प्रयास कर रहे हैं। कभी मंदिर के नाम पर, कभी मस्जिद के नाम पर, कभी गाय के नाम पर, तो कभी रंगो के नाम पर और इसी तरह के बहुत सारे तरीकों से अंग्रेज़ों की इस नीति का प्रयोग करके वे हिंदुस्तान में नफरत और हिंसा फैलाना चाह रहे हैं।

राज्य हड़पने की नीति

डलहौजी की राज्य हड़पने की नीति से तो आप बखूबी वाकिफ होंगे। इसके ज़रिए डलहौजी ने बहुत से लोगों को उनके ही घरों से बेदखल कर दिया था। जी हां, आप लोग सही सोच रहे हैं। यह वही नीति है जिसका प्रयोग डलहौजी की ही तरह आज के राजनेता एनआरसी/सीएए के नाम पर कर रहें हैं जिसके ज़रिये ये लोगों की ज़मीन, उनका नाम, उनका अस्तित्व हड़पने की कोशिश कर रहे हैं।

कहा जाता है कि इतिहास हमेशा खुद को दोहराता है। मौजूदा वक्त के हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि सत्ताधारी, अंग्रेज़ों की हिंसा और उनकी रणनीतियों को दोबारा दोहराना चाहते हैं। लेकिन वे शायद भूल गए कि इतिहास अपने दोनों ही पहलुओं को दोहराएगा और मौजूदा वक्त में यही हो रहा है। जहां सत्ताधारी, अंग्रेज़ों की नीतियां अपनाकर देश को खोखला करने पर आमादा हो रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर हिंदुस्तानी आवाम एकजुट होकर धर्मवाद, जातिवाद, ऊंच-नीच और सभी तरह के भेदभाव भुलाकर आज़ादी के क्रांतिकारियों की तरह उन सत्ताधारियों से मुल्क को बचाने के लिए एक दूसरे का हाथ पकड़ कर आगे बढ़ रहे हैं और बताना चाह रहे हैं कि असली हिंदुस्तान कैसा है।

राम-रहीम की धरती है ये, यहाँ आरती और अज़ान।
आपस में सब मिलकर रहे, सबका करते सम्मान।

हमारे देश के सत्ताधारी इस बात को जितनी जल्दी समझ जाएंगे उतना अच्छा है। क्योकिं हिन्दुस्तानियों के जज़्बे को देखते हुए कहा जा सकता है कि वह दिन दूर नहीं जब हमें सत्ताधारियों के इन सारे हथकंडों से छुटकारा मिलेगा।

आज हिंदुस्तान की एक बड़ी तादाद भेदभाव मिटाकर अपने देश को एकजुट करने में लगी हुई है। आज अनेकता में एकता को साबित करते हुए हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी आपस में एक दूसरे का साथ देते हुए कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

मैं हिंदुस्तान की आवाम को सलाम करती हूं, जिन्होंने हिंदुस्तान के लुटेरों के मुंह पर ज़ोरदार तमाचा लगाया। वे लुटेरे जो फूट डालो शासन करो की नीति के तहत देश चलाना चाहते हैं, लेकिन आज इस प्रेम और एकता की भावना ने उनकी नीतियों को असफल कर दिया है।

इसी भावना को देखते हुए कहा जा सकता है की वो दिन दूर नहीं जब हम अपने ही मुल्क में चैन की सांस ले सकेंगे।

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