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“सवाल खड़े करना सामाजिक बदलाव के लिए बेहद ज़रूरी है”

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

जहां जिज्ञासा है, वहां सवाल है। जहां सवाल है, वहां भक्ति अथवा अंधश्रद्धा नहीं है, बल्कि ज्ञान और अनुभव की शुरुआत है। जहां ज्ञान और अनुभव है, वहां बदलाव और नई दुनिया बनाने की कवायद है।

तब आप वही बने नहीं रहते, जैसा समाज आपसे अपेक्षा करता है, बल्कि आप अपनी सोच और कर्म में स्वतंत्र हो सकते हैं। इससे आपमें धीरे-धीरे सोचने-समझने की क्षमता बढ़ती है और आपमें तर्कशीलता का विकास होता है।

साथ ही साथ आपमें सही और गलत को समझने की दृष्टि आती जाती है। हर बात सही है या गलत, उसे जानने और मानने के लिए आपको किसी मुल्ला, पादरी या पंडा के सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं होती है। आप सामाजिक परम्पराओं और प्रचलित मान्यताओं को उचित और अनुचित की निगाह से देखने लगते हैं तथा इसका पैमाना होता है, इंसानियत।

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

जो परम्पराएं मनुष्यों, जीवों और पृथ्वी के लिए अच्छी हैं, वे नैतिक हैं; जो अच्छी नहीं हैं, वे अनैतिक। यह समझदारी आने में हालांकि कुछ समय लग सकता है मगर जिज्ञासा और सवाल हो तथा मानवीय दृष्टि हो, तो आती ज़रूर है।

दूसरी तरफ आपमें, आपके कार्यों में और आपके जीवन के उद्देश्यों में प्रगतिशीलता आती है। आप सिर्फ अपने रोजी-रोज़गार तक ही सीमित नहीं रहते, बल्कि धीरे-धीरे समाज में व्याप्त कुरीतियों को चुनौती देने लगते हैं।

भेदभाव, शोषण और गैरबराबरी पर सवाल करने लगते हैं। आपका कार्य रोजी-रोटी के लिए आपको वकील बना सकता है, अथवा व्यापारी, शिक्षक, कृषक, डॉक्टर, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, राजनेता या कुछ और लेकिन आपकी प्राथमिकता में आम लोग केन्द्रित हो जाते हैं।

आम लोगों के लिए जीने के लिए, उनकी तरफ से उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने के लिए हो सकता है, कुछ त्याग भी करने पड़ें। शायद आपको अपनी विलासितापूर्ण जीवन छोड़ना पड़े। अपनी धन और पद पाने की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को हो सकता है, तिलान्जलि देनी पड़े फिर भी आपको कुछ अच्छा करने का सुकून होता है।

खुद में और दुनिया में सकारात्मक बदलाव के वाहक बनने की महसुसियत होती है। आपको तब ऐसा लग सकता है कि आपके प्रयासों से थोडा ही सही, दुनिया बेहतर ज़रूर हुई है।

आपने अपना जीवन सिर्फ आपके लिए खर्च नहीं किया, बल्कि अन्य ज़रूरतमंदों के लिए, मानवता और पृथ्वी के अन्य जीवों के लिए भी इसका प्रयोग किया है। इस तरह से आपमें आये बदलाव, सामाजिक बदलाव का वाहक बन जाता है।

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