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“मानव श्रृंखला में बच्चों को ज़बरदस्ती घंटों लाइन में खड़े रखना कौन से गर्व की बात है?”

reality behind the human chain in bihar

बिहार में 2016 में शराबबंदी की घोषणा की गई, उसके बाद 21 जनवरी 2017 को मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया। उसका मुख्य उद्देश्य था बिहार को पूरी तरह से नशामुक्त बनाना।

विडंबना देखिए ठीक उसी दिन शाम में ऑटो से घर जाते समय मेरे बगल में बैठे नशे में धुत एक व्यक्ति ने मेरे साथ अश्लील हरकत की। जिस दिन ‘शराबबंदी कानून’ की सफलता का जश्न मनाया जा रहा था, उसी वक्त धड़ल्ले से शराब की बिक्री भी हो रही थी। आज भी राज्य में शराब बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। फर्क बस इतना पड़ा है कि ये अब इतनी महंगी है कि गरीबों की पहुंच से दूर हो चुकी है।

बिहार में इस साल भी बनी मानव श्रृंखला

चलिए अब बात करते हैं आज के समय की, परसों यानि 19 जनवरी को बिहारवासियों ने एक बार फिर मानव श्रृंखला बनाकर इतिहास रच डाला। इसमें जल-जीवन-हरियाली, शराबबंदी, नशामुक्ति, बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसे मुद्दों को शामिल किया गया। बिहार और बिहारवासियों के लिए यह दिन बड़ा ही गौरवान्वित करने वाला था।

बिहार में बनी मानव श्रृंखला।

कहा तो यह भी जा रहा है कि शायद यह मानव श्रृंखला ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में अपनी जगह बना ले। ये सब देखने में कितना मनभावन लगता है पर इसके पीछे की सच्चाई क्या है?

नीतीश कुमार की जल-जीवन-हरियाली की बातें झूठी

नीतीश जी एक तरफ तो आप पेड़ लगाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ कितने ही पेड़ आपकी ही ‘स्मार्ट सिटी’ के सपने की बलि चढ़ गएं।जिस गाँधी मैदान में आपने यह सफल आयोजन किया, वहां ना घास नज़र आती है और ना ही सही तरीके से पेड़।

पटना को मुंबई बनाने की होड़ में आपने मरीन ड्राइव तो बना दिया पर जिस गंगा के मनोरम दृश्य को देखने के लिए आपने इतना पैसा लगाया, इतनी मेहनत की, वह गंगा आज कहाँ है?

बिहार में बनी मानव श्रृंखला।

पटना जलजमाव के समय गायब हेलिकॉप्टर अब कहां से आ गएं?

अभी कुछ महीने पहले जब पूरा पटना जलमग्न था, तब आपको एक हेलिकॉप्टर देने में कितने दिन लग गएं लेकिन आपकी मानव श्रृंखला को सफल बनाने के लिए आपके पास हेलिकाप्टर भी है, 100 ड्रोन भी है, पुलिस फोर्स भी है।

तीन साल से लगातार बन रहीं इन मानव श्रृंखलाओं के बारे में जब मैंने लोगों से बात करने की कोशिश की, तो लोग खुलकर बात करने से कतराते रहें पर फिर भी मुझे मेरे कुछ सवालों के जवाब मिल ही गए हैं और जो बातें मेरे सामने आई हैं, उसे आपको भी जानना और पढ़ना चाहिए-

  1. वॉलेन्टियर्स को यह भी ध्यान रखना था कि मीडिया के सामने अच्छी बात बोली जाए, कोई भी सरकार के खिलाफ कुछ नहीं बोले।
  2. कितने ही लोगों को पैसे देकर लाया गया था।
  3. एक तरफ तो अखबार में यह खबर आई कि किसी पर भी इस कार्यक्रम में आने के लिए दबाव नहीं डाला जाएगा और दूसरी तरफ यह फरमान जारी किया गया कि अगर लोगों की संख्या कम रही या बच्चे कम आएं, तो संबंधित अधिकारियों और शिक्षकों पर कार्रवाई होगी।
  4. खुद की वाहवाही लूटने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को इतनी ठंड में घंटों लाइन में खड़ा कर दिया गया, वह भी रविवार के दिन, जब सब छुट्टी का आनंद लेते हैं।
  5. कई शिक्षक और स्टूडेंट्स काफी दूर-दूर से पैदल चलकर मानव श्रृंखला में शामिल होने आए थे।

अब ऐसी परिस्थितियों में बनाई गई मानव श्रृंखला मुझे गौरवान्वित नहीं करती बल्कि शर्मशार करती है।

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