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SBI अपने ग्राहकों से NPR लेटर क्यों मांग रहा है?

SBI द्वारा जारी NPR की चेक लिस्ट

SBI द्वारा जारी NPR की चेक लिस्ट

देश के अलग-अलग हिस्सों में NRC और CAA के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच सोशल मीडिया पर एक KYC फॉर्म वायरल हो रही है, जो SBI बैंक की है। इस फॉर्म में खास बात यह है कि तमाम दस्तावेज़ों के साथ NPR के लिए भी एक चेक बॉक्स है।

गौरतलब है कि SBI ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट के ज़रिये भी यह जानकारी दी है, जिससे खबर की प्रमाणिकता की पुष्टि होती है। बताया जा रहा है कि एक ग्राहक ने बैंक से इस बारे में जवाब मांगा था, तो बैंक ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दे दी।

SBI बैंक द्वारा जारी KYC फॉर्म की कॉपी में NPR का ज़िक्र।

उक्त केवाईसी फॉर्म को ज़रा गौर से देख लीजिए। यदि नहीं देखेंगे, तो हो सकता है बाद में आपको पछताना पड़े। दोस्तों, बहुत दिनों बाद किसी गंभीर मुद्दे पर लिख रहा हूं। अब तक कुछ अपरिहार्य कारणों (जिसमें परीक्षा आदि भी शामिल हैं) से लिख-पढ़ पाने में असमर्थ था।

बीती शाम जब यह केवाईसी फॉर्म सामने से गुज़रा, तो लगा कि अब इस पर ज़रूर कुछ लिखना चाहिए। जैसा कि आपको विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, न्यूज़ चैनलों, इंटरनेट एवं सोशल मीडिया आदि माध्यमों से पता ही है कि बीते दिनों देश के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में एक विधेयक रखा गया।

वह विधेयक अब लोकसभा, राज्यसभा एवं माननीय राष्ट्रपति जी के हस्ताक्षर के बाद अधिनियम का रूप ले चुका है, जिसे बीते दिनों भारत सरकार के गज़ट में भी पब्लिश कर दिया गया है। जी हां, मैं “नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019” की बात कर रहा हूं।

क्या कहता है यह अधिनियम?

नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार- सोशल मीडिया

आइए संक्षिप्त में जान लेते हैं कि क्या कहता है यह अधिनियम? यह अधिनियम 31 दिसंबर, 2014 से पहले आए पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश के शरणार्थियों जिनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और यहां तक कि ईसाईयों को भी भारतीय नागरिकता प्रदान करने का अनुबंध किया गया है लेकिन इसमें मुस्लिम समुदाय का नाम नहीं जोड़ा गया है, जो एक बड़ा सवाल है।

हालांकि इस विवादास्पद बताए जाने वाले कानून को लेकर सिर्फ एक सवाल नहीं हैं, बल्कि अनगिनत सवाल लगातार उठाए जा रहे हैं। चलिए अब आते हैं मूल विषय पर। ज़रा आर्टिकल में एक बार फिर उक्त केवाईसी फॉर्म पर नज़र डालिए। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है कि बैंक केवाईसी फॉर्म भरवा रही है। इस तरह के फॉर्म बैंकों द्वारा समय-समय पर भरवाना और नागरिकों को परेशान करना आम बात रही है लेकिन यह फॉर्म कुछ और भी कहता है।

इस फॉर्म में खास बात यह है कि इसमें NPR का कॉलम भी शामिल है। NPR क्या है, अब यह भी जान लेते हैं। यह NRC का पहला चरण बताया जा रहा है और पिछले महीने भर से भी अधिक समय से देश के विभिन्न शहरों, महानगरों, विश्वविद्यालयों और यहां तक कि सुदूर गाँवों में भी NPR, NRC और CAA को लेकर विरोध हो रहे हैं।

इन विरोध प्रदर्शनों में खास बात यह है कि “हम कागज़ नहीं दिखाएंगे” जैसे गीत-गज़लों, शायरी, कविताओं, चुटकुलों आदि का प्रयोग मुखर रूप से दिख रहा है। मेरे हिसाब से SBI बैंक द्वारा जारी इस फॉर्म के दो संकेत हो सकते हैं।

इसलिए मेरा निवेदन भी है कि बैंक से पैसा निकालकर अचल संपत्ति (ज़मीन या सोने) में कन्वर्ट कर लीजिए। हो सकता है कि सरकार आपकी गाढ़ी कमाई पर आंख गड़ाए बैठी हो, क्योंकि नोटबंदी के बाद बीते दिन अभी ज़रूर याद होंगे।

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