राष्ट्रीय युवा दिवस को मैं इसलिये खास मानता हूं क्योंकि एक ओर जहां स्वामी विवेकानंद युवाओं की प्रेरणा हैं, वहीं डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भी। यही भारत की खूबसूरती है।
वर्ष 2020 का युवा दिवस खास होना चाहिए। खास इसलिये क्योंकि ज़रूरी है चर्चा करने की कि आज का युवा वर्ग कितना गंभीर है? आज स्वामी विवेकानंद के साथ-साथ डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की बात होनी चाहिए। स्वामी विवेकानंद, जिन्होंने अपने दशक में उस इतिहास को युवा वर्ग के लिये तैयार किया जिसकी ज़िम्मेदारी आगे वाली पीढी को बढ़ाने की थी, एक सकारात्मक ऊर्जा जिसने निराशा के दौर में ऊर्जा को एक सकारात्मक दिशा में मोड़ा था।
दो दौर लेकिन सीख एक
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि आदर्श और संस्कारित युवा देश का असली भविष्य है। फिर एक दौर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का भी है। डॉ कलाम जिन्होने देश में विज्ञान की निराशा को अपनी युवात्व की ऊर्जा से सकारात्मकता में बदला।
डॉ कलाम भी युवा को ही केन्द्र बिन्दु में रखते थे और देश का भविष्य मानते थे। मैंने शुरूआत में कहा कि 2020 का युवा दिवस की चर्चा क्यों चाहिए?
देश के राष्ट्रपति रहते हुए डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने विजन-2020 प्रस्तुत किया था। पांच बिन्दुओं वाले इस विज़न को पूरा करने का मुख्य दायित्व उन्होंने विद्यार्थियों और युवाओं पर ही तय किया था। पूरे विश्व में एक भारी युवा आबादी वाला देश भारत जिसके गाँव से लेकर शहर तक, गलियों से लेकर मुख्य सड़कों तक युवा और उसके सपने हैं।
उन्होंने तय किया था कि इस विज़न को वह विद्यार्थियों और युवाओं तक लेकर जाएंगे और उनको बताएंगें की असल में जो सपना उन्होंने देखा है, उसको 2020 तक तुम युवाओं को ही पूरा करना है? एक ऐसे भारत की कल्पना जहां शिक्षा, बुनियादी सुविधाएं, गाँव और शहरों के बीच पटती खाई, टेलीकम्यूनिकेशन, स्पेस, डिफेंस की दुनिया में भारत की ताकत लेकिन इसकी ज़िम्मेदारी कौन तय करेगा?
वे होंगे विद्यार्थी और युवा। देश का आईआईटी, एनआईटी, विश्वविद्यालय और यहां तक की प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रहा भविष्य इसकी दिशा तय करेगा। आज हम कहां तक पहुंचे इस पर बात ज़रूरी होनी चाहिए? लेकिन असल में युवा कितना गंभीर हुआ? इस पर चर्चा करने की ज़रूरत है।
युवाओं को संभालनी होगी बागडोर
स्वामी विवेकानंद के उस आदर्श और संस्कारित युवा की कल्पना के साथ अगर डॉ कलाम के आविष्कारित, सामर्थ्यवान और शिक्षित युवा को मिलाते हैं। तो असल में एक भारत बनता है, वे मज़बूत भारत जिसकी नींव इसके मज़बूत और सशक्त इतिहास में टिकी है। बुजु़र्गाें से हम अनुभव पाते हैं। वे हमें काम करना बता सकते हैं लेकिन असल में काम करने की रचनात्मकता, किसी भी क्षेत्र में वह युवाओं के दिमाग से निकलती हैं।
इण्डिया-2020 पुस्तक जो डॉ कलाम ने कभी लिखी थी अगर उसको पढ़ने का मौका मिले तो ज़रूरत है पढ़ने की कि असल में क्या हम उस दिशा से भटक गये है जिस पर हमारे आदर्शाें ने हमसे चलने को कहा था।
हिन्दू-मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी इन सबका अध्ययन कीजिए। फिर जो एक काॅमन बात निकले उस पर विचार कीजिए और अपने युवा होने पर बेशक गर्व कीजिये लेकिन तब अगर आप अपने युवाओं को सही जगह मोड़ रहे हैं तो।