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“शरजील इमाम, तुम इस देश में कन्हैया कुमार नहीं हो सकते”

आजकल शरजील इमाम चर्चा में हैं। भाजपा की प्रतीक पॉलिटिक्स ने उसे देशद्रोह का ताज़ा प्रतीक बना दिया है, जबकि यही भाजपा सरकार आतंकवादी सप्लाई करने वाले देवेंदर सिंह पर देशद्रोह की धारा नहीं लगाती और ना ही उसके आकाओं का कनेक्शन खंगालती है। वैसे सरकार, भाजपा और भाजपा के संबित जैसे प्रवक्ता वही कर रहे हैं, जो उन्हें करना चाहिए, जो उनकी राजनीति के अनुरूप है लेकिन हम क्या कर रहे हैं?

मुसलमानों की राजनीति को वर्षों से ठगा हुआ महसूस करता है शरजील

3 जनवरी को शाहीनबाग में सावित्रीबाई फुले जयंती मनाने के लिए हम शरजील से मिले थे। कोई आधे घंटे की मुलाकात थी। शरजील में हमने पाया कि वह मुसलमानों की राजनीति को वर्षों से, आज़ादी के दिनों से ठगा हुआ महसूस करता है। उसे कॉंग्रेस, गॉंधी, सीपीएम से लेकर आज के नेताओं और दलित नेताओं, जैसे बहन जी अथवा चन्द्रशेखर आदि से सवाल थे।

शरजील इमाम। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

वह चाहता था कि शाहीनबाग का प्रोटेस्ट भी राजनेताओं और आंदोलन को करियर की तरह लेने वालों से बचे। शरजील इमाम मुसलमानों की राजनीति को उसी तरह एक दिशा देना चाहता है, जैसा किसी भी अस्मितावादी आंदोलन के लोग देना चाहते हैं। यानी सम्बद्ध समूह द्वारा सम्बद्ध समूह की राजनीति।

शाहीन बाग के आंदोलन को खड़ा करने वालों में से एक था शरजील

बिहार के जहानाबाद के एक स्थानीय नेता का बेटा शरजील ईमाम यद्यपि एक अच्छा आंदोलन शाहीन बाग में खड़ा करने वाले शुरुआती लोगों में एक था लेकिन वह उतना टैक्टिकल नहीं था, जितना ऐसे आंदोलनों के निरंतर संचालन के लिए होना चाहिए। उसने और उसके साथियों ने जनता का मूड समझे बिना, सबको विश्वास में लिए बिना 3 जनवरी के पहले ही शाहीनबाग के प्रोटेस्ट को वापस लेने की घोषणा कर दी।

फिर क्या था उसके इस जल्दबाज़ी बयान के लिए उसे भाजपा और अमितशाह का एजेंट तक कहा गया, जो कि ऐसा था नहीं। शाहीनबाग के प्रोटेस्ट को हालांकि दूसरे लोगों ने संभाल लिया लेकिन शरजील की यह जल्दबाज़ी हम सबको अखरी लेकिन मुझे बुरा लग रहा था कि उसे शाह का एजेंट कहा जा रहा था, जबकि वह इस आंदोलन के प्रति ईमानदार था। कई बार आप अनायास ही अनपेक्षित खेमे में या तो धकेल दिए जाते हैं या समझे जाते हैं।

शाहीन बाग में प्रोटेस्ट में बैठी महिलाएं और बच्चे। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

 शरजील के वीडियो को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही है भाजपा

और अब! अब परसों से उसका वायरल वीडियो। वीडियो में कथित तौर पर वह आसाम से शेष भारत को काटने की बात कर रहा है। बस क्या था? शाहीनबाग जैसे आंदोलनों से व्यथित भाजपा को अपने अंदाज़ के डैमेज कंट्रोल का मौका मिल गया।

उस वीडियो को मैंने पूरा सुना। वह आसाम को कतई अलग करने की बात नहीं कर रहा है, अलग देश की बात नहीं कर रहा है। वह आसाम का संपर्क आंदोलनों के ज़रिए शेष भारत से काटने की बात कर रहा है।

उसकी अगली दो-तीन पंक्तियां यह सिद्ध कर देती हैं लेकिन भाजपा को तो जैसे संजीवनी मिल गई है। दाढ़ी बढ़ाया एक मुसलमान नौजवान इंडिया से आसाम को काटने की बात कर रहा है, ऐसा बिम्ब भाजपाइयों के लिए कितना आह्लादकारी होता है। आईटी सेल के बारे में पता करिए, वीडियो मिलते ही वहां मिठाईया बंटी होंगी।

शरजील, कन्हैया जैसा खुशनसीब कहां है?

और हम, हम लिबर्ल्स। हाय। जब बात अपने से अलग लोगों की आती है तो हम जलेबी भी छीलकर खाते हैं। कन्हैया कुमार पर जब भाजपाइयों ने, संघियों ने देशद्रोह का माहौल बनाया तो कन्हैया अपना बेटा था। उसके हर उटपटांग जवाब, बयान के लिए हम तर्क तलाशने लगे लेकिन शरजील इतना खुशनसीब कहां है? उसे तो हम उसकी स्थापनाओं में सिद्ध करके रहेंगे। कोई मौका नहीं देंगे कि वह एक अतिरेक और जल्दबाज़ी से अलग भी सोचे।

कन्हैया कुमार।

कन्हैया की जाति और उसके धर्म ने उसे ‘फिर भी पवित्र’ रखा। बिहार के जदयू खेमे के भूमिहारों और अन्य दलों के भूमिहारों के उस दौर के बयान गौर करने लायक हैं। भूमिहार ही क्यों सम्पूर्णता में सारे सवर्णों के बयान, प्रायः।

पर शरजील, शरजील को यह सुविधा नहीं मिलेगी। ऊपर से उसने गलत अवसर पर अपने अतिरेकी अंदाज़ का भाषण दिया है। उसे आसानी से भाजपा-संघ देशद्रोही प्रतीक बना देंगे और हम ऐसा बनाने में उनका अपने पूर्वग्रहों और मूर्खताओं के साथ सहयोग ही कर रहे होंगे।

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