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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से क्यों नाराज़ हैं दुमका के वोटर्स?

हेमन्त सोरेन

हेमन्त सोरेन

झारखंड विधानसभा की हॉट सीट दुमका में 6 महीने के अंदर उप-चुनाव होने की संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने यहां से इस्तीफा दे दिया है। गौरतलब है कि अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन दो सीटों, दुमका और बरहेट से चुनावी मैदान में उतरे थे जहां उन्हें दोनों ही सीटों में सफलता मिली थी।

उन्होंने दुमका विधानसभा सीट से झारखंड की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी को हरा दिया था। भाजपा और जेएमएम, दोनों ही दलों के लिए दुमका की सीट में जीत दर्ज़ करना प्रतिष्ठा का सवाल रहा है। इसलिए उप-चुनाव में दोनों ही दलों के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है।

उप-चुनाव में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी। वहीं, भाजपा अपनी हार का बदला लेने के लिए तैयार है।  2019 के पांचवे चरण में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में दुमका विधानसभा क्षेत्र को हॉट सीट माना गया था।

हेमन्त सोरेन की पत्नी उप-चुनाव में भाग्य आजमा सकती हैं

पत्नी कल्पना के साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन

उप चुनाव में ऐसी  संभावना है कि हेमन्त सोरेन के भाई बसंत सोरेन या मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना प्रत्याशी हो सकती हैं। जबकि भाजपा की ओर से लुईस मरांडी प्रत्याशी हो सकती हैं। चुनावी बिसात अब बिछने लगी है। भाजपा ने अपनी हार का बदला लेने के लिए कमर कस ली है।

स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर काफी नाराज़गी है। लोगों का कहना है कि हेमन्त सोरेन को ऐसा नहीं करना चाहिए था। ऐसे में हेमन्त सोरेन का दुमका की सीट को खाली कर देना शायद यह दर्शाता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने दुमका को पसंद नहीं किया।

अभी हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन को दुमका की सीट गंवानी पड़ी थी। बीजेपी के प्रत्याशी सुनील सोरेन यहां से चुनाव जीते।

लोगों ने काफी उत्साह के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा का साथ दिया था। ऐसे में लोगों का ठगा महसूस करना लाज़मी है। भले ही हेमन्त सोरेन मुख्यमंत्री बन गए हैं लेकिन दुमका की जनता के साथ धोखा हुआ है और लोगों में नाराज़गी का मंज़र दिखाई पड़ रहा है।

इन सबके बीच हेमन्त सोरेन के लिए मुख्यमंत्री  के तौर पर एक अच्छी बात यह भी है कि उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट करते हुए यह जानकारी दी है कि CAA और NRC के खिलाफ धनबाद में विरोध प्रदर्शन करने वाले जिन 3000 लोगों पर राजद्रोह का मुकदमा लगाया गया था, उन पर से यह मुकदमा बिना देरी किए वापस लिया जाएगा।

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री बनते ही हेमन्त सोरेन ने राज्य में दो साल पहले पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान दर्ज़ सभी मामलों को वापस लेने का ऐलान कर दिया था।

अब जब उन्होंने दुमका विधानसभा की सीट को छोड़कर बरहेट को अपनाया है, तो देखना दिलचस्प होगा कि पत्थलगड़ी और मौजूदा धनबाद मामले में सरहानीय कदम उठाना क्या उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर एक अलग पहचान दिला पाएगी या दुमका के लोगों की नाराज़गी का खामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ेगा?

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