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अन्नू टंडन के मन में चल क्या रहा है ?

 

जब बात कांग्रेस की आती है तो हमारे दिलो दिमाग में ये ख्याल आता है कि कांग्रेस इस देश में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, देश की सबसे पुरानी पार्टी की ये स्थिति निश्चित रूप से कांग्रेसियों के लिए चिंताजनक है.. यूपी में तकरीबन 30 सालों से कांग्रेस सत्ता से बाहर है…. ऐसे में कांग्रेस में जो भी लोग आज भी सक्रिय हैं, कांग्रेस आलाकमान को उनका शुक्रगुजार होना चाहिए… कुछ खांटी कांग्रेसी ऐसे हैं जो बीजेपी तो क्या सपा और बसपा में भी नहीं गए, जिन्होंने प्राण प्रण से समर्पित होकर कांग्रेस के तिरंगे झंडे को बुलंद किया… 2019 में जब कांग्रेस पूरे जोर शोर के साथ यूपी में प्रियंका गांधी को लाई तो लगा कि कांग्रेस 4 से 5 सीटें तो जीत ही लेगी । सियासी पंडित भी कांग्रेस को कम से कम 4 सीटें मिलेंगी, लेकिन नतीजे ऐसे आए जिन्होंने कांग्रेस को हैरत में डाल दिया… राहुल गांधी भी अमेठी से चुनाव हार गए, और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली… रायबरेली की, हालांकि यूपी में हाल में हुए विस उपचुनाव में कांग्रेस को वोट प्रतिशत बढ़ा.. ये राहत वाली खबर थी और उसके बाद 2019 लोस चुनाव के बाद से लेकर फरवरी के महीने तक प्रियंका गांधी करीब 20 बार यूपी के दौरे पर आईं… विधायक अजय लल्लू को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष और आराधना मिश्रा को विधानमंडल दल का नेता बनाया गया । यूपी में छोटी छोटी घटनाओं पर प्रियंका का मुखर होकर ट्वीट करना और जिलों का दौरा करना, लखनऊ में CAA के विरोध में पैदल चल देना… ये तमाम घटनाएं ये बताने के लिए काफी थीं कि प्रियंका की नज़र 2022 पर है, खबर ये भी है कि प्रियंका मार्च से विधिवत मिशन 2022 की शुरुआत करने जा रही हैं…. अब ये तो वक्त बताएगा लेकिन राजधानी लखनऊ के पड़ोस में एक जिला है- उन्नाव । कांग्रेस का गढ़ रहा है, कांग्रेस के बड़े बड़े नेता उन्नाव से ही आते थे… कहा तो ये भी जाता है कि एक वक्त में उन्नाव के ही नेता कांग्रेस की धुरी थे वो जो चाहते थे वही कांग्रेस में होता था- इनके नाम थे ज़िया उर रहमान अंसारी, उमाशंकर दीक्षित और द्वारिका प्रसाद मिश्र । 2009 के लोकसभा चुनाव में अन्नू टंडन यहां से चुनाव जीतीं और 2014 और 2019 में हार गईं । उन्नाव की कांग्रेस में 2 धड़ों में बंटी हुई है- एक खेमा है अन्नू टंडन का और दूसरा है जंग बहादुर सिंह का । खैर ये खेमेबाजी कोई बड़ी बात नहीं है हर दल में होती है । चर्चाएं हैं कि इन दिनों अन्नू टंडन आलाकमान से खफा हैं, और पार्टी के कार्यक्रमों से उन्होंने दूरी बना रखी है । अन्नू टंडन की नाराजगी की जानकारी सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी है । लेकिन फिलहाल इस मुद्दे पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है । ऐसे में अब तक अन्नू टंडन की वजह से उन्नाव में सक्रिय रहे कांग्रेसी खामोश हैं… कुछ दिनों पहले उन्नाव के रहने वाले यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अंकित सिंह परिहार के फेसबुक पोस्ट को लेकर ये चकचक शुरू हो गई थी कि पूर्व सांसद अन्नू टंडन किसी दूसरे दल में जा सकती हैं । लोग बताते हैं कि अन्नू टंडन अजय लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष और जंग बहादुर गुट के सुभाष सिंह को उन्नाव का जिलाध्यक्ष बनाए जाने से नाखुश हैं.. इसमें कितनी हकीकत है ये तो अन्नू टंडन ही जानें… बीते तकरीबन 2 महीनों से अन्नू टंडन और अंकित परिहार दोनों के फेसबुक पोस्ट से कांग्रेस शब्द ही गायब है… यहां तक की अंकित परिहार खुद को अबतक राष्ट्रीय प्रवक्ता- यूथ कांग्रेस लिखते थे, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लिखते थे… लेकिन वो भी इन शब्दों से दूरी बनाए हैं… और तो और उनके पोस्टर्स से कांग्रेसी नेताओं के चेहरे भी गायब हैं… हालांकि सफारी पर कांग्रेस का झंडा अभी बरकार है… इन सारी बातों को हवा तब और मिली जब अन्नू टंडन ने किसान अधिकार मोर्चा के बैनर तले उन्नाव में आवारा जानवरों की समस्या के लिए पैदल मार्च किया… और प्रदर्शन में अन्नू टंडन गुट के कांग्रेसी सक्रिय दिखे… इसके बाद इन बातों को और हवा मिल गई है कि अन्नू टंडन के तेवर बगावती हैं… इस मंच पर अन्नू टंडन के साथ ललितेशपति त्रिपाठी भी थे… अब उन्नाव के गलियारों में तमाम चर्चाएं हैं- एक चर्चा है कि अन्नू टंडन 2024 में उन्नाव में साइकिल के सिंबल पर लोकसभा चुनाव लड़ेंगी… तो एक तरफ ये चर्चा है कि अखिलेश यादव ने उन्हें उन्नाव सदर से विधानसभा का टिकट देने का वादा किया है । हालांकि इस मुद्दे पर अन्नू टंडन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है… और उन्नाव के अखबार भी हवा में तीर चलाने से बच रहे हैं… लेकिन सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक इन सारी खबरों की चर्चाएं हैं… और इसकी खबर अन्नू टंडन को भी है । तो क्या पूर्व सांसद अन्नू टंडन के दिल में दल बदल की भावनाएं हिलोरें मार रही हैं… 2014 में खुद चल कर आए बीजेपी के टिकट को ठुकराने वालीं अन्नू टंडन क्या राहुल गांधी और सोनिया गांधी का साथ छोड़ सकती हैं ? इन सारे सवालों के जवाब अभी भविष्य की गर्त में हैं… जिनका जवाब आने वाले एक दो महीने में उन्नाव को मिल जाएगा….

– चन्द्रकान्त शुक्ला

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