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जब दिल बात करते हैं तो लब खामोश हो जाते हैं

सचिन तिवारी
जब दिल बात करते हैं तो लब खामोश हो जाते हैं ।

प्यार एक अनुभूति है इसको बयां करने के लिए शब्दों की जरूरत नहीं ,प्यार को शब्दों से जताने की जरूरत नहीं होती यह दिल से समझने की जरूरत होती है हमारा दिल और दिमाग जानता है महसूस करता है कि कौन हमे चाहता है कौन प्यार करता है, किसी को चाहने के लिए उसका मिलना जरूरी नही, हमारे दिल मे किसी के प्रति प्यार वो भावना है जिससे हम उसे इज्जत और सम्मान देते हैं उसके प्रति हमारी सोच हमेशा अच्छी होती है , हम हमेशा उसे खुश देखना चाहते है चाहे उसकी खुशी के लिए अपनी खुशियां क्यों न कुर्बान करनी पड़े, इसी त्याग की भावना को मोहब्बत कहते हैं , प्यार एक बहुत ही पवित्र और सादगी भरी अनुभूति है जो हमारे दिल मे किसी के प्रति अथाह स्नेह का प्रतीक होती है, आजकल प्यार का मतलब शरीर तक सीमित रह गया है जो शरीर के ढलने के साथ साथ खत्म होने लगता है , क्योंकि शरीर की सुंदरता क्षणिक होती है जो एक समय बाद खत्म हो जाती उसी तरह शरीर से किया हुआ प्यार क्षणिक होता है जो कुछ दिनों बाद खत्म हो जाता है, लेकिन जो प्रेम आत्मिक होता है वो चिर कालीन होता है जन्म जन्मांतरों का होता है वो कभी नहीं खत्म होता , फिर वो व्यक्ति मिले या न मिले उनकी आत्मायें हमेशा एक दूसरे के साथ होती हैं, उनके दिल हमेशा एक दूसरे को महसूस करते हैं, एक दूसरे से बात करते हैं, और जब दो दिल बात करते हैं तो लब अक्सर खामोश हो जाते हैं ।

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