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धर्म का धंधा

धर्म का धंधा खूब हो रहा मेरे भारत देश में,

सड़के सारी खुन से लथपथ मेरे भारत देश में,, 

धर्म नाम का काँटा चुभता भारत माँ के पैरो मे , 

दोस्त – पड़ोसी बटने लग गए अपनो मे और गैरो मे,,

धर्म नशा है अफीम जैसा, सबको अंधा करता है,

मानवता का दुश्मन है ये खुन का धंधा करता है,,

मुस्लिम बनके तुम हिन्दू के घर को आग लगाओगे ,
हिन्दू बनके मुस्लिमो की तुम दुकान जलाओगे,,

यतिम बच्चे विधवा बीवी बेसुध अम्मा रोता बाप,
इतना लहू लगा हाथो मे, दाग नही धो पाओगे,,

ऊपर वाला जिसने तुम दोनों की नस्ल बनाई है,
ऊपर जाके उस बंदे से नजर मिला क्या पाओगे?

– माही

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