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“मीडिया को बिकाऊ कहने वाले पहले खुद पर ध्यान दें”

मैं ये ब्लॉग इसलिए नहीं लिख रही हूं क्योंकि मैं खुद एक पत्रराक हूं…ये ब्लॉग उन लोगों के लिए है जो अपनी सुध-बुध खोकर दूसरों के चरित्र पर अपनी छोटी सोच की छाप छोड़ना पसंद करते हैं, जो हर छो़टी-छोटी बातों में दूसरों की गलती को ढूंढने को अपना काम बना चुके हैं. सबसे पहले तो जानकारी के लिए ये जान लीजिए कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है और अगल आप लोकतंत्र समझते हैं तो इस बात को भी समझ ही जाएंगे. ”मीडिया बिकाऊ है”, ”पत्रकार पैसे खाकर बोल रहे हैं” और ”सभी चैनल्स पैसे खाकर खबर दिखा रहे हैं” ऐसा कहने वाले लोग इस बात की जानकारी रखें कि जब आपको अपने देश के बारे में या अन्य जानकारी की जरूरत पड़ती है तब आप अपने पड़ोसी के पास नहीं जाते बल्कि टीवी खोलकर कोई न्यूज चैनल या अखबार का सहारा लेते हैं. 

पाकिस्तान के साथ कब जंग छिड़ने वाली है, कब अमेरीका का कोई दूत हिंदुस्तान आ रहा है, देश में कौन से काननू लागू होने वाले हैं, देश की बेटियों के बलात्कारियों को कब सजा मिलने वाली हैं. इस की जानकारी भी आपको यही बिकाऊ मीडियो और बकवास छापने वाले अखबारों से मिलती हैं, जिनके दो गुना पैसे देकर आप अपने केबल वालों से न्यूज चैनल चलाने की गुहार लगाते हैं या किसी भी नाके और बस स्टेंड, मैट्रो स्टेशन किनारे बैठे अखबार वाले से आप 5 रुपए का अखबार खरीदते हैं.  

बात दरअसल, क्या है मैं आपको बताती हूं…हम सभी अपने जीवन में अपने कार्यों में काफी व्यस्त हैं और रोजमर्रा में किसी ना किसी से भिड़ंत भी हो ही जाती है. इसके अलावा कुछ बातें और कानून हमे समझ में आ जाते हैं और कुछ को समझने में हम असमर्थ होते हैं, जिनको हम समझ पाते हैं उनके समर्थन में खुश होकर आपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपनी खुशी जाहिर कर देते हैं और जिनको आप समझ नहीं पाते और मीडिया आपको समझने की कोशिश करती है और तब भी आप उनको समझने में असमर्थ ही होते हैं तब आपकी नजरों में वो बिकाऊ हो जाते हैं. 

जी, यही सत्य है….जो शायद आप अपने पूरे जीवन में कभी समझ नहीं पाएंगे. ना खुद और ना शायद किसी के समझाने से. इसके लिए आपको खुद एक आंत में सोचने की जरूरत है कि आप किसी और के काम पर उंगली उठाने से अच्छा है कि आप खुद में बदलाव लाएं और अपने सोचने समझने की शक्ति को बढ़ाए, फिर उन बातों को समझें कि क्या सच में जो आप तक देश दुनिया की हकीकत पहुंचे हैं वो भला बिकाऊ कैसे हो सकते हैं.  

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