कागज के पन्नों पर अक्सर हम अपने जज्बातों को लिखकर सहेज लेते है पर यह जज्बात केवल जज्बात नहीं रहते. यह उस समय के अनछुए पल होते है जिनमें आप किसी एक खास को इतना अपना बना लेते कि सारी कायनात आपको बेगानी लगने लगती है. पर यही पल आपको तब हद से ज्यादा झकझोड़ने लगते है जब वह इंसान आपके पास होकर भी आपके पास नहीं रहता.
ऐसा ही अहसास अयान आज खिड़की के किनारे टकटकी लगाए उन पलों को याद कर सोच रहा है जो उसने कभी सांझ के साथ बिताएं थे. सांझ, वह नाम है आयान के लिए जो उसे कभी सुकून देता था, सांझ की तकलीफ आयान को हमेशा बैचेन कर जाती थी, वह हमेशा इसी कोशिश में लगा रहता था कि सांझ के पास किसी भी तरह की परेशानी ना आए. वह अक्सर अपने दोस्तों से कहता था कि सांझ ने उसे जिंदगी जीने के मायने सीखाएं है, जिंदगी की हर पहली चीज का अनुभव उसे सांझ ने ही कराया है, फिर चाहे वह प्यार से एक दूसरे की आंखों में देखना हो या फिर सिगरेट के धुएं को छल्ले की तरह बनाकर उड़ाना.
सांझ, अयान के लिए दिल्लगी भर नहीं थी, वह आयान के लिए कुछ ही सालों में उसकी जिंदगी बन गई थी, सांझ अगर आयान को कह देती कि उसे, उसके साथ जम्मू जाना है तो आयान बिना कुछ सोचे- समझे दिल्ली से जम्मू जाने वाली गाड़ी के डब्बे में चढ़ जाता . भले ही उसे अगले दिन बिना रुके दिल्ली आना पड़े. पर सांझ के साथ वो जिंदगी के हर पल बिता लेना चाहता था, जिससे वह ज्यादा से ज्यादा सांझ के करीब रह सके. या यह कहें की सांझ धीरे – धीरे आयान की जिंदगी में घर कर सी गई थी. पर शायद अयान ,सांझ की जिंदगी में अपनी जगह बना कर भी नहीं बना पाया था,
आयान की जिंदगी में सांझ उसके नाम की ही तरह थी, थोड़े ही समय के लिए रही पर ऐसे रहीं की अयान की जिंदगी का हिस्सा बन गई. पर आयान हमेशा यही सोचता रहता, उस खिड़की की तरफ देखते हुए कि भले ही मैं सांझ की जिंदगी में क्षण भर के लिए रहा पर क्या वो क्षण भर भी वह मेरी अपनी थी, क्योंकि अक्सर जब भी अयान सांझ का चेहरा अपने हाथों में लेता तो उसे एक अजनबी आंखें उसे देखती हुई लगती जिन आंखों को आयान शिद्दतों के साथ देखता था. पर आज वहीं आंखें आयान को सवाल के रुप में उसका पीछा कर रहीं है. एक शाम अयान ने सांझ के फोन में किसी का नाम उसी के नाम से देख लिया जो उस समय रिंग हो रहा था, अयान को झटका लगा पर उसने कुछ कहा नहीं बस इतना कहा की कोई है तो बता दो. शायद सांझ अयान के इस तरह की उम्मीद कर रही थी सांझ ने अयान को कहा मुझे कोई और मिल गया है तुमसे अच्छा…..सांझ के शब्द थे कि अयान ने उसे जाने से रोका नहीं और अब तक सांझ के उन शब्दों को भूला नहीं.
आज सांझ और आयान दूर है पर आज भी आयान की जिंदगी में सांझ है पर उस तरह से नहीं जिस तरह से आयान सांझ को अपनी जिंदगी की सुबह बनाना चाहता था. आज वह साथ है एक दोस्त की तरह. आयान आज भी एक अनजानी अनकही कशमकश से जूझ रहा है कि क्या था सांझ का उसकी जिंदगी में आना. पर आज आयान अपनी जिंदगी से खुश है क्योंकि आज वह अपनी जिंदगी में एक ऐसे हमसफर को पा चुका है जो शायद उसकी जिंदगी को पूरा कर रहा है. और अयान की चाहतों के लिए हर पल जी रहा है.