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युवाओं का ‘यूथरा’ : प्रिया द्वारा नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता का आयोजन

दिनांक 1 फरवरी को सामाजिक सुधार के क्षेत्र मे कार्यरत अग्रणी संस्था “प्रिया” द्वारा वार्षिक नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता “यूथरा” का आयोजन किया गया। समस्त भारत की विभिन्ता को प्रोत्साहित करने वाले स्वयं मे बेहद खास स्थान “दिल्ली हाट” मे आयोजित इस कार्यक्रम मे युवाओं का जोश देखते ही बनता था। युवाओं को समर्पित इस कार्यक्रम मे विभिन्न महाविद्यालयो व विश्वविद्यालयो के छात्रो ने बेहतरीन नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत करे।

कहते है कि कला हमारे समाज का दर्पण होती है, परंतु मेरे विचार मे कला एक दर्पण बनकर मात्र यथार्थ को चित्रित नही करती अपितु किसी भी समाज को एक श्रेष्ठतम समाज मे परिवर्तित करने के लिए निर्देशित भी करती है।ऐसे मे यूथरा मे आए युवाओं ने जहाँ समस्त सामाजिक और प्रचलित विषयों पर तो प्रकाश डाला ही वरन् यहाँ उन समस्याओं का भी मंचन हुआ जो महानगरों की इस चकाचौंध मे, गरमागरम मुद्दो के शोर मे कही दबे ही रह जाते हैं। एक ओर नाटकों के माध्यम से छात्रो ने सरकार से प्रशन पूछे तो, तो वहीं भारतीय संविधान के मूलतत्व को केन्द्र बनाकर दर्शकों को ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ का संदेश भी दिया। इन नुक्कड़ नाटकों मे यह भी बखूबी प्रदर्शित किया गया कि किस प्रकार हमारे आस पास रह रहे लोग अपनी पहचान को लेकर ही चिंताग्रस्त रहते है और हम अपने आमजीवन मे केवल अपने आचरण से उन्हें कितनी चोट पहुँचाते है। नाट्य समिति ‘अनूभूति’ द्वारा प्रस्तुत नाटक भी विशेष रुप से प्रशसनीय रहा, जिसको देखने के पश्चात हर दर्शक के ह्रदय मे उनका गाँव और उस गाँव की सौंधी माटी महक उठी।इस सम्बंध मे आरिफ शफीक साहब ने क्या खूब कहाँ है
“जो मेरे गांव के खेतों में भूख उगने लगी
मेरे किसानों ने शहर में नौकरी कर ली”

उमंगों से भरे इन छात्रो ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दर्शकों को अपने दैनिक जीवन में सुधार करके पानी जैसे संसाधनों को बचाने का संदेश तो दिया ही साथ ही कुशल पारिवारिक जीवन का मंत्र भी प्रदान किया। बेहद प्रसिद्ध उक्ति है “सा कला या विमुक्तये” अर्थात कला के माध्यम से ही हम तमाम प्रकार की कठिनाइयों से मुक्ति पा सकते हैं। इस कार्यक्रम में दी गई प्रस्तुतियों से यह तो सुनिश्चित हो ही गया कि भारत युवाओं का देश है और इस देश के युवा निःसंदेह परिवर्तन की आँधी बनकर समस्त विश्व को बदलने की ताकत रखता हैं। इस कार्यक्रम मे निर्णायक मण्डल का योगदान भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा, विभिन्न नाट्य संस्थाओ से जुडे व १२०० से ज्यादा नुक्कड़ नाटको मे प्रतिभाग कर चुके आदरणीय राहुल सिंह जी, विकास क्षेत्र, से सम्बद्ध तान्या दिक्षित जी व Be.artsy की संस्थापक निदेशिका व महिलाओ के सामाजिक विकास के लिए कार्यरत शिखा मित्तल जी ने इस कार्यक्रम मे निर्णायक की भूमिका निभाते हुए न केवल अभूतपूर्व धैर्य का परिचय दिया अपितु अंत मे सभी प्रतिभागियों को अपने अनुभवो व विचारों से लाभान्वित भी किया।

 

‘प्रिया’ के इस आयोजन में दिल्ली हाट में उपस्थित सभी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन तो हुआ ही साथ ही वे जाते जाते अपने साथ संदेश भी लेकर गए। और वह संदेश था अपनी संस्कृति को समायोजित करके एक नए भारत के निर्माण का, वह संदेश था समस्त कुप्रथाओं को तोड़ते हुए आधुनिक भारत की ओर कदम बढाने का, वह संदेश था इस देश की संवैधानिक आत्मा को अखंडित रखने का, वह संदेश था आपसी भाईचारे, सामाजिक सौहार्द, और समता के बीजवपन का। ‘यूथरा’ में नुक्कड़ नाटक (https://www.youtube.com/watch?v=-t1ogXQUaH4&feature=youtu.be) के माध्यम से युवाओं ने समस्त भारत को यह स्पस्ट संदेश दिया कि भारत का युवा अपने समाज व अपने देश के प्रति पूर्णतः जागरूक व संवेदनशील है। इस प्रकार के आयोजन ना केवल आपको जोश से भरते हैं, अपितु आपको आपकी जिम्मेदारियों का अहसास भी कराते हैं। अपार संभावनाओं व कला से परिपूर्ण इन युवाओं की प्रस्तुति सराहनीय थी ही साथ ही सराहनीय है ‘प्रिया’ का यह सफलतम प्रयास। इस प्रकार के आयोजन भारतीय लोकतंत्र को ओर मज़बूत कर भारतीय समाज को एक श्रेष्ठतम व संवेदनशील समाज बनाने मे अभूतपूर्व योगदान हैं।

सादर धन्यवाद।

Das Aaruhi Aanand (Bhavishya Sharma)

(Fellow at PRIA YOUTH)

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