Site icon Youth Ki Awaaz

शाहीनबाग अब आंदोलन न रहकर एक सोची समजी साज़िश

अब यह तो साफ़ हो गया है की शाहीनबाग का आंदोलन एक सोची समजी साज़िश ही है। चंद राजनीतिक और विशेष समुदाय के संस्थान इसको खत्म नहीं होने दे रहे। देश में जानबूझकर एक साम्प्रदायिक वातावरण तैयार किया जा रहा है।

देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी यह लोग रास्ता नहीं खाली कर रहे है। दरअसल यह सीधा चुनौती दे रहे है देश के राजनीतिक व्यवस्थान को और संविधान को। यह लोग संविधान और देश के कानून को मानने वाले नहीं है। इनको बस जैसे तैसे करके अराजकता फैलानी है। कई लोगो को रोजगार और उनके आर्थिक नुकसान पर यह आंदोलन चल रहा है। अपनी नाजायज मांग को मनवाने के लिए यह लोग इतनी निम्न कक्षा तक पहुंच चुके है की अब बच्चो और महिलाओ के सहारे अपने स्वार्थ को पूरा करने में लगे है।

सरकार के बड़े बड़े मंत्रीओ और प्रधानमंत्रीजी के आश्वाशन के बाद भी अगर इनको लगता है की नागरिकता संसोधन कानून से इनकी नागरिकता पर खतरा है तो सरकारश्री से निवेदन है यहाँ मौजूद सभी की नागरिकता खत्म कर के इनको जहा लगे वह पंहुचा दो। मध्यस्थ वार्ताकारो से भी इनको दिक्क्त है।

दरअसल जिन लोगो के धर्म के नाम पर राजनीती की दुकान बंध हो गयी है और जो राजनीती पार्टिया अपना वजूद बचाने में लगी है वो लोग इसे खत्म नहीं होने देंगे। मेरा निवेदन है की इनको तव्वजो देना बंध करो। यह अपने आप टूट जायेगे। इनका धैर्य अब टूट रहा है। सरकार को इनसे नहीं मिलना चाहिए क्यूंकि सरकार की मंशा सही है। यह लोग चाह रहे है की इनपे पुलिस कार्यवाही करे और यह लोग आंतराष्ट्रीय मंच पर भारत को बदनाम करे।

कश्मीर में शांति, अयोध्या में शांति कुछ लोगो को हजम नहीं हो रही और इसका ही प्रमाण है यह शाहीनबाग। यह एक साज़िश के अलावा कुछ नहीं।

टिपण्णी: नासमझो को या फिर जो जानबूझकर नासमज होने का दिखावा कर रहे है उनसे वार्तालाप करने से अच्छा है देश विकास और हित के काम करे। इनको खोना कुछ नहीं क्यूंकि इनकी आय नियमित है। हमे देश को आगे बढ़ाना है

Exit mobile version