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UP के मंगटा गाँव में दलितों को सवर्णों ने क्यों पीटा?

फोटो साभार- सरताज आलम

फोटो साभार- सरताज आलम

एडिटर्स नोट: (YKA यूज़र सरताज आलम ने मामले की आधिकारिक पुष्टि के लिए गजनेर के थाना प्रभारी से फोन पर बात की। उन्होंने बताया कि 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।)


कानपुर देहात स्थित गजनेर के मंगटा गाँव में 12 फरवरी को बुद्ध और भीम की कथा के दौरान दो दलितों पर सवर्णों ने हमला बोल दिया। नतीजतन लगभग 3 दर्जन दलित ज़ख्मी हो गए, जो फिलहाल अस्पताल में हैं।

इस खूनी संघर्ष के बाद गाँव में फैलते तनाव को देखते हुए प्रशासन ने गाँव को छावनी में तब्दील कर दिया। गाँव वालों के अनुसार, पुलिस प्रशासन ने धारा 151 के तहत मामूली मुकदमा दर्ज़ किया है।

क्या था मामला?

अस्पताल में एडमिट दलित समुदाय के लोग। फोटो साभार- सरताज आलम

UP के ज़िला कानपुर देहात स्थित गजनेर थाना के अंतर्गत आने वाले मंगटा गाँव, जो सवर्ण बाहुल इलाका है। वहां लगभग 2000 के करीब परिवार रहते हैं, जिनमें सवर्णों के 600 से 700 परिवार हैं, जबकि दलितों के मात्र 150 घर हैं।

गाँव में दलित समाज की तरफ से के यहां भगवन बुद्ध और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की सम्मिलित कथा का आयोजन चल रहा था। गाँव वालों के अनुसार, सवर्ण लोगों ने आकर कथा होने का विरोध किया।

गाँव वालों ने सवर्ण के विरोध को नज़रअंदाज़ करते हुए उन्हें बताया कि उनके पास कार्यक्रम की परमिशन है। देखते ही देखते मामला बहस से आगे निकल गया और एक-दूसरे पर गाली-गलौच के साथ मारपीट भी की गई।

भीम कथा के विरोध में उतरे सवर्ण हिंसक हो गए

अस्पताल में एडमिट सविता (बदला हुआ नाम)। फोटो साभार- सरताज आलम

मंगटा गाँव में बुद्ध एवं भीम कथा के आयोजक सह मंगटा गाँव निवासी अमित कुमार देव बताते हैं, “मंगटा गाँव में 1 फरवरी से बुद्ध एवं भीम कथा का आयोजन था, इसकी परमिशन हमने प्रशासन से ले रखी थी। 7 तारीख को सवर्णों ने विरोध किया। उनके द्वारा कहे जा रहे जाति-सूचक शब्दों पर हमने प्रशासन से शिकायत की तो उन लोगों ने कहा कि आप जवाब ना दो, वे जो बोलते हैं, बोलने दो, ध्यान मत दो उनकी तरफ। हमने पलटकर प्रशासन की बात मानते हुए कोई जवाब नहीं दिया।”

उन्होंने आगे बताया कि 8 तारीख को भंडारे का आयोजन था, जिसके सकुशल संपन्न होने के ठीक बाद अमित सवर्ण के कुछ लोग हमारे पास आए और कहा, “अपना कार्यक्रम कर लो, बाद में हम चुन चुनकर एक एक को मारेंगे। चमारों, ऐसा प्रोग्राम यहां कभी नहीं हुआ। चमार यहां सदियों से दबकर रहते आ रहे हैं। तुम लोगों के पास भीम कथा की परमिशन है, तो करो लेकिन याद रहे जिस दिन यह खत्म होगी, चुन चुनकर मारे जाओगे।”

अमित ने आगे बताया,

13 तारीख की सुबह अचानक हाथों में लाठी-डंडे लिए सवर्ण हम पर हमलावर हो गए। 

हमलावरों में ब्राह्मण से लेकर क्षत्रिय मौजूद थे

फोटो साभार- सरताज आलम

अमित बताते हैं कि 13 फरवरी की नौ बजे के करीब भीम कथा हेतु लगाए गए पोस्टर, स्टीकर को फाड़ने के बाद, गाँव के लगभग 400 सवर्णों ने दलितों पर हमला बोल दिया। जहां जो जिस हालत में जैसा भी मिला, उसको वहीं पर मारा गया।

घरों में घुसकर दरवाज़े तोड़े गए, चूल्हे फोड़े गए, यहां तक कि बर्तन से लेकर अनाज तक सब बिखेर दिए गए। इन सब से दिल नहीं भरा तो फिर जानवर बांधने की जगहों को आग लगा दी गई। अमित के मुताबिक हमलावरों में ब्राह्मण से लेकर क्षत्रिय मौजूद थे।

क्यों हुआ था बुद्ध एवं भीम कथा का आयोजन? 

मंगटा गाँव में रहने वाले दलित भुईंयादीन के अनुसार,

हमारे परिवार में एक शादी के पश्चात प्रशासनिक परमिशन के बाद सर्वसम्मति से भगवान बुद्ध और संविधान रचयिता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की कथा का आयोजन किया था, जिसे सवर्णों ने आकर बंद करने की धमकी देते हुए गाली-गलौच शुरू की।

उन्होंने आगे बताया, “हम सभी ने उनसे हाथ जोड़कर निवेदन किया और कार्यक्रम की उनसे भी एक दिन और चलने देने की रज़ामंदी मांगी, जिसके बाद उन लोगों ने गाली देते हुए हमें गाँव से निकल जाने और गोली मार देने की बात कही।”

3 दर्ज़न दलित हुए घायल

फोटो साभार- सरताज आलम

भुईंयादीन के अनुसार शाम को कार्यक्रम बंद होने के बाद भी एक बार दलितों पर हमला हो चुका था। इस हमले में कई लोगों को चोटें आईं। पुलिस ने आकर मामला शांत कराया और दोनों पक्षों में समझौता कर दिया।

भुईंयादीन कहते हैं, “हमने भी मान लिया, फिर भी दूसरे दिन सुबह हमारे स्टिकर, पोस्टर फाड़े गए। जब हमने विरोध किया तो 400-450 लोगों ने हम पर हमला कर दिया। घटना की सूचना पाकर प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी सक्रिय हुए। अफसरों ने तुरंत घायलों को इलाज के लिए अकबरपुर के अस्पताल में भर्ती करवाया।

क्या कहा गजनेर थाना के इंस्पेक्टर समर यादव ने?

जब मामले की जानकारी इंस्पेक्टर समर यादव से ली गई, तो उन्होंने बताया कि पुलिस अभी इस मामले में कुल 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। उनका कहना था कि एक पोस्टर फट जाने से मामूली विवाद के बाद यह सब हुआ। स्थिति अब नियंत्रण में है।

उनसे हमने तीन बार पूछा कि मामला दलित एक्ट के तहत दर्ज़ हुआ है या नहीं? तीनों ही बार वह सही जवाब देने से बचते रहे और साफ-साफ जवाब नहीं दिया।

राजनीतिक पारा हुआ गर्म

फोटो साभार- सरताज आलम

दलितों पर हमले के कारण हर लिहाज़ से यूपी का राजनीतिक तापमान बढ़ा गया। काँग्रेस आज यूपी में ठिकाने की तलाश कर रही है, तो वहीं सपा अच्छे दिनों की वापसी के सपने देख रही है। अखिलेश यादव ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए ट्वीट किया,

भाजपाई कार्यकर्ताओं के गुंडाराज की एक और शर्मनाक घटना में कानपुर देहात के मांगटा गाँव में दलितों को जमकर पीटा गया, जिसमें 23 दलित ज़ख्मी हुए हैं। प्रदेश में पुलिस को अपनी रक्षात्मक भूमिका के विपरीत कार्य करने को बाध्य किया जा रहा है। हम इस लड़ाई में हर कदम दलितों के साथ हैं।

15 फरवरी को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधि दल अस्पताल पहुंचा। MLC दिलीप सिंह यादव और नसीम कुरैसी ने पीड़ितों का हाल जाना।

इस बीच यूपी में ठिकाने की तलाश कर रही काँग्रेस पार्टी का प्रतिनिधिमंडल भी कानपुर देहात पहुंचा। इस दल में पार्टी के वरिष्ठ नेता ज़िला अस्पताल में भर्ती पीड़ितों से मिले और चिकित्सकीय इंतज़ामों का जायज़ा लिया। प्रतिनिधिमंडल में यूपी काँग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, सांसद पीएल पुनिया, नेता विधान मंडल आराधना मिश्रा मोना और पूर्व संसद राकेश सचान उपस्थित थे।

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