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अपनी भर्ती के इंतज़ार में उत्तर प्रदेश के एक और शिक्षक ने की आत्महत्या

The company posted a net loss of Rs 6,439 crore in the quarter ending December 31, 2019, up from the Rs 5,005 crore loss posted in the same period in 2018.

उत्तर प्रदेश की 69000 शिक्षक भर्ती के एक और छात्र ने कोर्ट की तारीखों से परेशान होकर रिज़ल्ट के इंतज़ार में गलत कदम उठा लिया। मामला उत्तर प्रदेश की 69000 शिक्षक भर्ती का है

इस भर्ती की लिखित परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी और 22 जनवरी को परिणाम घोषित किया जाना था। वहीं भर्ती की प्रक्रिया 15 फरवरी तक पूरी करने की योजना थी, लेकिन राज्य सरकार की मंशा पर अधिकारियों ने पानी फेर दिया।

कहां फंसा है मामला?

बेसिक शिक्षा विभाग ने लिखित परीक्षा के बाद कटऑफ अंक जारी कर दिया और यहीं से मामला फंस गया। विभाग ने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 65 और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 फीसदी पासिंग मार्क्स तय कर दिये।

इसे लेकर कम अंक पाने वाले शिक्षामित्र अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गये । लंबी सुनवाई  बाद हाईकोर्ट ने 40 और 45 फीसदी ही पासिंग मार्क्स मानते हुए रिज़ल्ट जारी करने का आदेश दिया था। इसके बाद मेहनती छात्र और सरकार 60/65 कट ऑफ समर्थन में double bench हाईकोर्ट में चले गए।

स्टूडेंट्स तनाव में

बेरोज़गारी

इसके बाद से भी कोर्ट में तारीख पर तारीख मिल रही है लेकिन मामला कोर्ट से एक वर्ष से अधिक समय बीतने  बाद भी हल नहीं हो पाया है। इसे लेकर एग्ज़ाम में बैठे चार लाख से अधिक स्टूडेंट्स बहुत तनाव में हैं, उन्हें अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा है। इसी अवसाद में वे अन्य परीक्षाओं की तैयारी भी नहीं कर पा रहे हैं।

हमें आज सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि आखिर इस व्यवस्था में किस का दोष है, जिसमें स्टूडेंट्स मेहनत करके एग्ज़ाम देते हैं, कट ऑफ मार्क्स  को क्वालीफाई करते हैं, लेकिन फिर भी रिजल्ट का सालों तक इंतजार करना पड़ता है।

भर्तियों का मामला कोर्ट पहुच जाता है,  सरकार कोर्ट में अपनी बात मजबूती से नहीं रखती, महा अधिवक्ता सुनवाई पर उपस्थित नहीं रहते, इस लेट लतीफी के  कारण कोर्ट तारीख देता रहता है और बेरोजगार स्टूडेंट तनाव में आकर गलत कदम उठाने को मजबूर हो जाता है।

सफलता इससे नहीं मापी जाती कि आपने क्या पाया है, बल्कि इससे मापी जाती है कि आपने किन विरोधों का सामना किया है और कितने साहस के साथ मुश्किलों के विरुद्ध अपना संघर्ष जारी रखा है।

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