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जामिया वीडियो: लाइब्रेरी में स्टूडेंट्स पर बेरहमी से लाठी बरसाते दिखे पुलिसकर्मी

फोटो साभार- सोशल मीडिया

फोटो साभार- सोशल मीडिया

दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की जमिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (JCC) ने शनिवार को एक वीडियो फुटेज जारी करते हुए इसे 15 दिसम्बर का बताया है। वीडियो शाम 6 बजकर 8 मिनट की है।

स्टूडेंट्स का दावा है कि वीडियो में साफ तौर पर ‘ओल्ड रीडिंग हॉल’ की तरफ से एम.ए/एम.फिल सेक्शन में पुलिस घुसती नज़र आ रही है और लाइब्रेरी में पढ़ रहे स्टूडेंट्स से बगैर किसी बातचीत के सीधा उन पर बर्बरता से लाठी बरसा रही है। इस वीडियो की पुष्टि बहुत से स्टूडेंट्स ने की है।

दिल्ली पुलिस ने पहले क्या कहा था?

फोटो साभार- सोशल मीडिया

गौरतलब है कि घटना तब की है, जब जामिया मिल्लिया के स्टूडेंट्स CAA और NRC के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। तब ओल्ड हॉल से कई स्टूडेंट्स ने SOS वीडियो और मैसेज शेयर किए थे, जिनमें आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने स्टूडेंट्स की पिटाई की और उन पर आंसू गैस के गोले दागे।

इसमें एक स्टूडेंट की आंख भी चली गई थी और कई स्टूडेंट्स गम्भीर रूप से घायल हुए थे, जिसकी पुष्टि दिल्ली एम्स द्वारा की गई थी। वहीं, पुलिस शुरुआत से ही इस आरोप को नकार रही है।

दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था, “हम कैंपस में घुस गए थे, क्योंकि छात्रों के बीच गुंडे भी थे, जो छात्रों पर पथराव और हिंसा कर रहे थे। हम अन्य छात्रों को हिंसा से बचाने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए हमें लाइब्रेरी के अंदर आंसू गैस के गोले दागने पड़े।”

अब क्या कह रही है दिल्ली पुलिस?

प्रवीर रंजन, दिल्ली पुलिस कमिश्नर, स्पेशल ब्रांच। फोटो साभार- सोशल मीडिया

वहीं, आज वीडियो जारी होने के बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर, स्पेशल ब्रांच प्रवीर रंजन ने इस वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

हमने जमिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के लायब्रेरी वीडियो (15 दिसम्बर) का संज्ञान लिया है, जो अब सामने आया है, इसकी जांच करेंगे।

इस वीडियो के जारी होने के बाद हर तरफ से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। वीडियो फुटेज की सत्यता का पता इसकी जांच के बाद ही चलेगा। वैसे, जमिया छात्र कमेटी का दावा है कि यह वीडियो उसी समय का है लेकिन सोचने का विषय यह है कि यह वीडियो किसे कटघरे में खड़ा करेगा?

यह कोई पहली और आखरी घटना नहीं है, जहां इस तरह की बर्बरता सामने आई है। CAA के विरोध प्रदर्शन के दौरान हाल ही में पुलिस के बीच खड़ा एक शख्स बंदूक लेकर सामने आ गया था, जिससे एक छात्र घायल भी हुआ था।

जेएनयू में तो बाहरी लोग आकर मारपीट करते नज़र आ रहे थे और पुलिस का ब्यान था कि उन्हें अंदर आने की अनुमति नहीं मिली थी। हैरान करने वाली बात ही है यह। तब क्या लाइब्रेरी में पुलिस अनुमति लेकर दाखिल हुई थी?

उजागर हो रही है पुलिस की छवि

प्रश्न सोचनीय है और विचारणीय भी! इस तरह की घटनाएं ही हैं, जो पुलिस प्रशासन की लाख मनाही के बाद भी उनकी निष्ठा पर सवाल खड़े करता है। क्या अब भी इसे विपक्ष और लेफ्ट राइट की राजनीति में बांटा जा सकता है?

पुलिस यदि इस तरह के रूप में सामने आए, तो हम और आप जैसे आम नागरिकों को किसकी तरफ देखना चाहिए? यह कोई राजनीति या नागरिकता कानून का मुद्दा नहीं है, यह मुद्दा पुलिस की छवि को उजागर भी करता है और शर्मसार भी। यदि मैं कहूं तो यह घटना ज़ाहिर तौर पर मुझे भी डरा रही है।

यदि यह वीडियो सच साबित होता है, तो आप जिस वर्दी को देखकर निडर बनते हैं, उस वर्दी को देखकर घबराएंगे भी और यदि इस तरह आवाज़ों को कुचला जाने लगा, तो यकीन मानिए सब ही बहरे हो जाएंगे।


नोट: सृष्टि तिवारी Youth Ki Awaaz इंटर्नशिप प्रोग्राम जनवरी-मार्च 2020 का हिस्सा हैं।

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