जलवायु परिवर्तन, हर जगह आजकल इस शब्द की चर्चा है। कई बार लोग जलवायु और मौसम को एक ही तराजू में तौल देते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। मौसम वह है जो दिन-रात हम अपने मोबाइल, लैपटॉप या टीवी पर देखते हैं, जबकि जलवायु वह है जिसकी हम उम्मीद करते हैं।
जलवायु किसी स्थान पर पिछले कई वर्षों के अंतराल में वहां के मौसम में हुए बदलावों को बताता है। यह बात सभी को स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन से समुद्री जल स्तर बढ़ेगा और भारत समेत दुनिया के कई शहर डूब जाएंगे। इस आर्टिकल में इस बात पर ही चर्चा करेंगे कि समुद्री जल स्तर बढ़ने से भारत के किन-किन शहरों को खतरा है? भारत के तटीय इन्फ्रास्ट्रक्चर को इससे कितना खतरा है? क्या भारत की तटीय नीतियां इस आपदा के लिए कारगर सिद्ध होंगी।
भारत के शहरों को चक्रवात और बाढ़ कैसे नुकसान पहुंचा रहे हैं?

हाल ही के वर्षों में भारत के तटीय क्षेत्रों में फानी, गाज़ा और हुदहुद जैसे बड़े चक्रवात आने के साथ-साथ कई जगह भीषण बाढ़ आई, जिससे भारी जान-माल का नुकसान हुआ। केरल में अगस्त 2018 में आई बाढ़ की वजह से 2.80 लाख घर, 1.40 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर तैयार फसल और तकरीबन 70,000 किलोमीटर का सड़क नेटवर्क बर्बाद हो गया था।
संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशन्स) की पोस्ट डिज़ास्टर नीड्स असेसमेंट संस्था के मुताबिक,
- राज्य को इस तबाही से उबरने के लिए ₹31,000 करोड़ की ज़रूरत थी।
- केरल में 1 जून और अगस्त 18, 2018 के आई बाढ़ 1924 के बाद सबसे भयानक बाढ़ थी, जिसमें 433 लोगों की मौत हुई थी।
- अप्रैल 2019 में आए फानी चक्रवात से 5 लाख घरों, 20,367 गांव, 6700 अस्पताल, 1.088 लाख हेक्टेयर खेती की ज़मीन और बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान हुआ था।
- आंकड़ों के मुताबिक, इस चक्रवात से ओडिशा में ₹9,336.26 करोड़ का नुकसान हुआ था, जिसमें सार्वजनिक संपत्ति की हिस्सेदारी ₹6643.63 करोड़ थी। इस चक्रवात के कारण 64 लोगों की मौत हुई थी।
- अध्ययनों में अनुमान जताया गया है कि इन आपदाओं से उबरने और इन्फ्रास्ट्रक्चर दोबारा खड़ा करने में दोनों राज्यों को 10 साल लग सकते हैं।
भारत के किन शहरों को समुद्री जल स्तर बढ़ने से है सर्वाधिक खतरा?

संयुक्त राष्ट्र की Intergovernmental Panel on Climate Change इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कार्बन उत्सर्जन इस रफ्तार से होता रहा, तो वैश्विक स्तर पर समुद्री जल का स्तर इस सदी के अंत तक 1 मीटर बढ़ जाएगा, जिससे दुनियाभर में चेन्नई, कोलकाता, सूरत और मुंबई समेत सैंकड़ों शहर जलमग्न हो जाएंगे।
रिपोर्ट के अनुसार,
- 1970 के बाद से समुद्र लगातार गर्म हो रहे हैं लेकिन 2005 के बाद से समुद्री जल स्तर 2.5 गुना तेज़ी से गर्म हो रहा है।
कई अध्ययन इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि जैसे-जैसे समुद्री सतह का तापमान गर्म होगा, वैसे-वैसे चक्रवात और बाढ़ और तेज़ी से आएंगी। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि साल 2019 में समुद्र का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
ऐडवांसेस इन ऐटमॉस्फेरिक साइंसेज़ जर्नल में छपे अध्ययन के मुताबिक,
- वैश्विक महासागरीय तापमान के लिहाज़ से बीते 10 साल सबसे गर्म रहें और आखिरी 5 साल में सबसे ज़्यादा तापमान दर्ज़ किए गएं।
- पिछले 25 वर्षों (1994-2019) में 3.5 अरब परमाणु बम से जितनी ऊर्जा उत्पन्न हुई है, उतनी ही उष्मा महासागरों में मिली है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक,
- जलवायु परिवर्तन से होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देशों में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है।
- बकौल यूएन, 1995 के बाद से सबसे अधिक प्राकृतिक आपदाओं का सामना अमेरिका, चीन, भारत, इंडोनेशिया, फिलीपीन्स ने किया है।
- भारत के तटीय शहर की महत्ता की बात करें, तो ये भारत की अर्थव्यवस्था की जान हैं। मुंबई को तो भारत की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। देश का तटीय क्षेत्र की लंबाई 7,517 किलोमीटर है, जिसमें चेन्नई, बेंगलुरु, मेंगलुरु, मुंबई, कोलकाता जैसे बड़े शहर भी शामिल हैं।
- इंटरनैशनल जर्नल ऑफ एन्वायरमेंटल साइंसेज़ के मुताबिक, इन तटीय क्षेत्रों में भारत की एक तिहाई से अधिक आबादी रहती है और ये सभी समुद्र तट से 50 किलोमीटर के दायरे में रहते हैं। इस लिहाज़ से समुद्री जल स्तर बढ़ने का खतरा इन सब पर सीधे-सीधे पड़ेगा।
डाउन टू अर्थ मैगज़ीन के मुताबिक,
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- 9 तटीय राज्य (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गुजरात, गोवा, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र) और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (पुड्डुचेरी और दमन-दीव) का देश की अर्थव्यवस्था में 50% योगदान है।
- इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के 84 तटीय ज़िलों में आने वाले 130 कस्बों व 77 शहरों की सामाजिक और आर्थिक तौर पर बहुत महत्ता है।
- आबादी के लिहाज़ से बात करें तो मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और सूरत में काफी ज़्यादा आबादी है और इन्हीं शहरों में देश के महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर हैं।
- अगर इन शहरों की बात करें, तो इन जगहों पर ट्रासंपोर्ट-माल ढुलाई व सड़क-रेल के नेटवर्क, बंदरगाह, पेट्रोलियम उद्योग, रिफायनरी, कई बड़े आद्योगिक क्षेत्र हैं जिनका देश की ग्रोथ, विकास और सुरक्षा में बहुत योगदान है।
- इंटरनैशनल जर्नल ऑफ एन्वायरमेंटल साइंसेज़ के मुताबिक, देश में आने वाले कुल फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) में से 60% इन्हीं 9 तटीय राज्यों को मिलता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण इन जगहों पर समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी, बाढ़, तूफान और चक्रवात जैसे संकट मंडराने लगे हैं। ऑब्ज़र्वर रिसर्चर फॉउंडेशन के मुताबिक, 1877 से 2005 के बीच भारत के तटीय इलाकों में 106 बड़े समेत कुल 283 चक्रवात आए थे और इनका दायरा 50 किलोमीटर तक रहा था।
- नैशनल डिज़ास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइंस, मैनेजमेंट ऑफ साइक्लोन्स के मुताबिक, चक्रवातों की तीव्रता के लिहाज़ से भारत ‘खतरनाक जोखिम’ वाले ज़ोन में आता है।
- इंटरनैशनल जर्नल ऑफ एन्वायरमेंटल साइंसेज़ के मुताबिक, पहले तटीय जंगल इन चक्रवातों को रोकते थे लेकिन इनकी बेतहाशा कटाई से चक्रवात से होने वाले नुकसान में वृद्धि हुई है।
- बीते कुछ दशकों में इन इलाकों में आर्थिक गतिविधि बढ़ने के साथ-साथ ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी बढ़ा है। ऐसे में भारत के तटीय इलाकों के लिए स्थिति भविष्य में खतरनाक होती प्रतीत हो रही है।
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सोर्स- nytimes.com, downtoearth.org.in, orfonline.org, economictimes, businesstoday.in, livemint.com
This post has been written by a YKA Climate Correspondent as part of #WhyOnEarth. Join the conversation by adding a post here.