दिल्ली चुनाव परिणाम से भाजपा का सांप्रदायिक और नफरत की राजनीति का अंत होता दिख रहा है। उसी तरीके के परिणाम बिहार जैसे राज्य में भी हो सकते हैं। हम लोगों का मानना है कि भारत सिर्फ संवैधानिक तौर पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक तौर पर भी धर्मनिरपेक्ष देश है।
यदि भाजपा ने अपने एजेंडे को नहीं बदला, तो उसकी दुर्गति निश्चित है। विकास, बेरोज़गारी, शिक्षा और स्वास्थ्य आज के समय का सबसे बड़ा मुद्दा है। भाजपा ने दिल्ली में विकास से इतर सांप्रदायिक और हिंदू-मुसलमान जैसी नफरत फैलाने वाली राजनीति के एजेंडे को अपनाया।
दूसरी तरफ काँग्रेस के लिए दिल्ली का चुनाव कुछ सिखाने वाला है। काँग्रेस के नेताओं को देखकर लग ही नहीं रहा था कि दिल्ली में चुनाव हो रहे हैं। काँग्रेस को संगठन पर ध्यान देने की ज़रूरत है। काँग्रेस को तो विपक्ष की भूमिका निभाना भी नहीं आता है, इस पर भी पार्टी को मंथन करने की ज़रूरत है।
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी अपार बहुमत मिलता हुआ दिख रहा है। यह दिल्ली के दलित आदिवासी पिछडे और अकलियत समाज के गरीब वर्ग के लोगों के वोट का कमाल है केजरीवाल के विकास के आंधी में भी भाजपा के कोर सपोर्टर ब्राह्मण और ऊंची जाति के अमीर लोगों ने भाजपा को वोट दिया।
केजरीवाल ने बदला चुनावी राजनीति का नज़रिया
दिल्ली की जनता ने देश को एक नज़रिया देने का काम किया है, जिस नज़रिये में सांप्रदायिकता हिंदू-मुसलमान भारत-पाकिस्तान कोई मुद्दा नहीं है। उस नज़रिए में सिर्फ और सिर्फ आम जनता का कल्याण अर्थात दलित आदिवासी पिछड़े वर्ग और गरीब समाज के लोगों के उत्थान हेतु विकास कार्य मुख्य मुद्दा है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि इतना ज़ोर से बटन दबाना कि बटन तो ओखला में दबे और उसकी करंट शाहीन बाग के लोगों को लगे लेकिन दिल्ली वालों ने यह साफ कर दिया कि बटन तो ईवीएम में लगेगा लेकिन करंट भाजपा के सांप्रदायिक और हिंदू-मुस्लिम राजनीति को लगेगा।
देश की जनता सांप्रदायिकता नहीं, विकास चाहती है
भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार को केवल हिंदू-मुसलमान और भारत पाकिस्तान पर केंद्रित रखा। एनआरसी को भाजपा ने चुनाव में वोट प्राप्त करने का सबसे बड़ा साधन मानकर प्रचार-प्रसार किया लेकिन जनता ने इन तमाम हथकंडों को दरकिनार करते हुए केजरीवाल की विकास रूपी गंगा में डुबकी लगाई।
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं किया और उनके आर्थिक मॉडल का आलोचना किया तथा देश में बढ़ती महंगाई बेरोज़गारी को मुद्दा बनाया। इसके साथ ही अब जनता के बीच में अपने विकास कार्यों का भी प्रचार-प्रसार किया। केजरीवाल की फ्री स्कीम जैसे बिजली और पानी स्वास्थ्य इत्यादि हिट स्कीम साबित हुए।
दिल्ली चुनाव परिणाम ने यह बता दिया कि देश की जनता के लिए सबसे बड़ा मुद्दा विकास है और वह विकास से कंप्रोमाइज़ नहीं करेगा। यदि कोई राजनीतिक पार्टी विकास के इतर बात करेगा, तो उसको उखाड़ फेंकने का काम जनता करेगी।
आज के समय में बेरोज़गारी, भुखमरी, गरीबी और अशिक्षा सबसे बड़ी समस्या है और इसी से लड़ने और इनको दूर करने के मॉडल को जनता समर्थन देगी। जैसा कि आज दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल के शिक्षा, गरीबी उन्मूलन और स्वास्थ्य के मॉडल को अपनाया इसलिए सांप्रदायिक राजनीति करने वालों को सावधान होने की आवश्यकता है।