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“NEET परीक्षा शुल्क से सरकार ने कमाए 245 करोड़ रुपये, खर्च का ब्यौरा देने से किया मना”

मौजूदा दौर में डॉक्टर बनने का सपना कई स्टूडेंट्स के लिए सपना ही बनकर रह गया है। JNU की फीस वृद्धि पर पूरे देश में आंदोलन हुए और बढ़ी हुई फीस को वापस लिया गया। वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर बनने का सपना दिखाने वाली राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा NEET कई स्टू़डेंट्स के सपनों को तोड़ते हुए सरकार को पैसे देने वाली संस्था बनकर रह गई है।

आपको बताना चाहूंगा कि यदि आप MBBS डॉक्टर बनना चाहते हैं तो आपको NEET नामक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा को पास करना होता है जो कि केंद्र सरकार की NTA नामक संस्था के द्वारा कराई जाती है। वर्ष 2016 से भारत के सभी राज्यों में सभी स्टेट पीएमटी को बंद करके NEET को लागू किया गया और NEET के लागू होते ही परीक्षा शुल्क के नाम पर पैसा वसूली का काम शुरू हो गया।

स्टेट पीएमटी की फीस

यदि स्टेट पीएमटी की फीस पर नज़र डालें तो वह करीबन 300 से 500 रुपये के बीच हुआ करती थी। स्टेट पीएमटी कराने का ज़िम्मा स्टेट DME का होता था। स्टेट DME और राज्य सरकारें मिलकर यह तय करती थीं कि परीक्षा फॉर्म शुल्क क्या रखा जाए। कुछ राज्यों की पीएमटी की फीस इस प्रकार थी-

न्यूनतम अगर आप देखेंगे तो सभी राज्यों में पीएमटी फॉर्म परीक्षा शुल्क 500₹ के करीब रहा है और जैसे ही सभी स्टेट में पीएमटी को बंद करके NEET को लागू किया गया, जमाखोरी का धंधा शुरू हो गया।

वर्तमान में NEET UG परीक्षा फॉर्म शुल्क 1400₹ है, वहीं NEET PG की बाते करें तो 3750₹। सरकार किस आधार पर इतनी बड़ी रकम परीक्षा शुल्क के नाम पर ले रही है, वह हमारी समझ के परे है।

2018 में दायर एक RTI की तरफ नज़र डालें तो NEET 2017 में सरकार ने करीब 1450761950₹ स्टूडेंट्स से वसूला, वहीं NEET 2018 के आंकड़े देखें तो यह 1684531800₹ है और खर्च पर नज़र डाले तो मात्र 40 करोड़ है। आखिर बचा पैसे कहां गया? किसके पास गया? उस पैसे का कोई हिसाब किताब नहीं है।

NEET 2019 के आंकड़े चौंकाने वाले, सरकार ने कमाए 245 करोड़ रुपये

NEET 2019 की बात करें तो इसमें सरकार ने एक मोटी रकम स्टूडेंट्स से वसूली है। मेरे द्वारा दायर की गई RTI में जो आंकड़ें बाहर निकलकर आए हैं, वे चौंकने वाले हैं। NEET UG 2019 में सरकार की संस्था NTA ने परीक्षा फॉर्म शुल्क के नाम पर 193 करोड़ रुपये स्टूडेंट्स से कमाएं और NEET PG 2019 की बात करें तो यह आंकड़ा 53 करोड़ रुपये है।

दोनों ही दायर RTI में मैंने सरकार से पूछा कि आपने परीक्षा को कराने में कितना खर्च किया तो इस सवाल का जवाब देने से NTA ने मना कर दिया। अब आप सोच सकते हैं कि किस तरीके से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार के पैसे को सरकार लूट रही है और जमाखोरी कर रही है।

जहां आज देश की अर्थव्यवस्था न्यूनतम स्तर पर आ गई है और देश का युवा बेरोज़गारी की मार झेल रहा है, वहीं परीक्षा शुल्क के नाम पर सरकार पूरी तरह गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार के स्टूडेंट्स का शोषण कर रही है।

जब भारत की सबसे बड़ी परीक्षा UGC की परीक्षा का फॉर्म शुल्क 100₹ हो सकता है, जहां लाखों स्टूडेंट्स परीक्षा देते हैं, तो NEET के लिए 1400₹ सरकार किस हिसाब से वसूल रही है? यह तो साफ-साफ मुनाफाखोरी का तरीका है, जो कि सरकार डॉक्टर बनाने का सपना दिखाकर स्टूडेंट्स से वसूल रही है।

NEET परीक्षा शुल्क पर भी सरकार को नज़र डालनी चाहिए, वरना भविष्य में मेडिकल स्टूडेंट्स भी परीक्षा शुल्क को लेकर सड़कों पर आंदोलन करते नज़र आएंगे।

यही हाल रहा तो आने वाले वर्षों में मात्र अमीर परिवार के स्टूडेंट्स ही इन बड़ी-बड़ी परीक्षाओं में बैठने में समर्थ होंगे और गरीब परिवार के स्टूडेंट्स बस इन परीक्षाओं के नाम सुनकर ही भाग खड़े होंगे। इतने बड़े पैमाने पर परीक्षा शुल्क वसूलना पूरी तरह से शिक्षा के अधिकारों का हनन है और इसपर किसी की नज़र नहीं जा रही है या कहूं कि इस मुद्दे को दबा दिया जा रहा है।

शिक्षा सबका मौलिक अधिकार है, कम-से-कम सरकारी संस्थानों पर तो सरकार मुनाफाखोरी बंद करे, जिससे हर वर्ग के स्टूडेंट्स को शिक्षा के पूरे-पूरे अवसर मिलें।

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