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बांग्लादेशी छात्रा को गृह मंत्रालय ने भारत छोड़ने के आदेश क्यों दिए?

फोटो साभार- सोशल मीडिया

फोटो साभार- सोशल मीडिया

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार विश्वभारती विश्वविद्यालय में प्रथम वर्ष की छात्रा अफसरा अनिका मीम को तस्वीरें पोस्ट करने के बाद सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया। उसके एक दोस्त ने दावा किया कि लगभग 250 सोशल मीडिया पोस्ट में उसे “राष्ट्र विरोधी” बताया गया है।

क्या है उस तस्वीर में?

फोटो साभार- पीटीआई

PTI द्वारा दिसंबर में ली गई यह तस्वीर पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के शांति निकेतन में दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पुलिस की कार्रवाई के विरोध में पुतला दहन करते विश्वभारती विश्वविद्यालय के छात्रों की फाइल फोटो है।

मूल रूप से बांग्लादेश के कुश्तिया ज़िले की रहने वाली छात्रा, मीम विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग से स्नातक की पढ़ाई लिए 2018 के अंत में भारत आईं।

केंद्र सरकार की तरफ से क्या अधिसूचना जारी हुई?

केंद्र सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय के अधीन, विदेशियों के क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, मीम को दो ईमेल भेजे गए।

गृह मंत्रालय द्वारा जारी चिट्ठी।

एक 14 फरवरी को, जिसमें छात्रा को पांच दिनों में अधिकारियों से मिलने के लिए कहा गया था। दूसरा मेल 20 फरवरी को भेजा गया, जिसके तहत मीम को 24 फरवरी तक एफआरआरओ को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया।

छात्रा ने क्या कहा अपनी सफाई में?

पश्चिम बंगाल के विश्व भारती विश्वविद्यालय में एस -1 (छात्र) वीजा के तहत भारत में मौजूद रहकर पढ़ाई कर रहीं अफसरा अनिका मीम ने दावा किया कि उसने मेल प्राप्त करने के बाद अपने ईमेल चेक किए। पत्र में कथित तौर पर दो आदेश थे जिसके अनुसार छात्रा को नोटिस मिलने के 15 दिनों के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा गया था।

मीम ने कहा कि वो यह पता लगाने में असमर्थ थीं कि उसने क्या गलत किया है, जो उन्हें ऐसी सज़ा का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि उसने तस्वीरों को इस लिए पोस्ट किया था, क्योंकि उनके दोस्तों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था।

उनहोंने आगे बताया,

जब मैंने पाया कि लोगों का एक विशेष समूह मुझे सोशल मीडिया पर ट्रोल कर रहा है, तो मैंने तुरंत अपना फेसबुक अकाउंट निष्क्रिय कर दिया, मैं वास्तव में निर्दोष हूं।

बांग्लादेशी छात्र ने कहा कि वह भारत में पढ़ने और एक कलाकार बनने के लिए आई थीं। मीम को अब लिए गए निर्णय की समीक्षा के लिए गुरुवार को कोलकाता में एफआरआरओ अधिकारियों से मिलने की उम्मीद है।

विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों का क्या है मानना?

विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों को संदेह था कि उनके करियर को समाप्त करने के लिए किसी ने शिकायत दर्ज़ कराई थी। टेलीग्राफ के अनुसार, कोलकाता में बांग्लादेश उप उच्चायोग में एक अज्ञात अधिकारी ने कहा कि वे नोटिस से अनजान थे लेकिन हम जानते थे कि वो जांच के दायरे में हैं और ढाका में हमारे वरिष्ठों को सूचित कर दिया है।

पहले भी विदेशी छात्रों को CAA के खिलाफ प्रदर्शन करने पर वापस भेजा गया है

दिसंबर में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास में जर्मन एक्सचेंज छात्र को नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के कारण उसे उसके मुल्क वापस भेज दिया गया था। जैकब लिंडेनथल आईआईटी मद्रास के भौतिकी विभाग में एक विनिमय छात्र थे।

विदेशियों के क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि लिंडेंथल ने विरोध प्रदर्शन में भाग लेकर वीज़ा नियमों का उल्लंघन किया है और संस्था अधिकारियों को मामले की रिपोर्ट करने के लिए बाध्य थी।

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