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धर्मगुरुओं के असंवेदनशील बयान जो आपको सुनने चाहिए

मोहन भागवत

मोहन भागवत

पिछले कुछ सालों से बेहूदा बयान देने का प्रचलन इतना बढ़ गया है कि बेहूदगी भी शर्मा गई। दरअसल, ऐसे बयान देने वालों में नेताओं से लेकर धर्मगुरुओं में आगे निकलने की होड़ दिखाई देने लगी है। आए दिन कोई ना कोई बेहूदा बयान देता ही रहता है।

यदि असंवेदनशील बयानों की एक लिस्ट तैयार की जाए, तो शायद ही सबको शामिल करना पाना संभव होगा।

माहवारी को लेकर दिया गया शर्मनाक बयान

फोटो साभार- सोशल मीडिया

अहमदाबाद में 18 फरवरी को गुजरात के एक धार्मिक नेता ने कहा, “मासिक धर्म के समय पतियों के लिए भोजन पकाने वाली महिलाएं अगले जीवन में कुतिया के रूप में जन्म लेंगी, जबकि उनके हाथ का बना भोजन खाने वाले पुरुष बैल के रूप में पैदा होंगे।”

स्वामीनारायण मंदिर से जुड़े स्वामी कृष्णस्वरूप दास जी ने कथित तौर पर यह टिप्पणी की है। यही स्वामीनारायण मंदिर भुज स्थित श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट नाम के कॉलेज को चलाते हैं, जिसकी प्रधानाचार्य और अन्य महिला स्टाफ ने यह देखने के लिए 60 से अधिक लड़कियों को कथित तौर पर अंत: वस्त्र उतारने को विवश किया कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं हो रही।

ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि लड़कियों ने कथित तौर पर हॉस्टल का वह नियम तोड़ा था, जिसमें मासिक धर्म के समय लड़कियों के अन्य लोगों के साथ खाना खाने की मनाही है।

मुझे तो लगता है कि स्वामी जी की बात सत्य है, वरना आप ही बताइए कि अगर ऐसा नहीं है, तो स्वामी जी में बैल की बुद्धि कैसे आई?

अच्छा हुआ जो स्वामी जी को इस बात का पता चल गया। इसलिए वह अपना अगला जन्म सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे स्वामी जी के बयान से सबसे ज़्यादा लाभ एक व्यक्ति को हुआ है और वह व्यक्ति हूं मैं, क्योंकि भाईजी मेरी हमेशा से इच्छा थी कि काश मेरा जन्म बैल के रूप में हुआ होता। इसके पीछे मेरे व्यक्तिगत कारण हैं, जिसे मैं आपको नहीं बताने वाला हूं। बड़ी सुखद बात है कि स्वामी जी ने मुझे बैल बनने का रास्ता बता दिया है। अबकी बार मनुष्य हूं तो क्या हुआ, अगले जन्म में बैल बनना निश्चित है।

स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कोरोना वायरस को लेकर दिया अजीब बयान

फोटो साभार- सोशल मीडिया

ऐसा ही कुछ अजीबोगरीब बयान अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने कोरोना वायरस को लेकर दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक अवतार है जो मांसाहारियों को सज़ा देने के लिए आया है। 

उन्होंने आगे कहा, “दरअसल, चीन से शुरू हुई इस बीमारी का इलाज ढूंढने में डॉक्टर, साइंटिस्ट आदि लोग लगे हुए हैं। लेकिन यह सब समय व धन की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं है, क्योंकि कोरोना वायरस का इलाज तो महाराज जी के पास पहले से ही मौजूद है।”

उनके अनुसार इस जानलेवा कोरोना वायरस से बचने के लिए गौमूत्र और गोबर का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने आगे  कहा कि “गोमूत्र और गोबर का सेवन करने से इस वायरस का प्रभाव खत्म हो जाएगा। यही नहीं अगर कोई शख्स ओम नम: शिवाय बोलते हुए अपने शरीर पर गोबर का लेप लगाता है, तो कोरोना वायरस से उसकी जान बच सकती है।”

बताओ जी! इतने सस्ते और बढ़िया इलाज की अनदेखी कर रहा है चीन। सरकार को इनकी बात सुननी चाहिए और गौमूत्र और गाय का गोबर लेकर इनको चीन के वुहान शहर भेज देना चाहिए। फिर आपको पता चलेगा कि महाराज जी की बातों में कितनी सच्चाई थी।

बयान देने में RSS चीफ भी नहीं हैं पीछे

मोहन भागवत। फोटो साभार- सोशल मीडिया

अब बात करते है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की। उनका कहना है कि आजकल शिक्षित और संपन्न परिवारों में तलाक के मामले ज़्यादा हो रहे हैं। क्योंकि शिक्षा और संपन्नता से अहंकार आता है जिसका नतीजा परिवारों का टूटना है।” 

इसलिए भैया जी शिक्षित व सम्पन्न होना छोड़िये क्योंकि उससे तो तलाक के मामले बढ़ेंगे। भागवत जी के इस बयान पर The Lallantop के पत्रकार आशीष मिश्रा ने कहा, “पढ़े-लिखे परिवारों में तलाक ज़्यादा होते हैं, बाकियों में बहू की साड़ी में आग जल्दी पकड़ती है।” टिप्पणी बिल्कुल सटीक बैठती है। पढ़- लिखकर कुछ नहीं होने वाला।

हिन्दू- मुस्लमान, पाकिस्तान-हिंदुस्तान, व देशभक्त-देशद्रोही जैसे मुद्दों पर ध्यान दीजिए क्योंकि ये मुद्दे ही देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। दिल्ली का चुनाव BJP ने इन्हीं मुद्दों को मद्देनज़र रखते हुए लड़ा था। हालॉकि BJP चुनाव हार गयी क्योंकि दिल्ली की जनता मुफ्तखोर है जो केजरीवाल के फ्री में स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी, बिजली व परिवहन सुविधा को देने के वायदों में आ गयी। रही बात देशहित के मुद्दों की तो उसे मुफ्तखोरों ने नकार दिया। BJP को बेशक 8 सीटें मिली हों लेकिन फिर भी उसकी राजनीतिक विचारधारा जीत गयी है क्योंकि केजरीवाल को BJP की रामभक्ति की काट के लिए हनुमानभक्ति को लाना पड़ा है।

बेतुके बयान क्यों दिए जाते हैं?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

अब प्रश्न यह है कि ये लोग बेतुके बयान क्यों देते हैं? इसका आसान सा जवाब यह है कि हम सुनते हैं इसलिए वे बोलते हैं। क्योंकि देश भर में इन लोगों के बयानों के श्रोताओं की कमी नहीं है। भारत की बहुसंख्यक जनसंख्या दिमाग से वैसे भी पैदल है और तर्कशक्ति से अभावग्रसित है। इसमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जो शिक्षित हैं और अच्छी जॉब कर रहे हैं।

मेरी नज़र में एक व्यक्ति तब तक शिक्षित नहीं माना जा सकता जब तक उसने मानविकी विषयों जैसे इतिहास, साहित्य, दर्शन, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र अदि का अध्ययन नहीं किया हो। एक इंजीनियर, डॉक्टर, सीए या अन्य टेक्निकल  डिग्रीधारक शिक्षित नहीं माना जा सकता, क्योंकि इनके पास सिर्फ अपने एक क्षेत्र का हुनर है, ठीक वैसे ही जैसे एक बढ़ई बढ़ईगिरी जानता है या लुहार लोहे का काम जानता है।

मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इन लोगो का काम महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि बहुत महत्वहपूर्ण है। ये अपने क्षेत्र में अच्छा हुनर रखते हैं लेकिन इनकी सोच सामाजिक मुद्दों पर एक अनपढ़ व्यक्ति के समान मिलेगी।

इसलिए आप किसी भी क्षेत्र की पढ़ाई करें लेकिन मानविकी विषयों की एक बेसिक जानकारी अवश्य रखें। एक ऐसी संसद पाने के लिए जो विकास के लिए समर्पित हो, अच्छे नेताओं को चुनकर भेजना हमारी ज़िम्मेदारी है। 

ऐसे नेता को वोट करें जो सामाजिक मुद्दों की समझ रखता हो और विकास को प्रमुखता देता हो। धर्मगुरूओं के पास जाना छोड़िये। उनके पास ऐसा कुछ नही है आपको बताने के लिए जो आपको पहले से न मालूम हो। धर्म से ऊपर तर्क को तवज्जो दीजिए। अगर आपने ऐसा चमत्कार कर दिखाया जोकि मुझे नहीं लगता कि ऐसा चमत्कार आप करके दिखाओगे, आप खुद देखोगे कि ऐसे बेतुके बयान आपके सामने आना बंद हो गए।

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