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प्यार करने वालों को हमारा समाज कैरेक्टरलेस क्यों घोषित कर देता है?

तुम्हारे भाई को पता नहीं चलना चाहिए? तुम्हारी माँ या पापा हमारी मुहब्बत के बारे में तो नहीं जानते? आखिर कब तक ऐसे ही हम छुप-छुप पर प्रेम करेंगें? तुम्हे अपने पापा से बात करनी चाहिए कि हम मुहब्बत करते हैं! कुछ ऐसी पंक्तियां बेशक हर प्रेम कहानी में मिलेगी, चलिये इस पर चर्चा करेंगें।

इस समय माहौल में एक अलग चहक देखने को मिल रही है, कारण साफ है प्रेमियों का पर्व वैलेंटाइन वीक आ चुका है। युवाओं के चेहरों पर इसको लेकर अलग ही रंगत देखने को मिलती है। एक दूसरे को देखते ही जहां प्रेमी जोड़े मुस्कुराने लगते हैं, प्रेम को मज़बूत करने का दौर चलता है और इसी बीच एक सामान्य बात जो निकलकर सामने आती है वह है ‘डर’। बेशक प्रेमी जोड़े अपने प्रेम को लेकर हर तौर तरीके आज़माना चाहते हैं लेकिन वो सब कुछ समाज से छुपाकर। परिवार तो दूर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के सामने भी युवा अपने प्रेम का ज़िक्र नहीं करना चाहते।

आज के समाज ने प्रेम को लेकर जो धारणा अपने मन में तैयार की है वह बेहद अजीबोगरीब है। आज प्रेम को समाज अश्लीलता से देखने लगा है। यह दिलचस्प है, युगों पहले जो प्रेम एक पवित्र बंधन हुआ करता था वो आज ‘अश्लील’ कैसे बन गया है? आज मुहब्बत तो दूर शायद उस शब्द को भी लोग स्वीकारना नहीं चाहते है। एक प्रेमी जोड़ा अगर प्रेम करता है तो उसे तमाम तरह की दुश्वारियों से तब तक जूझना पड़ता है जब तक वह प्रेम को लेकर अपने परिजनों की धारणा नहीं जान जाता। ऊपर लिखी गईं लाइनें इसी का हिस्सा बनती हैं। जब प्रेम शुरू होता है तो सबसे पहले मन में जो सवाल आते हैं वह यही होते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक असर

प्रेम को अश्लील मानने और उसे एक अलग नज़रिये से देखने का चलन या धारणा केवल शहरों में नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर देखने को मिल सकता है। बेशक आप किसी ग्रामीण इलाके के व्यक्ति से बात करेंगें तो मान जाएंगे, आखिर उसके मन में प्रेम को लेकर क्या है? वह आज की मुहब्बत को उस नज़रिये से स्पष्ट करता है जैसे मानो वह एक बहुत बड़ा अपराध है। बेशक मैं ग्रामीण इलाके से आता हूं तो मैंने इसको लेकर एक सज्जन से राय पूछी। उन्होने साफ साफ कहा कि आज मुहब्बत कहां है? सब सेक्स करने का ज़रिया मात्र है। लड़के-लड़कियां सिर्फ इसलिये प्रेम करते हैं ताकि वह अपनी कामुकता को शांत कर सकें, वाकई मैं हतप्रभ था? क्या सभी ऐसे होते हैं और अगर चंद लोग ऐसे होते हैं तो सभी प्रेमी जोड़ों को एक साथ तौलना जायज़ है?

कैरेक्टर तय होते हैं इसलिये यंग इंडिया डरता है

आज प्रेम या मुहब्बत से इंसान उस जोड़े को चरित्र प्रमाणपत्र भी देता है। यंग इण्डिया का मुहब्बत करने से डरने का यह सबसे बड़ा कारण है। प्रेम करने के बाद अगर वह समाज के सामने आता है तो उसका चरित्र हनन किस तरह से किया जायेगा? यह बात उसके दिमाग में पहले ही घूमने लगती है। पार्काें, सार्वजनिक स्थलों पर खुलकर घूमने से प्रेमी कपल डरने लगता है कि अगर किसी जानने वाले या उसके घर वालों भी देख लिया तो उसको किस नजरिये से देखा जायेगा?

आखिर क्यों नहीं बदल सकते सोच?

जब समाज की सोच पुरानी हो चुकी है तो उसे बदलने की ज़िम्मेदारी भी इसी समाज को लेनी होगी। आज युवाओं को प्रेम करने पर पैरों में पड़ी बंदिशों को हटाने के लिये एक जागरूक सोच को जन्म देना होगा और इसके लिये यंग इंडिया को एक छवि तैयार करनी होगी और समाज को बताना होगा कि जिस सोच के सहारे आप हमारे ऊपर आरोप थोप रहे हैं उस सोच को बदलकर एक सकारात्मक दिमाग तैयार करिये। प्रेम आज भी एक बंधन है। जो सीमाएं, जाति-पाति नहीं देखता। जिसका उदाहरण है वेस्ट बंगाल की एक घटना जहां एक गांव में एक युवक से चीन की युवती ने शादी की है। पिछले सात वर्षाें से जो प्रेम चल रहा है वह कोई अश्लीलता नहीं थी बल्कि एक उदाहरण था समाज के सामने ताकि सो चुका समाज नई धारणा के साथ जाग सके।

अब महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आज के माहौल में युवाओं की मुहब्बत को लेकर समाज इतना थकी सोच क्यों रखता है। जो प्रेम युगों युगों से पवित्रता का एक बंधन माना जाता रहा है आज समाज उस प्रेम को अश्लीलता के तराजू में तौलकर किस ज्ञान का परिचय दे रहा है? युवा अपने लिये एक जीवनसाथी चुनता है उसे हर वो सब कुछ देना चाहता है और उसकी कल्पना भी करता है लेकिन आज के समाज ने जब इसे महज अश्लीलता समझ लिया हो तो उसका सपना तो टूटता है साथ ही वो शख्स भी प्रेम शब्द से डरने लगता है जो प्रेम करना चाहता है।

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