Site icon Youth Ki Awaaz

“कभी खुद RTI एक्टिविस्ट रहे अरविंद केजरीवाल मेरी RTI का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं?”

2015 में अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव जीतकर 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का वादा जनता से कर दिया पर क्या वाकई में अपने किये गए वादे को आम आदमी पार्टी पूरी कर पाई है? आंकड़ो पर गौर करें तो नहीं।

आम आदमी पार्टी 1000 के आंकड़े के आस पास भी नहीं दिखाई दे रही है। आज की वर्तमान स्थिति को देखें तो केजरीवाल सरकार ने अब तक मात्र 450 मोहल्ला क्लीनिक ही खोले हैं। इनमे से भी 150 मोहल्ला क्लीनिक चुनाव को नज़दीक देखकर जनवरी 2020 में खोले गए। हम सबको पता है कि सरकारें किसी की भी हो लेकिन सही मायने में कार्य तो चुनाव के कुछ माह पहले ही होता है ।

मोहल्ला क्लीनिक के बजट में कमी क्यों?

वर्ष 2018-2019 के दिल्ली बजट के आंकड़ो पर नज़र डालें तो आम आदमी पार्टी ने 403 करोड़ रुपये मोहल्ला क्लीनिक खोलने के लिए बजट में पेश किए लेकिन मात्र 191 मोहल्ला क्लीनिक ही खोल पाएं। उनमें भी मौलिक सुविधाओं की कमी है। कहीं दवाईयां उपलब्ध नहीं और कहीं डॉक्टर नहीं।

विभिन्न मोहल्ला क्लीनिकों का जायज़ा लेने पर पता चला कि यहां मरीज़ों की संख्या के अनुसार मोहल्ला क्लीनिक में कर्मचारियों की भारी कमी है। ज़्यादातर मोहल्ला क्लीनिकों में जांच की सुविधा ही नहीं है। कई जगह तो स्थानीय लोगों को पता ही नहीं है कि क्षेत्र में मोहल्ला क्लीनिक कहां और कब खुला है।

वर्ष 2019-20 के बजट के आंकड़ों को देखें तो 403 करोड़ रूपये से काम करके 220 करोड़ कर दिया गया है। एक तरफ केजरीवाल सरकार 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का बिगुल पूरे चुनावी माहौल में बजा रही है और बजट के आंकड़ों को देखें तो बजट को आधा कर अपने ही किये वादों को पूरा ना करने की वास्तविक को ज़ाहिर कर रही है।

सोचने वाली बात है यदि आम आदमी पार्टी को वास्तव में 1000 मोहल्ला क्लीनिक दिल्ली की जनता को देना है तो बजट में इतनी कमी क्यों? या मोहल्ला क्लीनिक के अपने मॉडल पर संदेह होने लगा है?

किराया देने में करोड़ों खर्च

वर्तमान नये आंकड़ों को देखें तो दिल्ली के 450 मोहल्ला क्लीनिकों में 175 मोहल्ला क्लीनिक ऐसे हैं, जो किराये के मकानों में चल रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा जारी किये गए एक ड्राफ्ट की तरफ नज़र डालें तो पता चलता है कि 30000 रुपए प्रति माह की दर से किराया दिया जा रहा है।

यदि हम कुल वार्षिक खर्च का अंदाज़ा लगाएं तो यह 6 करोड़ 30 लाख रुपये पर आ पहुंचता है, जो कि प्रस्तावित बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा है।

मोहल्ला क्लीनिक पर किया गया खर्च बताने से इनकार

आरटीआई के अधिकारों को लेकर अरविन्द केजरीवाल ने खूब लडाई लड़ी पर जब खुद सरकार में आए तो आरटीआई को भूल गए। आरटीआई के सवालों के जवाब देना ज़रूरी नहीं समझते।

मैंने हाल ही में एक आरटीआई  दायर की। अगर उसपर नज़र डालें तो केजरीवाल सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक खोलने के खर्च को बताने से इनकार कर दिया। आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक सेल ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि दिए गए और खर्च की गई राशि का हमको पता नहीं है। यहां तक कि दवाईयों पर सरकार ने कितना खर्च किया उसका भी कोई हिसाब किताब सरकार के पास या तो नहीं है या तो वे बताना नहीं चाहती ।

विवेक द्वारा मोहल्ला क्लीनिक की जानकारी हेतु दायर की गई RTI का जवाब

ज़ाहिर सी बात है अगर खर्च बता दिया गया तो कमियां दिख जाएंगी और अपनी कमियों को छुपाने का बेहतर तरीका है आंकड़ो को छुपाना। पिछले 2 वर्षों में केजरीवाल सरकार ने 623 करोड़ रुपये का बजट पेश तो कर दिया लेकिन उसके खर्च को छुपाना और 1000 मोहल्ला क्लीनिक के आंकड़ें के आसपास भी ना होना, कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है।

सरकार अपनी कमियों को लाख छुपा ले पर तथ्यों को नहीं छिपा सकती। तथ्य वास्तविकता दिखा ही देते हैं।

अब देखना यह है कि आने वाले समय मे आम आदमी पार्टी की सरकार, जनता से किये वादों पर कितना खरी उतरती है। मोहल्ला क्लीनिक पर तो आज के मौजूदा हालात में सरकार विफल ही साबित हुई है ।

Exit mobile version