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पिछले 6 वर्षों में आयुष कॉलेजों को खोलने के लिए एक भी रुपया नहीं दिया गया है

विदेशी को त्याग के स्वदेशी को अपनाने का आलाप गाती सरकार अपने ही देश के आयुष छात्रों को भूल गई है। आपको बताना चाहूंगा यदि आप आयुर्वेदिक चिकित्सक बनना चाहते हैं और देश की जनता की सेवा करना चाहते हैं, तो आपको BAMS का पंच वर्षीय कोर्स पूरा करना होता है, जिसके लिए रास्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर नीट के नम्बरों के आधार पर कॉउंसलिंग कराती है। इस आधार पर अलग-अलग शासकीय और प्राइवेट आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन होते हैं।

RTI से मिले जवाब आंख खोलने वाले है

मेरे द्वारा आयुष मंत्रालय को दायर की गई RTI से जो आंकड़े सामने आए हैं, उन्हें मैं भी देखकर हैरान हो गया हूं। RTI में साफ-साफ पता चलता है कि कैसे सरकार स्वदेशी पर इतना ज़ोर देती है लेकिन फिर भी भारत की हज़ारों साल पुराने आयुर्वेद की तरफ कतई ध्यान नहीं है।

मेरी RTI से मिले जवाबों को देखें तो वर्ष 2013- 2018 के बीच केंद्र एवं राज्यसरकार ने मात्र 8 नए शासकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों का गठन किया। मतलब की पूरे भारत को मात्र 8 नए कॉलेज मिले। यह आंकड़ें साफ साबित करते हैं की भारत सरकार मेडिकल क्षेत्र को बढ़ावा देने की जगह और अंधकार में झोंक रही है।

वर्ष 2014 से 2019 की तथ्यात्मक तुलना

वर्ष 2014 में भारत मे कुल 260 आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज थे, जिनमें मात्र 54 शासकीय और 206 प्राइवेट कालेज थे। कुल UG सीटों की संख्या को देखें तो वह 13152 होती है, जिसमें शासकीय कॉलेज में मात्र 2577 सीटें ही थीं। पोस्ट ग्रैजुएशन पर नज़र डालें तो शासकीय कॉलेज में मात्र 632 सीट हैं, जो कि भारत के 29 कॉलेजों में उपलब्ध हैं। प्राइवेट पोस्ट ग्रैजुएशन की सीटों को देखें तो वह 2014 में 1809 थी।

मेरे द्वारा RTI के हाल ही में मिले जवाबों को देखें, तो वर्ष 2019 में कुल शासकीय कॉलेजों की संख्या 65 पहुंची है। उनमें से कई नए कॉलेज टेम्पररी परमिशन पर चल रहे हैं। कभी भी इन नए कॉलेजों की मान्यता रदद् की जा सकती है।

आज की वर्तमान UG सीटों पर गौर करें, तो वह शासकीय कॉलेजों में 3915 हुई है और पीजी के आंकड़ों पर नज़र डालें तो 1346। मतलब पिछले 6 सालों से देश के शासकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों को मात्र 1338 सीटें UG में और 948 सीटें PG कोर्स में मिली हैं।

मेरे द्वारा पूछे एक प्रश्न के उत्तर में एक और अजीब बात सामने निकल कर आई। 2013 से 2019 तक आयुष मंत्रालय को नया कॉलेज खोलने के लिए एक रुपया भी नहीं दिया गया है। अजीब बात है, जब सरकार पैसे नहीं लगायेगी तो कॉलेजो की संख्या कैसे बढ़ेगी?

भारत के 3 राज्य जहां आज भी कोई शासकीय आयुर्वेद कॉलेज नहीं है-

  1. गोवा
  2. झारखंड
  3. चंडीगढ़

प्राइवेट में कैसे लें दाखिला

एक गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार का छात्र प्राइवेट कॉलेजों की लाखों-करोड़ों की फीस नहीं दे सकता है। उसके पढ़ने और आगे बढ़ने का एक मात्र ज़रिया शासकीय कॉलेज ही होता है और जिस प्रकार सरकार ने आयुष क्षेत्र को नज़रअंदाज किया है, उसपर वह छात्र करे भी तो क्या?

फीस वृद्धि का विरोध प्रदर्शन करते उत्तराखंड आयुर्वेदिक कॉलेज के विद्यार्थी, फोटो साभार – bleeding ayurveda फेसबुक पेज

एक एक्टिविस्ट के रूप में मैंने अपना काम किया। इस मुद्दे को सरकार के सामने लाने की कोशिश की। मुझे कई मेरे मित्र जो BAMS कर रहे हैं और जो पोस्टग्रेजुएशन को तयारी कर रहे हैं वे इस मुददे को उठाने को बोलते आ रहे हैं। वे सभी छात्र लगातार UG और PG की सीटों को बढ़ाने की माग कर रहे हैं।

यदि भारत को अपने हज़ारों वर्षों पुराने आयुर्वेद को जीवित रखना है, तो सरकार को इस बेरुखी को दूर करना होगा। आने वाले समय मे आयुष के छात्रों और देश के बेहतर भविष्य के लिए सुयोजित तरीके से निर्णय लेने होंगे।

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