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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नाम शाहीन बाग की महिलाओं का खुला पत्र

नागरिकता कानून के खिलाफ शाहीन बाग का प्रदर्शन एक अद्भुत प्रदर्शन है जिसका नेतृत्व हमारी देश की महिलाएं कर रही हैं। लेकिन पितृसत्ता और नफरत की बयार इनके खिलाफ रुकने का नाम नहीं ले रही है। तरह-तरह के नफरत भरे भाषणों और गोली मारने की कोशिशों के बीच भी ये महिलाएं विरोध करने के अपने संवैधानिक हक को थामे हुई हैं।

इन महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और उसपर देश के प्रधानमंत्री की चुप्पी को देखते हुए 162 महिलाओं सहित 13 संस्थाओं ने प्रधानमंत्री  के नाम एक खुला खत लिखा है। इस खत की हस्ताक्षरकर्ताओं में देवकी जैन, (नारीवादी अर्थशास्त्री) लैला तयाबजी (दस्तकार की चेयरपर्सन), मधु भदूड़ी (पूर्व राजदूत), ज़ोया हसन (पूर्व प्रोफेसर और सदस्य, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग), उमा चक्रवर्ती, (नारीवादी इतिहासकार और फिल्म निर्माता), कमला भसिन (जेंडर एक्टिविस्ट) जैसी एक्टिविस्त और सहेली, पिंजरा तोड़, WSS,  AIDWA, AIPWA, NFIW, मकाम- महिला किसान मंच , मुस्लिम महिला मंच आदि जैसे संगठन शामिल हैं।

पढ़िए खुला खत

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र

3 फरवरी, 2020

बीजेपी के लिए वोट करो वरना आपका बलात्कार हो जाएगा? क्या दिल्ली की महिलाओं के लिए आपका यह संदेश है? आपकी पार्टी लगातार भीड़ को प्रोत्साहित कर रही है कि वो महिलाओं और बच्चों को गोली मारे।

हम आपसे निवेदन करते हैं कि कृपया अपनी पार्टी के लोगों को महिलाओं को डराने और धमकाने से रोकें। हमारे देश के संविधान की गरिमा बनाते हुए इस चुनाव को लड़ें।

प्रिय प्रधानमंत्री जी,

हम महिलाएं जो दिल्ली के साथ-साथ देशभर से हिन्दू, मुस्लिम, इसाई, सिख, आदिवासी और दलित समुदायों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, आपकी पार्टी द्वारा चुनाव जीतने के लिए हमारे खिलाफ बनाई गई हिंसात्मक माहौल के संदर्भ में आपसे कुछ कहना चाहती हैं।

क्या बीजेपी सरकार अब खुलेआम देश की महिलाओं और बच्चों के के जीवन को खतरे में डाल रही है? आपकी पार्टी के सदस्यों द्वारा बनाए गए इस हिंसक माहौल का सीधा परिणाम है, जिसने 30 जनवरी को जामिया में निर्दोष छात्रों पर गोली चलाने के लिए ‘राम भक्त’ गोपाल को प्रेरित किया, और आपकी पार्टी द्वारा फैलाए जा रही नफरत के कारण एक और आतंकवादी ने 1 फरवरी को शाहीन बाग की महिलाओं पर फायरिंग की।

लाखों लोग वहां (शाहीन बाग) इकट्ठा होते हैं। दिल्ली के लोगों को सोचना होगा और फैसला लेना होगा। वे आपके घरों में प्रवेश करेंगे, आपकी बहनों और बेटियों के साथ बलात्कार करेंगे, उन्हें मारेंगे।

इस तरह की सांप्रदायिक घृणा और भय का कारण यह है कि आपकी सरकार जो कि इस देश के शीर्ष पर है, इस नफरत को प्रोत्साहित कर रही है। ऐसी नफरत जो सभी समुदायों की महिलाओं को अधिक असुरक्षित महसूस करा रही है? बीजेपी को वोट दो वरना तुम्हारा बलात्कार हो जाएगा! क्या यह दिल्ली की महिलाओं के लिए आपका चुनावी संदेश है? क्या आपकी पार्टी इस स्तर तक गिर गई है?

शाहीन बाग

माननीय प्रधानमंत्री जी, महिलाएं बलात्कार का मतलब समझती हैं। आपके “बेटी बचाओ” के नारे के बावजूद हम महिलाएं लंबे समय से शारीरिक हिंसा का सामना कर रही हैं जिसपर न्याय की उम्मीद भी कम रहती है।

हम आपके उन सारे तुच्छ और विभाजनकारी प्रयासों की निंदा करते हैं जिनका मकसद हमारे ऐतिहासिक संघर्षों को नीचा दिखाना है।

हमें दिल्ली के शाहीन बाग़ों से डर नहीं है, माननीय प्रधानमंत्री जी। हमें डर है एक सरकार का, जो अपनी सुरक्षा बलों को छात्रों, महिलाओं और पुरुषों के शांतिपूर्वक विरोध करने पर, हमला करने का निर्देश देती है। हमें डर है उन निर्वाचित सदस्यों का, जो खुले आम आम नागरिकों को धमकी देते हैं और डर है उस पुलिस बल का, जो नफरत से भरी बयानबाज़ी से प्रेरित लोगों को हिंसा करते हुऐ चुपचाप देखती रहती है।

आपकी सरकार NPR-NRC-CAA के खिलाफ इस देशव्यापी विद्रोह के कारणों से असहमत हो सकती है। लेकिन शांतिपूर्ण विरोध हमारा संवैधानिक अधिकार है और वही हम कर रहे हैं। दिल्ली की लाखों महिलाएं ना सिर्फ इस प्रोटेस्ट में भाग ले रही हैं बल्कि वे इस प्रोटेस्ट का नेतृत्व कर रही हैं। आज सशक्त महिलाएं सुर्खियों में हैं।

शाहीन बाग

आज जब महिलाओं को आतंकवादी और देशद्रोही कहा जा रहा है, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। क्योंकि आज वे ये लड़ाई हमारे देश के संविधान को बचाने के लिए कर रही हैं।

प्रधानमंत्री जी, आप भाजपा के हो सकते हैं, लेकिन आप देश के प्रधानमंत्री हैं और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आपका एक संवैधानिक दायित्व है। जब आपकी पार्टी के सदस्य हिंसा और गोलियों का उपयोग करने के लिए मॉब को उकसाते हैं और आप चुप रहते हैं या उनका समर्थन करते हैं, तो ऐसे में याद रखिए कि इसके ज़िम्मेदार आप ही हैं।

आपको दिल्ली के चुनाव को इस तरह से लड़ना होगा जो हमारे संविधान की गरिमा को बनाए रखे और भारत की महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें।

जारीकर्ता
13 संस्थाएं और 162 महिलाएं

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