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#Periodपाठ: माहवारी ने बढाई स्कूल में अनियमितता

सेवा में,

श्रीमती सांसद महोदया जी

राजसमन्द संसदीय क्षेत्र  

 राजस्थान

            

विषय:- माहवारी ने बढाई स्कूल  में अनियमितता !

     आदरणीय सांसद महोदया जी जैसा की एक महिला होने के नाते आपको पता होगा कि हमारे गाँव में महिलाओं से जुडी निजी समस्या बहुत है जिनका समाधान करने हेतु प्रशासन के साथ साथ लोगो में जागरूकता का होना अति आवश्यक है क्योंकि जब जनता व प्रशासन मिलकर काम करे या किसी समस्या की गम्भीरता को लेकर चिंतन मनन करे तो उसका समाधान हमको आसान और हमारे बीच ही  देखने को मिलते है|

     मैं इस गाँव की नागरिक होने के नाते आपका ध्यान हमारी ऐसी ही एक  समस्या  की और लेकर जाना चाहूंगी जिसके बारे में सोचना तो दूर हम समाज में बात तक करना उचित नहीं मानते| माहवारी आना कुदरती प्रक्रिया है लेकिन हमारे समाज में इसको लेकर अलग अलग धारणा बनी हुई है जिनके कारण महिला को माहवारी के समय मन्दिर मस्ज्जिद में जाना वर्जित माना जाता है इसके अलावा भी घर में पिने के पानी को न छूना व रसोई घर में न जाना जैसे कई पाबंदियां लगा दी जाती है ऐसे में माहवारी में उपयोग किये जाने वाले पेड को कहा रखा या फेका जाये ये एक बहुत बड़ी समस्या है अक्सर स्कुल में पढने वाली लडकियों ने बताया की उसके द्वारा उपयोग किये गये पेड को  उसने प्लास्टिक कवर में डाल कर अपने बैग में रखना पड़ा क्योकि उसको स्कुल में फेकने की कोई जगह नहीं मिली थी, सहपाठियों की घूरती नज़रों ने मुझे शर्मसार करने में कोई कमी नही छोड़ी, एक बार तो लगा की लड़कियों को इन दिनों स्कूल नही आना ही सही है और घर में एकत्रित किया जाने वाला कचरा भी गाँव के बाहर जहाँ फेका जाता है वहा आवारा पशु उस कचरे को खाते हुए देखे जाते है ऐसे में गाय द्वारा पेड खाने को फिर पाप और पुण्य से जोड़ दिया जाता है ऐसे में यह एक बहुत ही गम्भीर समस्या है जिनके समाधान के लिए आपसे निवेदन है की आप पंचायत की ओर  गाँव में जिस तरह चोराये पर कचरा पात्र रखते है वही खासकर स्कुल में पेड नष्ट करने की मशीन भी लगवा दी जाये तो इस समस्या से निजात पाया जा सकता है | अगर आदर्श गाँव की सोच से हर गाँव में भी सुविधा हो तो बेहतर होगा, जिससे पेड को इधर उधर न फेक कर नष्ट किया जा सके और लोगो में पहले की तुलना अधिक जागरूकता लाई जा सके और गाँव को स्वच्छ बनाया जा सके और साथ ही माहवारी में महिला को सम्मान मिल सके और कपडे की बजाय पेड का उपयोग किये जाने को  प्राथमिकता मिल सके |

बालिकाओं का 4 से 5 दिन तक माहवारी के समय स्कुल न आने के कारण स्कुल में अनियमितता बढ़ती है जो बालिका शिक्षा को प्रभावित करने का एक बड़ा कारण है | जिससे की बालिका न केवल पढाई में पिछड़ जाती है बल्कि हिन भावनाओं से भी ग्रसित हो जाती है | जिससे उसके आत्मविश्वास को आघात पहुँचता है|

                 

     मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है की आप इस विषय की गम्भीरता को समझते हुए इसके लिए प्रभावी कदम उढ़ाकर इसकी पहल अवश्य करेंगे आपके इस तरह की पहल से न केवल गाँव में जागरूकता बढेंगी बल्कि गाँव के लोग इस बारे में सोचना भी शुरू करेंगे |

 

पूजा सिंह

सामाजिक कार्यकर्ता 

रूम टू रीड

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