नहीं कबूल मुझे उनके बगैर रहेना
जो साथ लड़े आज़ादी के लिए।
सुख-दुख में साथ रहे
हमलों में जान बचाई
त्यौहारों में खुशियां बांटी
फिल्मों में अभिनय किया,
अनगिनत नग्मों को सुर संगीत में ढाला
सुरों ने जीवन को जीना सिखाया
मसालों ने खाना तेज महेक बनाया
देश की भिन्नता को हर समय देखा
जल जंगल ज़मीन को बचाते देखा
अधिकार के लिए साथ में लड़ते देखा
बड़े सपने के बगैर एक दूसरे को मदद करते देखा
गरीब अमीरी का अंतर तो पहले से देखा
फिर भी हमने हम सभी को साथ देखा
अमीर ने अमीर बनने में होड़ लगा दी
गरीब ने प्यार को लुटाने में जिंदगी लुटा दी
हर जगह से हर मेहनतकश ने देश को बनाया
नहीं कबूल मुझे उनके बगैर रहना।
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मैं सुवर्णा , मुझे लगता है समाज में हर इंसान को खुशी खुशी जीने का अधिकार है। इसे पाने के लिए समाज में निरोगी वातावरण और एक दूसरे के प्रति आदर होना ज़रूरी है। साथ ही हर मन में खिलाडू वृत्ती होने से अपने आसपास मानवता को खत्म करने वाली कोशिशों को “तोड़ो और राज करो” की बढ़ती मानसिकता को हम नाकामयाब कर सकते हैं ।