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दूषित होती नदियों पर हमारी चुप्पी आखिर कब टूटेगी?

प्रदूषण

प्रदूषण

अब समय आ गया है कि पानी का इस्तेमाल ढंग से करें या यूं कहें कि अब समय आ गया है कि पानी के इस्तेमाल‌ का तरीका बदलें। वरना दिन दूर नहीं जब पानी भी सिर्फ कुछ लोगों के बस का रह जाएगा।

हमारे देश में पानी संचय के लिए जो साधन और व्यवस्थाएं हैं, वे दुरुस्त नहीं हैं। एक ही देश में विषम परिस्थितियां देखने को मिलती हैं। बारिश के महीनों में जहां देश के ज़्यादातर हिस्से बाढ़ से प्रभावित होते हैं, वहीं गर्मी में यही इलाके सूखाग्रस्त होते हैं।

सोचने की बात है कि आखिर ऐसा क्यों? तो इसका मुख्य कारण  बारिश के पानी को संग्रह करने की व्यस्था का ना होना है।

बारिश के पानी को बांध, छोटे-छोटे चेक-डैम एवं कुवें के अलावा और कहीं संग्रहित नहीं किया जाता है, जिससे यह पानी बहकर नदी में और नदी से समुंदर में समा जाता है। साथ ही साथ हमारे देश में ज़मीनी पानी का स्तर गिर रहा है। अगर बाढ़ का पानी ज़मीन के अंदर उतारा जाए, तो ज़मीनी पानी के स्तर को भी ऊंचा किया जा सकता है। इसके लिए तेज़ी से काम करने की आवश्यकता है।

उद्योग के अपशिष्ट से दूषित हो रही हैं नदियां

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

उद्योग भी पानी का दुरूपयोग करते हैं। वे केमिकल और अन्य रसायन युक्त पानी को नदी या नाले में छोड़ देते हैं, जिससे पानी दूषित होता है। कोई ऐसी तकनीक को प्रयोग में लाने की ज़रूरत है ताकि सभी औद्योगिक इकाइयों‌ में यही पानी उपयोग में दोबारा लाया जा सके।

सीधे शब्दों में कहा जाए तो ऐसा वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट हर औद्योगिक इकाइयों में उपलब्ध हो, जो दूषित पानी को साफ करके इसी पानी को दोबारा उपयोग में लाने के योग्य बना सके।

सोचिए पानी का गलत उपयोग क्या मंज़र दिखा सकता है

अब बात पानी के उपयोग की, हम देखते हैं कि जिनको पानी आसानी से 24 घंटे मिलता है, वहां पानी का दुरूपयोग ज़्यादा होता है। ज़रूरत से ज़्यादा पानी का इस्तेमाल होता है। इसका एक कारण यह भी है कि हर घर में पानी के मीटर नहीं लगे हैं। मीटर की सुविधा कुछ राज्यों और शहरों में हैं मगर अधिकांश जगहों पर नहीं हैं।

यही कारण है कि पानी के घरेलू उपयोग पर नियंत्रण नहीं हो रहा है। देश के हर घर और सार्वजनिक स्थल पर पानी के मीटर लगने चाहिए जिससे पानी का उपयोग नियंत्रित हो।

पेड़ कटने से आबोहवा बदली

पेड़ों की कटाई। फोटो साभार- सोशल मीडिया

आज पेड़ काटे जा रहे हैं, जिससे आबोहवार में परिवर्तन के चलते बारिश के मौसम में भी बदलाव आया है। अपने भारत देश में, जहां चेरापूंजी में ज़्यादा बारिश होती है, इस बार वहां बेहद कम बारिश हुई है। दूसरी तरफ, राजस्थान के रेगिस्तान में बाढ़ आई।

इससे स्पष्ट है कि इसका कारण आबोहवा परिवर्तन ही है। अगर समय रहते हम नहीं जागे, तो आगे बहुत गंभीर परिणाम आएंगे।

सच स्वीकारने की ज़रूरत

पानी कुदरत का अनमोल तोहफा है। इसका विवेकपूर्ण उपयोग बेहद ज़रूरी है। हमारे लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण पर्यावरण और समस्त जीव-जंतु के लिए पानी ज़रूरी है। सभी जीव हवा और पानी के ज़रिये अस्तित्व बचाए रख सकते हैं मगर अफसोस हम पानी के महत्व को जानकर भी अनदेखा कर रहे हैं।

उसे दूषित कर रहे हैं और ज़रूरत से ज़्यादा व्यय कर रहे हैं। पानी के अन्य स्रोत जैसे कि ग्लेशियर, उत्तरी और दक्षिण ध्रुव पर भी आबोहवा के परिवर्तन का असर विश्व के बारिश के मौसम पर प्रभाव डाल रहा है।

आज हम जो मिनरल वॉटर की बोतल को शौक की खातिर पी रहे हैं। भविष्य में यही एक बोतल आपके जीवन के लिए महत्वपूर्ण हो जाएगी, क्योंकि जिस तरह पानी की बर्बादी हो रही है, वह दिन दूर नहीं कि पानी की एक बोतल का भाव हज़ारों में हो।

इसलिए कहना चाहता हूं कि पानी सोने के भाव बिकने से पहले हम सुधर जाएं और पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करें।

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