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दिल्ली हिंसा: “मैं हिन्दू हूं मगर अपने घर के बाहर ‘मारो सालो मुल्लों को’ जैसे नारों से सहम गया हूं”

फोटो साभार- सोशल मीडिया

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जाफराबाद में अब स्टेज बनाया जा रहा है

एक और इलाका जहां अब भारत का कानून चलना बंद।

सही कहा था मोदी जी ने शाहीन बाग एक प्रयोग था,

एक एक करके सड़को, गलियों , बाज़ारों, मुहल्लों को खोने के लिए तैयार रहिए

चुप रहिए, जब तक आपके दरवाज़े तक ना आ जाएं, चुप रहिए।

यह ट्विट किसी और का नहीं, बल्कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा का है, जिन्होंने सीएए और एनआरसी के खिलाफ दिल्ली के जाफराबाद में लगभग पिछले डेढ़ महीने से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच एक विवादित बयान दे दिया।

बताया जाने लगा कि कपिल मिश्रा के इस विवादित ट्विट के बाद से ही सीएए और एनआरसी को सपोर्ट करने वाले लोग जोश से लबरेज़ होकर धरने पर बैठे लोगों को खदेड़ना शुरू कर दिया।

हालांकि खबरें यह भी आ रही हैं कि रविवार को जब सीएए और एनआरसी के समर्थन में कपिल मिश्रा जब वहां पहुंचे, तब विरोध प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों ने कपिल मिश्रा के समर्थकों पर पथराव करना शुरू कर दिया, जिससे सीएए, एनआरसी के समर्थकों और विरोधियों के बीच का विवाद और उग्र हो गया।

इससे पहले ऐसा मंज़र नहीं देखा था

सीएए और एनआरसी के समर्थन में प्रदर्शन

मैं मौजपुर में लगभग पिछले 10 सालों से रह रहा हूं। इससे पहले शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि दंगा इतना ज़्यादा भड़क गया हो मगर जिस तरह से लोगों को पीटा जा रहा है, गाड़ियां, लोगों के घर और मजार जलाई जा रही है, वाकई यह परेशान करने वाली तस्वीर है।

रविवार की जो स्थिति थी, उसके बाद लगा कि सोमवार के बाद स्थितियां नियंत्रण में होंगी मगर हालात सुधरने के बजाए और बिगड़ गए। मैं जब ये सारी बातें लिख रहा हूं, तो अपने दफ्तर में हूं मगर पिछले तीन दिनों से जो नज़ारा मैं देख रहा हूं अपने इलाके में, वे बेहद डरावने हैं।

दिल्ली देश की राजधानी है, जहां आए दिन किन्हीं वजहों से अलग-अलग घटनाएं होती रहती हैं। खासकर, तब से जब से सीएए और एनआरसी को लेकर देश में एक बहस की शुरुआत हुई है मगर देश के विभिन्न इलाकों में जो लोग टीवी पर बैठकर मौजूदा घटनाक्रम को देख रहे हैं, उनसे बस यही कहना है कि आप ज़मीनी सच से कोसों दूर हैं, क्योंकि जब सोमवार को सोकर मैं उठा, तो हालात काफी अनियंत्रित थे।

‘काटो सालों कटुओ को’ का नारा भयावह था

फोटो साभार- सोशल मीडिया

लोगों की भीड़ हाथों में तलवार लेकर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए कह रहे थे, “काटो सालों कटुओ को।”

आप सोच सकते हैं कि एक धर्म विशेष के खिलाफ इस तरह की बातें यदि खुलेआम की जाएं तो लोगों पर इसका क्या असर पड़ेगा और सबसे बड़ी बात तो यह कि जिस कपिल मिश्रा ने असंवेदनशीलता की हदों को पार करते हुए रविवार को सीएए और एनआरसी के विरोध में बैठे लोगों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया, उस पर पार्टी कोई एक्शन क्यों नहीं ले रही है?

इससे तो आरएसएस के गुडों, विश्व हिन्दू परिषद के दबंगों और भाजपा के कार्यकर्ताओं के पास यही मैसेज जा रहा है कि हिन्दुत्व के एजेंडे के तहत सब जायज़ है।

दफ्तर आने से पहले मैंने क्या देखा?

फोटो साभार- सोशल मीडिया

सुबह 8 बजे के करीब मैं ब्रश कर रहा था। देर रात तक या यूं कह लीजिए कि रातभर ही ‘जय श्री राम’ वालों की गुंडई देखने के बाद मन में एक अजीब सी घबराहट थी कि चाय, चीनी और दूध जैसी चीज़ें लाने के लिए जाऊं और गलती से अगर मोबाइल फोन फोड़ दिया गया और मुझे मार ही दिया गया तो क्यो होगा?

ये चीज़ें ज़हन में चल ही रही थीं कि ‘जय श्री राम’ के साथ-साथ मारो सालों मुल्लों को जैसी चीज़ें कहते हुए लोगों के दरवाज़ों को पीटते हुए भीड़ वहां से गुज़र रही थी। मैं हिन्दू हूं, फिर भी यह सब देखकर सहम गया था। अभी भी मौजपुर के पास दो प्रदर्शन हो रहे हैं, एक तो सीएए और एनआरसी के खिलाफ जो लगभग 40 दिनों से जारी है और दूसरा इसके विरोध में जो कपिल मिश्रा के बयान के बाद से अधिक उग्र हो गए हैं।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा?

अभी भी वहां हिंसा जारी है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने हालातों को देखते हुए अपने आवास पर ही आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में हिंसाग्रस्त इलाकों के विधायकों, प्रमुख सचिव, गृह सचिव समेत दूसरे बड़े अधिकारी भी शामिल हुए। बवाल के बाद सोमवार देर रात आम आदमी पार्टी के करीब आधा दर्जन विधायक उपराज्यपाल अनिल बैजल के घर पर पहुंचे थे।

इस बैठक से पहले सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके लोगों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा, “दिल्ली के कुछ हिस्सों में हिंसा से हम चिंतित हैं। शहर में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना होगा। हिंसाग्रस्त इलाकों के विधायकों और अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहा हूं।”

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