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“वो वजह, जिसने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगे को भड़कने में मदद की”

नार्थ-ईस्ट दिल्ली की खराब स्थिति की ठीक से समीक्षा करो तो कुछ बातें सामने आती हैं, इनसे ही बचाव के तरीके भी निकलेंगे। गूगल मैप्स पर देखने से पता चलता है कि शिव विहार, जोहरी एन्क्लेव उत्तर प्रदेश की सीमा में हैं, उसके बाद गोकुलपुरी, मौजपुर बाबरपुर, जाफराबाद, शीलमपुर, खजूरी खास, भजनपुरा, करावल नगर भी उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुए हैं। सारे इलाके लगभग 6 किमी के दायरे में सिमटे हुए हैं।

सबसे पास वाला पुलिस थाना लोनी बॉर्डर थाना है, जो गाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश) में आता है। साथ ही इंदिरापुरी पुलिस चौकी है, वह भी गाज़ियाबाद में है।

सारे दंगे बॉर्डर से सटे इलाकों में हो रहे हैं

ऐसा लगता है कि दंगा दिल्ली से नहीं हुआ है, यह उत्तर प्रदेश से प्रयोजित लगता है। ऐसा लगता है कि दोनों राज्य की पुलिस दंगाइयों को दंगा करने के बाद इधर से उधर होने दे रही है और समय पर सक्रिय नहीं हो रही है। इस तरह कोई पकड़ में नहीं आ रहा है और स्थानीय निवासियों को नुकसान हो रहा है। सारे दंगे बॉर्डर से सटे इलाकों में ही हो रहे हैं।

अगर यूपी से गड़बड़ खत्म हो गई तो दिल्ली अपने आप शांत हो जाएगी। गड़बड़ दिल्ली से नहीं है बल्कि दिल्ली में है। दिल्ली से सिर्फ नेतृत्व है जबकि नेटवर्क यूपी का लगता है। तभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी जी और गृह मंत्री माननीय अमित शाह जी शांत थे।

ये सब बिल्कुल प्री-प्लान लगता है,  जिसमें यूपी और केंद्र की सरकारें हस्तक्षेप करने में भारी गड़बड़ी कर रही हैं और सिर्फ उतना ही कर रही है, जिससे कोर्ट में जवाब ना देना पड़े। दंगा होने पर दिल्ली-दिल्ली चिल्लाया जाएगा, जबकि कांड यूपी से हो रहे होंगे।

शाहीन बाग में क्यों शांतिपूर्ण रहा आंदोलन

शाहीन बाग के संदर्भ में भी सीमा पास में ही है। उधर से इधर आने के संदर्भ में यमुना पार करनी पड़ती है और पुल एक ही है, दूसरे रास्ते हरियाणा से जुड़े हुए हैं। शाहीन बाग आने के लिए या तो कालिंदी कुंज पुल से आना पड़ेगा या हरियाणा से, इसलिए आने के रास्ते सीमित हैं और जाने के रास्ते भी सीमित हैं। ऐसी स्थिति में ज़्यादा दबाव पड़ने पर पुलिस को कार्यवाई भी करनी पड़ सकती है, इसलिए वहां प्रदर्शन शांतिपूर्ण था। इधर नार्थ वेस्ट दिल्ली में स्थिति बहुत अलग है, इतनी गलियां और रास्ते हैं कि आने के बाद कहीं से भी उपद्रवी भाग जाएंगे।

बहरहाल, दंगा फैलाने वालों की पूरी प्लानिंग थी। पुलिस को अपने क्षेत्र में तो कार्रवाई  करनी ही चाहिए थी लेकिन पुलिस की सक्रियता पर सवाल खड़े होते हैं।

दिल्ली पुलिस सबकुछ नहीं कर सकती, क्योंकि हाल वाले मामलों में बहुत क्षेत्र उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं। अगली बार तुम भी प्लानिंग से प्रदर्शन करो, बिल्कुल कानून के दायरे में करो और शांतिपूर्वक करो लेकिन बॉर्डर से सटे इलाकों में नहीं।

दिल्ली पुलिस सीधा हमला नहीं करवा सकती है, क्योंकि दिल्ली में सक्रियता ज़्यादा है और कोर्ट भी त्वरित एक्शन ले सकता है। स्टूडेंट्स का मामला अलग है लेकिन सिविलियन का मामला अलग है। जामा मस्जिद में इतना बड़ा आंदोलन हुआ लेकिन दंगा नहीं हुआ, क्योंकि क्षेत्र-क्षेत्र का फर्क है। दिल्ली पुलिस डिटेन करेगी। ज़्यादा-से-ज़्यादा कानून तोड़ने पर कार्रवाई करेगी। कानून मत तोड़ो और कानून का सम्मान करते हुए अपने संवैधानिक अधिकारों का पूरा ज़ोरदार उपयोग करो।

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