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“धर्म, जाति और संस्कृति यंग इंडिया को मुहब्बत करने से रोकती है”

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

क्या आपको भी मुहब्बत से डर लगता है? इस बीमारी को फिलोफोबिया कहते हैं। यंग इंडिया महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे ज़्यादा असुरक्षित देशों की श्रेणी में है। जहां महिलाएं असुरक्षित महसूस करें, वहां मुहब्बत की कल्पना भी कैसे की जा सकती है?

जानकारी बड़ी कमाल की चीज़ है। यह आपके ख्यालों को आज़ाद तो बनाती है लेकिन आपके आस-पास हो रहे ज़ुल्मों और आपके भविष्य पर मंडरा रहे गिद्धों का नोटिफिकेशन भी कराती हैं। आइए जानते हैं यंग इंडिया का दिल घबराया सा क्यों है?

यंग इंडिया के सामने प्यार को लेकर धर्म, जाति और संस्कृति से जुड़ी तमाम समस्याएं आ रही हैं। गलती से उसका चाहने वाला यदि मुसलमान निकल गया, तो पता नहीं कब धर्म के ठेकेदार आएंगे और इसे लव जिहाद बताकर आपके प्यार को कलुषित कर जाएंगे।

इसमें भी तीन तरह के लोग हैं।

भारत जितना आज राजनीतिक रूप से सक्रिय है, शायद उतना आज़ादी से पहले भी रहा होगा। यंग इंडिया को एक नया डर यह भी है कि जिनसे वे प्यार कर रहे हैं, कल उन्हें देश में नागरिकता मिलेगी भी या नहीं!

किस बात को लेकर मायूस है यंग इंडिया?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

जितने यंग लोग आज भारत में बेरोज़गार हैं, उतने किसी देश में नहीं हैं। ये वही लोग हैं, जो परिवार से, दोस्तों से और महबूबा से इश्क करते हैं। यंग इंडिया अपने जीवनसाथी को सारी खुशियां देने के रोज़ सपने देखता है लेकिन अब डर ने इनके सपनों में जगह बना ली है।

इन्हें डर है कि कल इनकी नौकरी रहेगी या नहीं? इन्हें डर यह है कि नौकरी कभी लगेगी भी या नहीं? इन्हें डर है कि पैसों की तंगी के चलते उनके रिश्ते धीरे-धीरे खत्म तो नहीं हो जाएंगे। लोगों ने बातचीत कम कर दी है। खुद को चारदीवारी में बंद कर लिया है।

ज़हरीली फिल्में और सोशल मीडिया

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

जो 15-16 से 35 साल तक का यंग इंडिया है, वह जिन फिल्मों को देखकर बड़ा हुआ है, उनमें से 90% रोमांटिक लव स्टोरीज़ थीं। इनमें हीरो को अपनी हीरोइन हासिल करने और हीरोइन को अपने हीरो की खातिर कुछ भी कर गुज़रने के अलावा और कोई काम नहीं होता है।

जैसे एक बार महबूबा हासिल हो जाए, तो सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। यही सपना बचपन से हर बोर्ड एग्ज़ाम के बाद दिखाया जाता रहा है। असली संघर्ष कहीं और छूट गया जिसकी हमें भनक भी नहीं हुई।

बची खुची कसर सोशल मीडिया ने पूरी कर दी, जो कभी सुविधा का रूप लेकर आई थी, जो आज हमें श्यूडो वर्ल्ड में खींचकर ले गई है। भारत का उन देशों में नाम शूमार होता है, जहां लोग ट्रैवल से लेकर फोटो खींचने तक हर काम सोशल स्टेटस के दिखावे के लिए करते हैं।

आज की तारीख में कोई अपनी असलियत बताना नहीं चाह रहा है। हर किसी ने मुखौटा पहन रखा है। अब इतने दिखावे के बीच सच्ची मुहब्बत आखिर हो तो हो कैसे?

यंग इंडिया डिप्रेशन में है

भारत आज दुनिया का सबसे डिप्रेस्ड देश है। यंग इंडिया में अब जो झगड़े होते हैं, वे पहले जैसे नोक-झोंक बनकर नहीं रह गए हैं। लोगों को पता नहीं चल पा रहा है लेकिन जो आप पर कमेन्ट कर रहा है, उसकी वजह उसका खुद का डिप्रेशन है और जिस पर कमेन्ट हो रहा है, वह आपके कमेन्ट के कारण डिप्रेशन की कगार पर जा सकता है।

पहले ही वर्क प्रेशर, ओवर टाइम, सैलरी डिले, प्रॉबेशन, एक्सप्लॉइटेशन लोगों की जानें ले रहा है। इस साल यंग इंडिया के बेरोज़गारों ने किसानों से भी ज़्यादा आत्महत्याएं कर डाली हैं। जाने कितने प्यार अब नहीं रहे! उनकी सिर्फ मुस्कुराती फेसबुक, इन्स्टा और टिकटॉक प्रोफाइल्स हैं, जो शायद अनंत समय तक ऐसे ही मुस्कुराएंगी।

तो क्या हार मान लें?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

अगर यह हाल होता तो पृथ्वी घुमना बंद कर देती, सूरज रौशनी देना बंद कर देता। यंग इंडिया को पॉपुलिस्ट और मॉडर्न होने में अंतर समझने की बहुत ज़रूरत है। उसे अपनी पीढ़ी में मिली सुविधाओं का उसकी ज़रूरतों के हिसाब से उनका ऑप्टिमम उपयोग करना सीखना होगा और अपनी ‘खुदी’ को बेहतर करना होगा।

जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य प्यार करना है। आपका प्रेमी कोई भी हो सकता है, आपका जीवनसाथी, प्रेमिका या  माँ और आपके दादाजी भी। आपको इस प्रकृति से प्रेम करना होगा और हर उस चीज़ का धन्यवाद करना होगा जो कि आपको ‘आप’ बने रहने और उसमें बेहतरी की गुंज़ाइश बताती रहती है।

हां, कुछ बादल मंडरा रहे हैं लेकिन ऐसा हर बार होता है। आप अपनों को गले लगाते रहिए। आंसूओं की बारिश से आप भीगेंगे नहीं, बल्कि आपके सारे घाव भर जाएंगे। यंग इंडिया, आप बेइंतहा मुहब्बत करते रहिए।

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