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“हमारे कॉलेज का एनुअल फेस्ट ही हमारे लिए खौफनाक बन गया”

कब रुकोगे आखिर? कोई तो पैमाना होगा तुम्हारी अश्लील हरकतों को रोकने का। क्या अपने अंदर का इंसान बिलकुल ही दफन कर चुके हो कि जिस योनि से जन्मित हो तुम उसी की चाह में जानवरीय प्रवृत्ति पर उतर आए।

आखिर तुमको विशेष दिलचस्पी स्त्री के अंगो में ही क्यों है? आखिर क्यों तुम स्त्री को देखकर खुद को रोक नहीं पाते हो? आखिर क्यों तुम्हारे जननांग इतने उत्तेजित हो जाते हैं कि एक स्त्री को देखकर तुमको हस्तमैथुन की आवश्यकता हो उठती है? क्या तुम्हारा यह रवैया अपने परिवार के सदस्यों को देखकर भी पनपता है या सिर्फ गैर परिवार के सदस्यों को देखकर ही तुम्हारी हवस शरीर से बाहर आ खड़ी होती है?

आखिर क्या हुआ था गार्गी कॉलेज में

दिल्ली के सुप्रसिद्ध गार्गी कॉलेज में छात्राओं के साथ छेड़छाड़ किए जाने का मामला सामने आया है। ध्यान रहे गार्गी कॉलेज सिर्फ महिलाओं के लिए ही है। प्रश्न यह उठता है कि गार्गी कॉलेज के वार्षिक महोत्सव के आयोजन में पुरुषों के प्रवेश की अनुमति आखिर कैसे हुई? आखिर जब समारोह में जाने के लिए पास उपलब्ध कराए गए थे तो बाहरी तत्व समारोह में सम्मिलित कैसे हुएं?

आखिर कॉलेज प्रशासन कहां था, क्या कर रहा था? नैतिकता तो यह कहती है उक्त घटनाओं के आधार पर विद्यालय प्रबंधन को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए। उक्त घटनाक्रम पर महाविद्यालय की छात्रा ने बताया,

हमारे कॉलेज का एनुअल फेस्ट ही हमारे लिए खौफनाक बन गया। कैंपस में बाहर से लोग गेट फांदकर अंदर घुसे, कई मिडल एज लोग हमें हैरस कर रहे थे। कुछ ने तो मास्टरबेट तक किया।

वार्षिक महोत्सव में परफॉर्मेंस के लिए बॉलीबुड गायक जुबीन नौरतियाल पहुंचे थे। स्टूडेंट्स का कहना है,

फेस्ट में 3 बजे के बाद भीड़ बढ़ती चली गई और कई ऐसे लोग अंदर घुसे, जो बस लड़कियों को छेड़ने और परेशान करने के मकसद से घुसे थे।

लोकसभा में भी उठा गार्गी कॉलेज का मुद्दा

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कॉंग्रेस सदस्य गौरव गोगोई के पूरक प्रश्न के उत्तर में पोखरियाल ने कहा कि सरकार गार्गी कॉलेज की घटना से अवगत है। उन्होंने कहा,

घटना में बाहरी लोग शामिल थे, छात्र नहीं। यह अच्छी घटना नहीं थी। कॉलेज प्रशासन से कार्रवाई करने को कहा गया है।

हालांकि गार्गी कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर प्रोमिला कुमार ने पूरे मामले की जांच के लिए हाई-लेवल फैक्ट फाइंडिंग कमिटी बनाई है। यह कमिटी शिकायत करने वाली छात्राओं, चश्मदीदों और अन्य लोगों से मिलकर पूरे मामले की समयबद्ध जांच करेगी परन्तु देखना का विषय यह है कि क्या वास्तविक दोषियों को सज़ा मिलेगी भी या कमेटी के नाम पर जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा, जो कि हमेशा से होता आया है।

जांच के नाम पर मुद्दों को दबाने का कार्य निरंतर किया जाता रहा है, वह किसी भी नज़रिए से स्वागत योग्य नहीं है। महिला उत्पीड़न पर कठोर कार्यवाही किए जाने की प्रबल आवश्यकता है।

आखिर समाज किस ओर जा रहा है

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।।

अर्थात, जहां स्त्री जाति का आदर-सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है, उस स्थान, समाज तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं। जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है, वहां देवकृपा नहीं रहती है और वहां संपन्न किए गए कार्य सफल नहीं होते हैं।

उक्त श्लोक को मानने वाला भारत देश आखिर किस दिशा को स्वीकार कर रहा है? आखिर हम अपनी पीढ़ी को वह संस्कार क्यों नहीं दे पा रहे हैं, जो एक बेहतर स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए आवश्यक है।

आवश्यकता है माता-पिता का इस भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में बच्चों के साथ समय बिताने की, उनको जानने और समझने की। बच्चों से बढ़ती दूरी और आधुनिकता के युग में पॉर्न साइट्स का बढ़ता बाज़ार बच्चों को अस्वस्थता की ओर ढकेल रहा है। जल्द जागा नहीं गया तो हम आने वाली पीढ़ी को मानसिक अपंगता की आग में झोक देंगे। हम सभी को बेहद संजीदगी से सोचने की ज़रूरत है।

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