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झारखंड की परम्परागत वेशभूषा के मॉडर्न कपड़े और ऑर्गेनिक सब्ज़ियों का मेला

प्रतीकात्मक तस्वीर- फोटो साभार- Flickr

प्रतीकात्मक तस्वीर- फोटो साभार- Flickr

मेले के इन खूबसूरत तस्वीरों के बहाने आपके साथ दिल की बात कर रहा हूं। यह वो जगह है जहां झूले हैं, रंग बिरंगे कपड़े हैं, चूरन की पुड़िया है, प्यारी-प्यारी गुड़िया है, जहां गुड़ की मिठास है साथ ही विस्तृत नीला आकाश है, जाकर देखें सब कुछ हैं यहां।

मैं जानता हूं ये सब देखकर आपका भी मन मेरी तरह बचपन की स्मृतियों में विस्मृत हो जाने का कर रहा होगा। वैसे झारखंड सांस्कृतिक, बौद्धिक, समाजिक, आर्थिक और भाषाई रूप से विविधताओं का प्रदेश है, जहां कुदरत ने अपनी असीम नेमतें लुटाई हैं।

यहां सर्वत्र बिखरी वीरों की कहानी है, यहां बहने वाली नदियों, झरनों और जंगलों-पठारों की एक अलग सी रवानी है। ऐसे में देश के इस अद्भुत आदिवासी बहुल प्रदेश के युवा भी पढ़-लिखकर अपनी रचनात्मकता से कमाल का काम कर रहे हैं।

मोहराबादी मैदान का वो मेला

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

मोहराबादी में लगे एक हैंडीक्राफ्ट्स के मेले में जाने का मौका मिला, जहां अंदर प्रवेश करते ही दो स्टॉल आपको दिखेंगे एक दाएं और एक बाएं।

उन दोनों स्टॉल की एक खास बात है जिसने मुझे आकर्षित किया। एक स्टॉल जिसमें झारखंड की परम्परागत वेशभूषा के मॉडर्न कपड़े टंगे थे और उसके साथ-साथ ऑर्गेनिक सब्ज़ियों के स्टॉल भी।

यहां अपनी टीम के साथ उसे लगाने वाले सूबे के मशहूर पहले आदिवासी फैशन डिज़ाइनर ‘सुमंगल नाग’ हैं। वहीं, दूसरे स्टॉल को मल्टीनैशनल कंपनी में काम करने वाले कपिल टोप्पो और पायलट अभिषेक (देश के पहले आदिवासी आरजे) ने ‘मंडी एरपा’ के नाम से लगाया है, जिन्होनें झारखंड के परम्परागत फूड को इस स्टॉल में लगाकर इसके प्रचलन का संदेश देने की कोशिश की ही।

महत्वपूर्ण बात यह है कि सुमंगल नाग की टीम में पढ़े लिखे अभिषेक, मनीषा, रेहान, कपिल सहित पांच युवाओं की टीम है, जिन्होंने यह स्टार्टअप शुरू किया है। ‘ऑर्गेनो वेज’ के नाम से ये केवल ऑर्गेनिक सब्ज़ियां उगाते ही नहीं हैं, बल्कि इनके सदस्य बन जाने के बाद 3500 के मंथली सदस्यता के बाद रीजनेबल रेट पर हर दिन आपके घर पर दो केजी फ्रेश सब्ज़ियां पंहुचा भी देते हैं।

सुमंगल नाग के स्टॉल पर बनाए गए कपड़ों की नुमाइश तो फेमिना सहित कई राष्ट्रीय स्तर के फैशन शो में हो चुका है। इनके कपड़े पहनकर कई अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय मॉडल भी इनके साथ रैम्प वॉक कर चुकी हैं।

प्रतिभावान युवाओं का राज्य झारखंड

रेहान टोपनो, जो कि एफटीआई से पास आउट हैं, वह ‘एरियस आर्ट’ के नाम से एक प्रोडक्शन कंपनी भी चलाते हैं। झारखंड को लेकर जल्द ही वह एक ‘वेब सीरीज़़’ भी बनाने वाले हैं।

टीम की एक सदस्या डॉ. मनीषा उरांव हैं, जो पेशे से डेंटिस्ट हैं और ‘प्रोक्षा’ के नाम से एक एनजीओ चलाती हैं, जो बच्चों के हेल्थ पर भी काम करती हैं। मनीषा लद्दाख के इलाके में भी जाकर वहां बच्चों के हेल्थ पर लगातार काम करती रही हैं।

वैसे टीम के सभी सदस्यों का मानना है कि उनके हौसले बुलंद हैं, बस उन्हें ज़रूरत है लोगों के सहयोग की, उनके प्रोडक्ट को अपनाने की ताकि उनका उद्देश्य पूरा हो पाए और दुनिया जान पाए कि प्रतिभावान युवाओं के मामले में झारखंड एक वाकई विलक्षण प्रदेश है।

फूड स्टॉल में क्या देखा?

फोटो साभार- अरविंद प्रताप

अब बात दूसरे फूड स्टॉल की करते हैं। यहां आप आकर मडुआ की रोटी, मडुआ के वेज-नॉनवेज ममोज़, चावल के गुड़ भरे रसगुल्ले, झींगा मछली की भुजिया, केकड़े की सब्ज़ी, चिट्टियों के अंडों की भुजिया, चावल का दाल भरा पीठा, घोंगा की भुजिया सहित और भी कई आइटम का स्वाद उठा सकते हैं।

अब आपको यह भी बताते हैं कि इस स्टॉल को लगाने का उद्देश्य क्या है। जो इसके प्रोपराइटर हैं, उनका उद्देश्य है कि देश और दुनिया के लोग झारखंड के लोगों के परम्परागत भोजन शैली, आदिवासी पहनावे और उसके नैसर्गिक उत्पाद के बारे में जानें। यह भी जान पाएं कि आदिवासी सभ्यता कितनी उदार और प्रकृति प्रेमी रही है।

अब इस पूरे आर्टिकल का लबो-लुआब यही है कि ऐसे युवा, जो सूबे और देश के लिए बेहतर करना चाहते हैं या बेहतर कर भी रहे हैं, उन्हें एक उम्दा प्लेटफॉर्म सूबे में कैसे मिले? कैसे उन्हें आर्थिक सहायता सरकार उपलब्ध करा पाए?

ऐसे में यह भी एक सवाल है कि आदिवासी हितों की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले सूबे के अधिकारियों और सियासतदानों की बेरुखी झारखंड के साहित्यकारों, फिल्मकारों, कलाकारों, उद्यमियों के साथ क्यों? अगर इन्हें आर्थिक सहयोग और सपोर्ट मिले तो इनके कार्य अन्य युवाओं के लिए एक नज़ीर बन सकते हैं।

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