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उन महिलाओं को थप्पड़ का ट्रेलर देखना चाहिए, जिन्होंने अब तक इसे हल्के में लिया

फोटो साभार- Youtube

फोटो साभार- Youtube

जस्ट अ स्लैप मगर नहीं मार सकता। एक थप्पड़ से क्या हो जाता है, प्यार में तो ऐसी नोक-झोंक चलती ही रहती हैं।

फिल्म थप्पड़ का ट्रेलर देखते वक्त उस मूवी की कुछ लाइनें दिल को छू गईं, क्योंकि बात केवल एक थप्पड़ की नहीं, बल्कि हर उस चीज़ से जुड़ी थी, जिससे हर एक महिला गुज़रती है। 

NCRB द्वारा जारी आंकड़ों में दोहरी वृद्धि दर्ज़ की गई है, जिसमें उत्तर प्रदेश को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित बताया गया है। वहीं, मध्य प्रदेश में सबस ज़्यादा रेप केस दर्ज़ हुए हैं।

आंकड़ों के अनुसार,

अगर मैं आंकड़ों की बात करूंगी, तो लेख में केवल आपको आंकड़े ही दिखेंगे, क्योंकि नंबर्स के फेर में पड़ने पर आपके होश उड़ जाएंगे। आज ऐसे कई केस भी हैं, जो सुर्खियों में या आंकड़ों में नहीं आते क्योंकि वे थप्पड़ की शोर में दाब दिए जाते हैं।

ढाबे पर काम करने वाली लड़की ने बताए अपने अनुभव

प्रतीकात्मक तस्वीर।

मैं आपको एक लड़की की कहानी बता रही हूं, जो आज एक ढाबा चलाती है। मैं शाम के वक्त ऐसे ही इवनिंग वॉक पर निकली थी। अमूमन मैं चाय नहीं पीती मगर ठंड के कारण मुझे भी तलब जगी और मैं उस ढाबे के पास आकर ठहर गई।

एक 25 वर्षीय लड़की चाय-नाश्ते का इंतज़ाम कर रही थी। मैंने सोचा उससे कुछ बातें करूं। बातों-बातों में पता चला कि वह तलाक शुदा है। उसने बताया कि उसका पति उस पर हाथ उठाया करता था, जिसे वह इग्नोर किया करती थी मगर धीरे-धीरे परिस्थिति खराब होती चली गई।

उसने आगे बताया,

घर में एक बच्चा था, जिसकी पढ़ाई रुक गई। परिवार वाले सभी खिलाफ हो गए, क्योंकि उस परिस्थिति में लोगों ने मुझे ही दोषी मान लिया था। उसके बाद मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने तलाक लेने का मन बना लिया। खर्चे बहुत हुए मगर मैंने ठान लिया था कि ऐसे इंसान के साथ नहीं रहना है, जो अपनी पत्नी को मारने की वस्तु समझता है।

चूंकि मैं एक लड़की थी, शायद इसलिए उसने मुझे इतनी बातें बताई। यह बात पुरानी है मगर उस लड़की की हिम्मत काबिल-ए-तारीफ है, जिसने अपने हक के लिए आवाज़ उठाया। 

क्या तलाक शुदा होना गुनाह है?

“लोग क्या कहेंगे” के कारण आज भी ना जाने कितनी महिलाएं अपने शरीर पर पड़े ज़ख्मों को छुपाती हैं। जब शादी करना एक प्रॉसेस है, उसी तरह साथ नहीं रहने का मन होने पर तलाक भी एक प्रॉसेस है, फिर तलाक को इतनी अजीब नज़रों से क्यों देखा जाता है?

हाथ नहीं उठा सकता फिर मार कैसे सकता है?

तापसी पन्नू। फोटो साभार- सोशल मीडिया

हमारे पुरुष प्रधान समाज में कहा जाता है कि महिलाओं को सहन करने की आदत होनी चाहिए। इसके साथ अगर पति गुस्से में ऊंची आवाज़ में बात करे या हाथ ही उठा दे, तो उसे अपने पति का फ्रस्टेशन मानना चाहिए, क्योंकि उसका पत्नी पर निकलना ज़रूरी होता है। मैं पूछती हूं कि क्या पत्नियां अपने पतियों के फ्रस्टेशन को निकालने के लिए होती हैं?

अगर एक बार हाथ उठ गया, तो वही हाथ दोबारा भी उठ सकता है फिर धीरे-धीरे यह रूटिन में भी शामिल हो सकता है। मेरे ही आसपास ऐसे कई केस हैं, जहां पति अपनी पत्नी पर हाथ उठाता है और महिलाएं एडजस्ट करने के नाम पर सहती रहती हैं।

ऐसे इंसान के साथ आखिर एडजस्ट क्यों करना है? जब पति हाथ नहीं उठा सकता, फिर मार कैसे सकता है? इस तरह की फिल्मों का बनना और आधी आबादी तक पहुंचना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि इससे ही महिलाएं जागरुक होंगी। 

अंत में केवल इतना ही कहना है, अगर कोई चीज़ जोड़कर रखी हुई है, इसका मतलब वह टूटी हुई है।

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