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“प्यार में नाकामी क्यों बर्दाश्त नहीं कर पाता है यंग इंडिया?”

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

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प्यार से जीवन में खुशियां और संबंधों में घनिष्ठता आती है लेकिन जो प्यार आत्मविश्वास छीनकर अवसाद में डुबो दे, वह प्यार नहीं बल्कि पागलपन होता है। आजकल के युवा प्यार को हासिल करने के लिए मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। जबकि वे यह बात नहीं समझते कि प्यार शब्द अपने आप में कितना सुंदर और मधुर है।

प्यार के प्रति यंग इंडिया की सोच

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

प्यार में पड़े युवा दरअसल यह मान बैठते हैं कि अब तो सब कुछ प्रेमी-प्रेमिका ही है, जो उनकी धड़कनों में बस गई है लेकिन युवा यह नहीं समझते कि वे पैदा होते ही सबसे पहले माँ-बाप की सांसों और धड़कनों में बस जाते हैं।

अपने प्यार के लिए मांँ-बाप तक को छोड़ जाना क्या इंसाफ की बात है? अगर है तो कैसे? युवा अपनी किशोरावस्था में सोचा करता है कि वह बड़ा होकर अपने माँ-बाप के सपने पूरे कर उनकी सेवा कर वह अपना फर्ज़ पूरा करेगा लेकिन प्यार में पड़कर वह यह सब भूल जाता है।

उसे बस यही लगता है कि अब जो कुछ भी है, वो प्रेमिका ही है जो उसे चाहती है और उस पर सब कुछ कुर्बान कर रही है। माँ-बाप ने क्या-क्या कुर्बान किया, ये कोई मायने ही नहीं रखते हैं।

यंग इंडिया की “ना” बर्दाश्त करने की कम क्षमता

प्यार में नाकामी बर्दाश्त करना हर युवा को आना चाहिए। खुद के लिए ना सही, तो माँ-बाप और घर वालों के लिए, जो वाकई उसे प्यार करते हैं। प्यार में नाकामी मिलने पर कोई भी गलत कदम नहीं उठाना चाहिए।

यंग इंडिया के प्यार में डर और बाधाएं

यंग इंडिया के प्यार में विभिन्न जाति और धर्म सबसे बड़ी समस्या है। यदि कोई सामान्य जाति की लड़की किसी दलित लड़के से प्यार करती है या फिर कोई मुस्लिम लड़की किसी हिन्दू लड़के से प्यार करती है, तो धर्म के ठेकेदार लव जिहाद का टैग लगाकर उनके प्यार को कलंकित कर देते हैं।

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