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“क्यों मैं NRC, CAA और NPR का समर्थन करता हूं”

फोटो साभार- सोशल मीडिया

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माननीय प्रधानमंत्री जी,

जय हिन्द।

मैं देश का एक आम नागरिक होने के नाते सबसे पहले आपको धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने कई ऐसे मुद्दों का हल निकाला, जो काफी लम्बे समय से चले आ रहे थे। कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ‘A’, राम मंदिर, तीन तलाक, सेना के मुद्दे और ऐसे कई कठोर निर्णय आपने लिए।

आपकी सरकार द्वारा उठाए गए इन काबिल-ए-तारीफ कदम के बावजूद एक कसक सी मन में है। अत: सीधी बात करते हुए मुद्दे पर आते हैं। भारत में लाए गए नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिकता सूचि और समान नागरिक कानून की ज़रूरत पर आप का ध्यान केंद्रित करना चाहता हूं।

बात नागरिकता संशोधन कानून की

नागरिकता संशोधन कानून, जिसके ज़रिये अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक, जो मुख्यतः हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोग हैं, उनको भारत की नागरिकता दी जाएगी। साथ ही साथ उन्हें नौकरी, शिक्षा और स्वास्थ्य का भी अधिकार हो, इस बात का ख्याल रखा जाएगा। यह बेहद सराहनीय कदम है।

हमारे देश का विभाजन 1874 में धर्म के आधार पर हुआ था। जिसमें पाकिस्तान मुस्लिम बहुल देश बना। उस समय भारत को हिंदुओं का देश माना गया था। बल्कि यह कहा गया था कि पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश जो पाकिस्तान से आ रहे हिन्दू और सिख धर्म के लोगों को बिना देर किये नागरिकता दी जाए।

उन्हें पता था कि मुस्लिम बहुल देशों में हिन्दू, सिख ज़्यादा सुरक्षित नहीं रहेंगे। यह कोई हवा में हो रही बात नहीं है। आपको भी पता है कि इन देशो में लघुमति की संख्या दिन प्रतिदिन कम हो रही है। उनका या तो जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा है या मार दिया जाता है।

हिन्दू, शिख, जैन और बौद्ध के लिए एक ही देश है जो भारत है। इनको आश्रय देना भारत का धर्म है और इसको आपने बखूबी निभाया है। यह कानून ऐसे मजबूर लोगों के अस्तित्व के लिए बेहद ज़रूरी है।

बात राष्ट्रीय नागरिकता सूचि की

देश में दूसरा सबसे ज़रुरी मुद्दा नागरिकता सूचि का है। देश में ऐसे कई अवैध घुसपैठिये रह रहे हैं जिनके पास वैध नागरिकता नहीं है। यह लोग फर्ज़ी तौर पर देश के संसाधनों पर कब्ज़ा जमाये हुए है। साथ ही साथ जनसंख्या बढ़ौतरी का एक कारण यह लोग भी हैं।

देश में एक नागरिकता सूचि होगी तो लोगों की पहचान करना आसान हो जायेगा। ज़रुरतमंदों तक सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से पहुंचाया जायेगा। देश के संसाधनों पर पहला अधिकार देश के नागरिकों का होगा। देश की सुरक्षा भी ज़्यादा सटीक होगी।

आप जल्द से जल्द राष्ट्रीय नागरिकता सूचि को लाइए और देश से घुसपेठियों को बाहर कीजिए।

बात समान नागरिकता कानून की

भारत को छोड़ कर किसी भी देश में किसी विशेष समुदाय के लिए अलग कानून की व्यवस्था नहीं है। हर किसी को देश के संविधान और कानून को मानना पड़ता है। भारत में ही अलग से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है। जिसके ज़रिये वह लोग दोहरा मापदंड अपनाते है।

जहां सरकारी या कानूनी व्यस्था उनके लिए सही हो वहां उसे अपनाते हैं और जहां उनकी जवाबदेही तय करनी हो वहां उनका कानून। ऐसा नहीं होता। देश में एक क़ानूनी व्यवस्था है और उसे उन्हें मानना ही पड़ेगा। आपको जल्द से जल्द इसको भी लाना होगा। तभी देश में शांति बानी रहेगी।

मैं जनता हूं कि इसके बाद ऐसे कई शाहीनबाग खड़े होंगे और आपका विरोध होगा मगर मेरे जैसे करोड़ों नवयुवक आपके साथ हैं। ज़रूरत पड़ने पर हम लोग शाहीनबाग वालों के खिलाफ खड़े होंगे। मज़बूत, सशक्त और अखंड भारत के लिए यह सब ज़रूरी है।

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