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क्यों आज के प्यार की उम्र छोटी हो गई है?

प्रेम, प्यार, स्नेह ना जाने कितने नाम से जाना जाता है प्यार। छोटा शब्द है मगर बेहद ही असरदार। दुनिया में जीवन, बिना प्यार के सम्भव नहीं है। हर जीव हर वह चीज़ जो दुनिया में अस्तित्व में है उसे प्यार चाहिए। इंसान तो इंसान यहां तो जानवर और पेड़ भी प्यार की भाषा समझते हैं।

माँ-बाप का प्यार बच्चों को संस्कार और उनकी अच्छी परवरिश के लिए ज़रूरी है। वहीं भाई बहन का प्यार अपनी ज़िम्मेदारियों का अहसास कराता है। पति-पत्नी और दोस्तों का प्यार हो या इंसान का प्रकृति के प्रति प्यार। मेरे हिसाब से प्यार पर किसी भी तरह का बंधन या किसी भी तरह की रोक-टोक नहीं होनी चाहिए।

प्यार को जितना दबाओ वह उतना बढ़ता है

प्यार दो इंसानो के बीच के मन के मिलाव का परिणाम है। जब दो इंसानो के विचार एक दूसरे से मिलते हैं, तो वे एक साथ आते हैं और उनके बीच प्यार पनपता है। इंसान प्यार में ना जात-पात, धर्म, रंग भेद, अमीर-गरीब नहीं देखता और ना ही इसपर बंदिश लगाई जा सकती है। इसपर जितनी बंदिश लगाओगे उतना यह ज़्यादा होगा।

हालांकि आज के समय में प्यार की परिभाषा बदलती जा रही है। आज के आधुनिक युग में ज़्यादातर प्यार जिस्मानी सुंदरता को देखकर हो रहा है ना की मनकी सुंदरता को। आजकल निश्छल प्यार भी नहीं होता। कोई रूप को तो कोई धन ऐश्वर्य को चुनता है। कई बार हमने देखा भी है की ऐसे प्यार की उम्र ज़्यादा नहीं रहती। इसको प्यार नहीं कह सकते जो सिर्फ बाहरी दिखावे या पैसों से हो।

प्यार की ताकत अच्छे-अच्छे पत्थर दिल इंसान को भी कोमल बना सकता है। सावित्री का प्यार ही था, जिसने यमराज को सत्यवान को वापस धरती लोक पर भेजने को मजबूर किया। जानवर भी प्यार की भाषा समझते हैं, तभी वह अपने मालिकों की आवाज़ से आकर्षित होकर उनके पास दौड़े आते हैं और उनकी हर बात को मानते हैं।

जैसे प्रकृति ने हर तरह के रंग भर के दुनिया बनाई है, वैसे ही प्यार इंसानो की ज़िंदगी में रंग भरने का काम करता है।

इस प्यार के शब्द को छोटा ना करे। इसे महसूस करें।

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