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कोरोना के युद्ध में लोगों को भी करना होगा सहयोग

देश के इतिहास में ऐसा बहुत कम ही हुआ है जब एक या दो दिन के लिए सम्पूर्ण देश की समस्त क्रियाकलापों को स्थगित किया गया हो। किन्तु आज कुछ परिस्थितियां ऐसी बन गई हैं कि जब एक या दो दिन के लिए नहीं बल्कि २१ दिनों के लिए सम्पूर्ण देश को लॉकडाउन किया गया है। जी हां, Corona वायरस का संक्रमण और न फैले इसके लिए ये महत्वपूर्ण फैसला माननीय प्रधामंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा २४ मार्च २०२० को लिया गया था| अब यह कितना प्रभावशाली होगा ये सभी देश वासियों के सहयोग पर भी निर्भर करेगा।

जनता कर्फ्यू एक सफल क़दम-

लॉकडाउन से पूर्व ही २२ मार्च को प्रधानमंत्री जी द्वारा जनता कर्फ्यू का निर्णय लिया गया था। इसके साथ ही प्रधानमंत्री जी ने सभी देश वासियों को शाम पांच बजे थाली, ताली और घंटी बजाकर सभी सलंग्न कर्मचारियों के प्रति सम्मान प्रकट करने का आग्रह भी किया। जहां एक तरफ़ जनता कर्फ्यू काफ़ी हद तक सफल रहा वहीं दूसरी तरफ़ कुछ लोग सड़क पर उतर आए जो कहीं न कहीं उनकी लापरवाही को प्रदर्शित करता है। लोग ये भूल गए की ये सबकुछ एक मर्यादा में रहकर ही करना है। किन्तु फिर भी जनता कर्फ्यू लोगों को घर में ही रोकने में सफल रहा। यहां तक ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग 85% लोगो ने जनता कर्फ्यू का सम्मान किया।

लॉकडाउन को गम्भीरता से लेना ज़रूरी है-

एक दिन के जनता कर्फ्यू के बाद यह साफ हो गया है कि सामाजिक पृथक्करण के लिए सरकार को लॉकडाउन जैसे फ़ैसले लेने होंगे ताकि इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। अतः २४ मार्च को सरकार द्वारा सम्पूर्ण भारत को २१ दिनों के लिए लॉकडाउन करने का फैसला लिया गया। इस लॉकडाउन के समयांतराल में सभी को अपने घरों पर ही रहने के लिए निर्देशित किया गया है जो देश हित में सही फैसला है । कुछ देशों ने अभी भी Corona वायरस को गंभीरता से नहीं लिया। जिस कारण से आज उनकी स्थिति बहुत खराब हो गयी है। जिनमे चीन, फ्रांस और ईट्टली जैसे विकसित देश भी सम्मिलित हैं। इन देशों में आज इस इस संक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या १५ हजार को पार कर गई है।

यकीनन इस लॉकडाउन का सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ेगा और पुनः उसी स्थिति में आने के लिए शायद सालों लग जाएं किन्तु कोरोना वायरस को अंधेखा भी नहीं किया जा सकता।

सरकार को लोगों के लिए रहने और खाने की व्यवस्था करनी होगी-

इस लॉकडाउन से लाखों लोगों का रोजगार ठप्प पद गया है। इसके साथ ही देश का एक ऐसा वर्ग जो दिहाड़ी मजदूरी करते है, उनके लिए ये बहुत ही कठिन समय है। देश में लगभग ३२ करोड़ ऐसे लोग भी हैं जो गरीबी रेखा से नीचे जीवयापन करते है, साथ ही १९ करोड़ ऐसे लोग है जिनको सिर्फ़ एक समय का ही भोजन प्राप्त होता है और जिस कारणवश कभी तोह इनको भूखा ही सोना पड़ता है।अब ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे लोगों के लिए आश्यक वस्तुएं मुहैय्या कराए| अब तक तोह सरकार इसके लिए निरन्तर कार्यरत हैं काफी हद्द तक सरकार इसमें सफल भी हो रही है पर आगे के दिन कितने मुश्किल होंगे देश के लिए, यह समय ही बताएगा |

लोगों को भी करना होगा सहयोग-

सरकार के साथ साथ हम सबकी भी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि हम सब भी इस Corona वायरस से युद्ध में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करे। लॉकडाउन अर्थात सभी के लिए एक लक्ष्मण रेखा खींच दी गई जिसको पार करना अर्थात संक्रमण को न्यौता देना होगा। लोगों को यह भी समझना होगा कि यह सख्त कदम सरकार ने सबकी भलाई के लिए ही उठाया है। इसलिए हम सब को सरकार का साथ देना होगा। क्योंकि हमारी एक लापरवाही हमारे वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए हानिकारक हो सकती है एवं देश को काई साल पीछे ले धकेल सकती है|

वैसे तो आज लॉकडाउन को ५ दिन हो गए हैं किन्तु अब भी कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं जो एक चिंता का विषय बना  हुआ है। इतनी जागरूकता और सख्त प्रशाशन के पश्चात भी कहीं न कहीं कुछ लोग बेफिक्र होकर सड़क पर घूमते दिख ही जाते हैं। उनको अब भी शायद ये सब साधारण लगता है। इसके साथ ही हजारों की संख्या में लोग एक शहर से दूसरे शहर को पलायन कर रहे हैं जो उनके साथ साथ और लोगो के लिए भी घातक साबित हो सकता है। उनको शायद यह अंदाजा नहीं है कि उनकी एक छोटी सी गलती उनके और उनके परिवार के साथ साथ सम्पूर्ण देश के लिए समस्या खड़ी कर सकती है।पर ये वो दिहाड़ी मजदूर है को चार पैसे कमाने के लिए गांव से शहर गए थे।अब इनके पास न खाने के पैसे है और न ही रहने का ठिकाना ऐसी स्थिति में इनका पलायन करना लाज़मी भी है। इन स्थितियों में सरकार की जिम्मेदार और भी बढ़ जाती है।अब ये देखने वाली बत है कि सरकार इससे कैसे व्यवस्थित करती है।

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