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कोरोना वायरस ने बता दिया इंसान कितना बौना है

इंसान भले ही अपने आप पर इतरा रहा हो की इस पृथ्वी पर उसके जैसा कोई नहीं है। पर कुदरत समय समय पर अपनी शक्ति का परिचय देती रही है। चाहे वह भूकंप हो, ज्वालामुखी विस्फोट हो, तूफान, बाढ़, सूखा आदि के रूप में हमे कुदरत की ताकत का परिचय मिल रहा है।

हालही के वक़्त में हम यानि पूरी मानवजाति कोरोना वायरस की महामारी में लिप्त है। इस महामारी ने क्या विकसित क्या विकासशील सभी देशो की पोल खोल दी। अमीर हो या गरीब सब इसकी चपेट में है। इस बीमारी के सामने सभी विकसित देश बौने साबित हो रहे है। जिन देशो की स्वास्थ्य सुविधा बहोत ही विकसित है वह देश भी इस महामारी से ज्यादा प्रभावित है।

यह वायरस कैसे आया?

१. खानपान में बदलाव:

इसका प्रमुख कारण लोगो के खानपान में हो रहे बदलाव से है। चीन, पसिफ़िक समुन्दर के देश और कुछ हद तक यूरोप और अमेरिका में खानपान में काफी बदलाव आया है। वह हर चीज खाने लगे है। साप, बिच्छू से लेके चमकादड़, चूहे और न जाने क्या क्या। जिसके चलते इन जीवो पर पनप रहे सभी विषाणुओ को सीधा मानव शरीर मिलता है।

चीन में तो कई जगह जिन्दा मांस खाया जाता है जो ज्यादा घातक है। इसके चलते उस जीव में रहे विषाणु से इंसान का संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है।

२. जैविक हथिया:

एक और अवधारणा यह भी है की चीन ने हांगकांग में हो रहे उसके विरुद्ध के जनआंदोलन को दबाने के लिए एक जैविक हथियार बनाया है और जो हांगकांग पे इस्तेमाल हो उससे पहले ही चीन में फ़ैल गया। यह बात चीन की वामपंथी सरकार और मीडिया ने दबा रखा। लेकिन इससे प्रभावित लोगो की संख्या बढ़ने से विश्व के सामने इसकी सच्चाई आ गयी। अभी भी चीन सही आंकड़ा नहीं दे रहा।

३. जलवायु परिवर्तन:

जलवायु में हो रहे लगातार परिवर्तन के चलते जंगल का आवरण कम हो रहा है। पेड़ पौधे वातावरण में अशुद्धियाँ दूर करने में काफी सक्रीय भूमिका निभाते है। लेकिन इसमें हो रहे बदलाव विषाणुओ के लिए अनुकूल वातावरण उत्प्पन करने में मददगार साबित हो रहे है।

इस महामारी के चलते पुरे विश्व में आर्थिक मंदी छा गयी है। सभी तरह की आर्थिक प्रवृति पर रोक लग गयी है।

हालांकि एक अच्छी बात है वह यह की लोगो के घर में रहने से पैट्रॉल डीज़ल की मांग कम हुई है और प्रदुषण में कमी आयी है। अगर आम दिनों में सरकार या कोई कहता की एक दिन के लिए आप अपने वाहनों का इस्तेमाल मत करिये तो कोई नहीं मानता। लेकिन आज इस महामारी के चलते लोग महीनो तक बहार जाने को भी तैयार नहीं है। इसके चलते वाहनों की आवाजाही कम होने से वातावरण से प्रदूषण कम हो गया है।

अंत में एक विषाणु जो दीखता नहीं है उसने समग्र मानवजात को यह अहसास करा दिया की हम कितने बौने है। हम आजभी व्यर्थ में ही अपने आप को महान मानते है। सच तो यह है की हम ही इस महामारी के लिए जिम्मेदार है। हमारी गलत खानपान की आदत इसके लिए मूल रूप से जिम्मेदार है। इससे किसी पशु या पक्षी को संक्रमित देखा?

मतलब साफ़ है। वक़्त रहते सुधर जाओ। वरना पछताना पड़ेगा।

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