आदरणीय
जिला अधिकारी उमा शकंर भार्गव जी
विषय- माहवारी (पीरियडस) से क्यों लड़ा जाये
आदरणीय
मेरा नाम मेघा जैन है। मैं गैरतगंज के अंतर्गत आने वाले एक सार्वजनिक स्कूल में शिक्षिका हूँ। मेरा अनुरोध ये है जहाँ एक और शिक्षा सम्बन्धी नियम और कायदे तय किये जाते हैं। छात्र- शिक्षक सभी की अपनी अपनी जिमेदारियां तय की जाती हैं। वहां महिलाओं को ध्यान में रखते हुए कोई ख़ास व्यवस्था क्यों नहीं की जाती।
मैं एक शिक्षिका हूँ मुझे 6-7 घण्टे रोज़ ही स्कूल में बिताने होते हैं लेकिन हमारी स्कूली व्यवस्थाएं कभी भी एक महिला माहवारी सम्बन्धी उसको दी जाने वाली सुविधा को ध्यान में नहीं रखती हैं। यदि आप एक मात्र महिला कर्मचारी हैं तब आपकी हालत और भी कष्टकर हो जाती है।
- मेरा सुझाव है शिक्षण संस्थानों में स्वछता की व्यवस्थाओं को व्यापक किया जाये महिला टॉयलेट को प्राथमिकता दी जाये। जिससे महिलाएं किसी संस्थान में जाने से झिझकें नहीं और यह संदेश महिला सशक्तिकरण को बल देगा।
मेघा जैन
ग़ैरतगंज