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भारत के लिए महातिर के मायने

भारत अपने पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों को लेकर हमेशा से सजग रहा है। हाल ही में भारत के पड़ोसी देश मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। महातिर के इस्तीफे से मलेशिया में राजनीतिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है लेकिन अब देखना होगा कि इससे भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा। गौरतलब है कि 2018 में संपन्न  चुनावों के बाद मलेशिया में पकाटन हड़प्पन गठबंधन की सरकार बनी। इस गठबंधन में महातिर की पार्टी मलेशियन यूनाइटेड इनडीजीनियस पार्टी और पीपुल्स जस्टिस पार्टी जिसके प्रमुख अनवर इब्राहिम हैं कि सरकार बनी। इस गठबंधन में तय यह हुआ था कि दो साल महातिर प्रधानमंत्री पद पर रहेंगे और दो साल अनवर लेकिन महातिर ने दो साल की अवधि पूरी होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके पीछे उनके दो उद्देश्य हो सकते हैं पहला कि अनवर प्रधानमंत्री न बन सके दूसरा देश में फिर से चुनाव होंगे जिसमें उनके फिर से सत्ता में लौटने की संभावना ज्यादा है। ये तो हो गई मलेशिया की घरेलू राजनीति की बात अब यदि भारत के नजरिए से देखा जाए तो अनवर और महातिर दोनों का ही भारत के प्रति व्यवहार सकारात्मक नहीं है।
 
 संयुक्त राष्ट्र के मंच पर आतंकी फंडिंग की बात हो या कश्मीर मुद्दे की जिस तरह से दोनों ही  विषय पर मलेशिया पाकिस्तान का साथ दे रहा है। मलेशिया ने भारत के आंतरिक मामलों में भी पाकिस्तान समर्थित टिप्पणी की है। पूर्व मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर की इस टिप्पणी पर भारत ने कहा था कि मलेशियाई पीएम ने इस क़ानून को बिना ठीक से समझे ही टिप्पणी की थी. भारत की संसद ने हाल ही में एक बिल पास किया था जिसमें पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। 
 
मलेशिया के साथ भारत के सामरिक रिश्ते काफी महत्वपूर्ण हैं।  मलेशिया बिमस्टेक  में भी शामिल है। दोनों देशों में इस तनातनी के बीच मलेशिया ने चीन और भारत के पर्यटकों को पहले से बिना पर्यटक वीज़ा के मलेशिया आने की छूट दी है। यह छूट जनवरी 2020 से लागू हुई है और अब पूरे साल भारतीय पर्यटकों को मिलेगी। मलेशिया ने इसके लिेए सरकारी आदेश जारी किया है। इसके तहत भारत और चीन के पर्यटकों को बिना वीज़ा के 15 दिन मलेशिया में घूमने की सुविधा दी गई है। इस सरकारी आदेश पर मलेशिया के पीएम ने 26 दिसंबर को हस्ताक्षर किया था. इसके लिए दोनों देशों के पर्यटकों को इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवेल रजिस्ट्रेशन कराना ज़रूरी होगा। इस रजिस्ट्रेशन के बाद तीन महीने के भीतर मलेशिया घूमा जा सकता है। इस सुविधा के तहत कोई भारतीय 15 दिनों तक मलेशिया घूम सकता है। 
नागरिकता संशोधन कानून पर महातिर ने कहा कि ” मुझे ये देखते हुए बहुत अफ़सोस होता है कि खुद के धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाला भारत कुछ मुसलमानों को नागरिकता से वंचित कर रहा है. इस क़ानून की वजह से पहले से ही लोग मर रहे हैं तो अब इसे लागू करने की क्या ज़रूरत है जब लगभग 70 सालों से सभी एक नागरिक के तौर पर साथ रह रहे हैं.”
 
नागरिकता संशोधन क़ानून पर टिप्पणी से पहले मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने इसी साल सितंबर महीने में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा उठाया था। महातिर ने कहा था कि भारत ने कश्मीर पर हमला कर अपने क़ब्ज़े में रखा। इसके जवाब में भारत ने अपने पाम आयल खरीदारों पर मलेशिया से पाम आयल खरीदने को लेकर प्रतिबंधित लगा दिया है। जिसके बाद मलेशिया के रुख में नरमी आयी है। 
 
निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि भारत और मलेशिया के संबधों पर महातिर मोहम्मद का पद पर बना रहना भारत के लिहाज से मिले जुले परिणाम देने वाला है। 
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