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माहवारी स्वच्छता प्रबंधन :जननी स्वास्थ्य संवर्धन

आदरणीय,

रंगीना देवी जी

मुखिया इटखोरी पंचायत चतरा।

विषय- माहवारी स्वच्छता प्रबंधन हेतु पैड बैंक एवं भष्मीकरण यंत्र ( Incinerator) की व्यवस्था करने के संबंध में।

रंगीना देवी जी

नमस्कार!

उपर्युक्त विषय के संबंध में निवेदन करना चाहती हूं कि इटखोरी स्थित सार्वजनिक शौचालयों के समीप पैड बैंक एवं भष्मीकरण यंत्र की व्यवस्था करवाने की कृपा किया जाए ताकि कामकाजी महिलाएं और किशोरियों माहवारी स्वच्छता प्रबंधन का ध्यान घर से बाहर रहकर भी रख पाएंगी।

गत वर्ष 28 मई से जून 27 जून तक चले “चुप्पी तोड़ो स्वस्थ रहो अभियान” से लोगों के बीच काफी जागरूकता आई है । सैनिटरी नैपकिन या कपड़ों के इस्तेमाल और निपटारे के प्रति जागरूकता बढ़ी है ।स्वच्छ भारत मिशन और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं इस कारण घर में स्वच्छता के प्रति काफी जागरूक रहती हैं। समस्या तब होती है जब वे घर से बाहर निकलती हैं।

हम जानते हैं कि

1) माहवारी एक प्राकृतिक चक्र है जिसका आना है किशोरी और उसके परिवार के लिए शुभ संकेत है।

2) माहवारी चक्र की शुरुआत 9 से 14 वर्ष के बीच हो जाती है और प्रत्येक महीने आती है। इस दौरान कितनी की किशोरियां स्कूल जाना बंद कर देती हैं जो कि बहुत ही दु:ख की बात है।

3) इस दौरान गंदा खून नहीं बल्कि गर्भाशय से और निषेचित अंडे एवं उद्धव खून के रूप में योनि मार्ग से बाहर निकलते हैं इसलिए समाज में जो भ्रांतियां हैं कि इस दौरान चार नहीं छूना चाहिए, पूजा नहीं करना चाहिए, पेड़ पौधे को नहीं छूना चाहिए, खाना नहीं बनाना चाहिए, घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए ,यह गलत है।

4) हमारे यहां सैनिटरी नैपकिन 12% किशोरियों और महिलाओं के द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। 88 प्रतिशत किशोरियों और महिलाओं द्वारा कपड़े का ही इस्तेमाल किया जाता है।

5) इस्तेमाल की गई सैनिटरी नैपकिन या कपड़े मिट्टी के अंदर दबा दिया जाता है या झाड़ियों में फेंक दिया जाता है जिससे मिट्टी और वातावरण दोनों के दूषित होने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए भस्मक में जला दिया जाना चाहिए।

6) प्रत्येक चार से 5 घंटे के द्वारा इस्तेमाल की गई सैनिटरी नैपकिन या कपड़े को बदलना भी जरूरी।

7) हमारे देश में प्रतिवर्ष 8000 गर्भाशय के कैंसर से महिलाएं ग्रसित होती है जिसमें 40000 केवल माहवारी स्वच्छता प्रबंधन में कमी के कारण होता है। माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर ध्यान देकर महिलाओं को ना सिर्फ गर्भाशय के कैंसर से बचाव होगा बल्कि अनिद्रा, माइग्रेन एवं इसके कारण होने वाले बांझपन को भी दूर किया जा सकता है।

अतः आपसे विनम्र निवेदन है की माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के संदर्भ में दिए गए उपर्युक्त विषय पर गंभीरता पूर्वक विचार किया जाए ताकि कामकाजी महिलाएं और किशोरियां बेफिक्र होकर घर से बाहर भी माहवारी स्वच्छता प्रबंधन का ध्यान रख पाएंगी।

धन्यवाद!

विश्वास भाजन

सुशीला कुमारी

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