साल २००६ का था। मैं नवीं कक्षा में थी और उस समय हमारे घर में टी.वी. तो था परन्तु केबल नहीं हुआ करता था। टी.वी. पर दूरदर्शन के दो चेंनल डी.डी.-१ और डी.डी.-२ आया करते थे।उन दिनों एड्स की जागरूकता के लिए बहुत-सी मशहुरियाँ आया करती थीं। उन्ही में यह समझा था कि गुप्त अंग में खुजली होना , जलन होना या किसी प्रकार का स्राव होना एच.आई.वी. के लक्षण हो सकते हैं। नवीं कक्षा में मेरी सारी सहेलियों को महीना होता था लेकिन मुझे शुरू नहीं हुआ था।
दसवीं कक्षा की शुरुआत में मेरे पेट में अजीब सा खिंचाव रहने लगा और उसके कुछ दिन बाद सफ़ेद पानी आने लगा। उस समय मैं तैराकी सीखा करती थी और अंडर १६ की टीम में शामिल होने के लिए तैयारी कर रही थी। एक दिन तैराकी करके वापस घर पहुँचने पर जब मैं कपड़े बदल रही थी तो लगभग २ चम्मच सफ़ेद पानी अजीब आवाज़ के साथ बाहर आया। उस से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। वह आवाज़ सुनकर मैं बहुत डर गई थी और क्योंकि इतना सारा गाढ़ा सफ़ेद पानी पहले कभी नहीं आया था। इस घटना के बाद कुछ दिनों तक मुझे लगता कि मुझे एड्स हो गई है।
माँ ने ऐसे तो मुझे बताया था कि महीना होता है तो अचानक खून आता है परन्तु सफ़ेद पानी के बारे में नहीं बताया था जिसके कारण टी.वी. से प्राप्त आधी जानकारी से ही मैंने सोच लिया कि यह एड्स है। इस घटना के कुछ ही दिनों बाद मुझे पहली बार माहवारी हुई। उस दिन मैंने माँ से कहा कि मुझे एड्स भी है क्योंकि मुझे ऐसे अजीब सा सफ़ेद पानी आता है और पेट में खिंचाव और दर्द भी रहता है। माँ ज़ोर से हँसी और उन्होंने मुझे बताया कि माहवारी से पहले योनि अपनी सफाई करती है इसलिए वैसा होता है। पेट में ऐंठन होना भी आम बात है। उन्होंने मुझे यह भरोसा भी दिया कि माहवारी के दिनों के बाद यह सब ठीक हो जाएगा और अगर ऐसा न हो तो हम डॉक्टर के पास जाएँगे।
जैसा माँ ने कहा था वैसा ही हुआ,दर्द और सफ़ेद पानी का आना बंद हो गया। कुछ इस प्रकार से मेरा सही मायनों में माहवारी से परिचय हुआ ।