बलात्कार के दोषी को फांसी देने का साहस क्यों नहीं दिखा पा रही है अदालत?
सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के चार दोषियों की फांसी सोमवार को अगले आदेश तक के लिए टाल दी गयी। ज्ञात हो कि चारों दोषियों को मंगलवार को सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी। दूसरी तरफ खबर झारखण्ड से है, जहां लॉ छात्रा से गैंगरेप मामले में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा अदालत ने 100 दिनों के भीतर सुना दी। परन्तु मसला ये है कि रेप जैसे घृणित अपराध में अदालत फांसी की सज़ा सुना कर फांसी दिए जाने का साहस नहीं दिखा पा रही है।
लॉ छात्रा से रेप को लेकर 11 दोषियों को आजीवन कारावास
झारखंड की राजधानी रांची में लॉ छात्रा से हुए गैंगरेप के मामले में 26 फरवरी को जज नवनीत कुमार की कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दिया था। इस मामले में कुल 12 आरोपी थे, जिसमें एक नाबालिग था। नाबालिग आरोपी का मामला जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है। कोर्ट ने 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है। साथ ही 50-50 हज़ार का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने 100 दिन के भीतर इस मामले में सुनवाई पूरी कर सज़ा का ऐलान किया है।
क्या है मामला?
झारखंड की राजधानी रांची में लॉ छात्रा के साथ कांके के संग्रामपुर में दुष्कर्म हुआ था। इसके बाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर इसकी जांच की और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। जेल में टीआई परेड में छात्रा ने सभी आरोपियों की पहचान की थी। अदालत ने स्पीडी ट्रायल कर 90 दिनों के अंदर इस मामले में फैसला सुनाया था। अदालत ने 26 फरवरी को फैसला सुनाते हुए कहा था कि इस कुकर्म के लिए सभी को सामूहिक दुष्कर्म, छात्रा का अपहरण करने, साजिश रचने, मोबाइल चोरी करने, मारपीट करने के आरोप में भी दोषी पाया जाता है।
ठोस सुबूतों की मौजूदगी ने दोषियों को सज़ा तक पहुंचाया
अभियोजन पक्ष ने अभियुक्तों के ऊपर लगे आरोपों के लिए ठोस साक्ष्य प्रस्तुत किया। इसमें डीएनए टेस्ट, फॉरेंसिक टेस्ट, पीड़िता का बयान, पीड़िता के दोस्त का बयान, टीआई परेड में की गई पहचान समेत अन्य दस्तावेज शामिल हैं। सरकार की ओर से लोक अभियोजक अनिल कुमार सिंह ने 21 गवाहों को प्रस्तुत किया था।
लॉ छात्रा से रेप को लेकर कौन हैं वह 11 गुनहगार
झारखण्ड में लॉ छात्रा से रेप को लेकर 11 दोषियों में कुलदीप उरांव, सुनील उरांव, संदीप तिर्की, अजय मुंडा, राजन उरांव, नवीन उरांव, बसंत कच्छप, रवि उरांव, रोहित उरांव, सुनील मुंडा एवं ऋषि उरांव हैं जिन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है।
निर्भया के दोषियों को होने वाली फांसी तीसरी बार टली
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि ऐसे में जब दोषी पवन कुमार गुप्ता की दया याचिका लंबित है, फांसी की सज़ा तामील नहीं की जा सकती। अदालत ने यह आदेश पवन की उस अर्ज़ी पर दिया जिसमें उसने फांसी पर रोक लगाने का अनुरोध किया था क्योंकि उसने राष्ट्रपति के समक्ष सोमवार को एक दया याचिका दायर की थी।
क्या कहा निर्भया के लिए इंसाफ की गुहार लगाती मां ने?
कोर्ट के इस आदेश पर निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि आखिर क्यों अदालत दोषियों को फांसी देने के अपने ही फैसले को पूरा करने में देरी कर रही है। आशा देवी ने आरोप लगाया कि दोषियों की लगातार टल रही फांसी सिस्टम के फेलियर को दिखाती है। हमारा पूरा सिस्टम दोषियों का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि 15 दिन में दोषियों की ओर से कोई याचिका दाखिल नहीं की गई। ये लोग सिस्टम को गुमराह कर रहे हैं।
निर्भया के पिता को विश्वास है कि अगली बार नहीं टलेगी फांसी
वहीं निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने कहा है कि ये सिस्टम है अगर कोई याचिका डाली गई है तो उसे सुनना पड़ेगा। निर्भया के पिता ने विश्वास जताया है कि ये फांसी तीसरी बार टली है लेकिन चौथी बार नहीं टलेगी। बद्रीनाथ सिंह ने अपनी पत्नी और निर्भया की मां आशा देवी को लेकर कहा कि वो एक मां हैं उनके दर्द को कोई नहीं समझ पाया। हम भी नहीं समझ पाते हैं, उनको समझाते रहते है कि घबराने की ज़रूरत नहीं है न्याय जरूर मिलेगा लेकिन मां का दर्द हम पिता हैं फिर भी नहीं समझ पाएंगे।