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इस उपन्यास में कैसे की गई थी कोरोना वायरस जैसी महामारी की भविष्यवाणी

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ने दुनिया के कई देशों में कोहराम मचा रखा है। हालात ये हैं कि दुनियाभर में 1 लाख 16 हज़ार से अधिक कोरोना वायरस के मरीज़ ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।

वहीं, इस घातक बीमारी से अब तक 4291 लोगों की जान जा चुकी है। आज पूरे विश्व के लिए इस वायरस पर लगाम कसने का कोई ठोस उपाय नज़र नहीं आया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतत: कोरोना वायरस को पैनडेमिक यानी महामारी घोषित कर दिया है। ज्ञात हो कि महामारी उस बीमारी को कहा जाता है जो एक ही समय दुनिया के अलग-अलग देशों में लोगों में फैल रही हो।

डब्ल्यूएचओ के अध्यक्ष डॉ. टेडरोज़ आध्यनोम गेब्रेयेसोस ने कहा है कि वह अब कोरोना वायरस के लिए महामारी शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि वायरस को लेकर निष्क्रियता चिंताजनक है।

इससे पहले साल 2009 में स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया जा चुका है। विशेषज्ञों के मुताबिक स्वाइन फ्लू की वजह से कई लाख लोग मारे गए थे।

लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि 1981 में डीन कून्ट्ज द्वारा लिखे गए थ्रिलर उपन्यास “The Eyes of Darkness” में कोरोना वायरस का ज़िक्र है‌। इस उपन्यास में कोरोना को एक जैविक हथियार ‘Wuhan-400’ के रूप में बताया गया है।

सोशल मीडिया पर ट्विटर यूज़र ने क्या लिखा था?

फोटो साभार- सोशल मीडिया

डैरेन प्लायमाउथ नाम के ट्विटर यूज़र ने कोरोना को लेकर विश्व का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया। उन्होंने खुलास करते हुए लिखा, “कल्पना कई बार अजीब हो सकती है।”

ट्‌विटर पर इस किताब के अंश को भी शेयर किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि चीन के एक वैज्ञानिक Li Chen ने ‘Wuhan-400’ नाम के जैविक हथियार को विकसित किया था। इसे एक सटीक जैविक हथियार बताया जा रहा है, क्योंकि यह सिर्फ इंसानों पर ही असर करता है।

कोरोना को लेकर क्या लिखा है उपन्यास द आइज़ ऑफ डार्कनेस में?

1981 में डीन कोन्टोज द्वारा लिखी गई थ्रिलर उपन्यास के रूप में ‘द आइज़ ऑफ डार्कनेस’ किताब काफी लोकप्रिय भी हुई थी। किताब में लेखक ने ‘वुहान-400’ नामक वायरस का उल्लेख किया था।

किताब में वुहान शहर के बाहर एक RDNA Lab (प्रयोगशाला) बनाने का ज़िक्र है। किताब में यह भी ज़िक्र किया गया कि ‘वुहान-400’ नाम का यह जैविक हथियार 400 लोगों के माइक्रोगैनिज़्म को मिलाकर बनाया गया था। अब इन बातों को कोरोना वायरस से जोड़कर देखा जा रहा है।

पुस्तक में 2020 का ज़िक्र है जब निमोनिया जैसी बीमारी फैलती है

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

किताब का एक हिस्‍सा काफी लोकप्रिय हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि 2020 के आसपास एक गंभीर निमोनिया जैसी बीमारी दुनिया भर में फैलेगी, जो फेफड़ों और ब्रोन्कियल नलियों पर सीधा हमला करेगी। हालांकि यह भी कहा गया कि जितनी जल्दी यह बीमारी आएगी, उतनी तेज़ी से ही गायब भी हो जाएगी।

लेखक का यह दावा काफी हद तक कोरोना वायरस से मिलता है। कोरोना वायरस ने भी नए साल में ही लोगों को काफी जल्दी अपनी चपेट में लिया है। किताब में किए गए दावों को देखते हुए यह भी उम्मीद है कि कोरोना वायरस जल्द ही खत्‍म भी हो जाएगा।

हालांकि यह इकलौती किताब नहीं है जिसमें कोरोना वायरस को लेकर यह दावा किया जा रहा है। कोरोना वायरस को लेकर 12 साल पहले भी एक किताब में दावा किया गया था। किताब का नाम ‘एंड ऑफ डेज़: प्रीडिक्शन एंड प्रोफेसीज़ अबाउट द एंड ऑफ द वर्ल्ड’ है जिसमें लेखक सिल्विया ब्राउन ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति का दावा किया है। यह किताब 2008 में पब्लिश हुई थी।

“The Eyes of Darkness” नाम की किताब में कोरोबा वायरस को जैविक हथियार बताया गया है, जो पुस्तक और कोरोना वायरस के बीच समानातएं ज़रूर दर्शाता है लेकिन इस बात के कोई सुबूत नहीं हैंवकि यह सच है। संभवत: यह कोरी कल्पना ही हो लेकिन सोशल मीडिया पर यह चर्चा का विषय बन चुका है। 

पुस्तक में किस जैविक हथियार की बात की गई थी?

इधर कुछ समय से विशेष तौर पर अमेरिका तथा यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के चीन द्वारा निर्मित होने की बात को लेकर विश्वास कायम हो गया था। इसका कारण यह है कि कुछ अखबारों ने ठोस शब्दों में इसको छापा था।

उधर चीन सरकार के आलोचक कई बड़े नेताओं ने भी इस अफवाह को विश्वसनीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इन नेताओं में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व प्रमुख रणनीतिक सलाहकार स्टीव बेनन का नाम उल्लेखनीय है। बीते सोमवार को स्टीव बेनन के बयान के बाद अफवाह को और भी ज़्यादा बल मिला था।

फॉक्स न्यूज़ पर टॉम कॉटन ने क्या दावा किया था?

रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर टॉम कॉटन ने फॉक्स न्यूज़ से बातचीत में दावा किया था कि कोरोना वायरस चीन के वुहान प्रांत स्थित एक हाई सिक्योरिटी लैब में विकसित किया गया था।

हालांकि उन्होंने कहा कि हमारे पास इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि कोरोना वायरस विकसित किया गया है लेकिन आशंका है कि इसे बनाया गया था। क्योंकि चीन ने कोरोना वायरस को लेकर शुरुआत से ही संदेहास्पद रुख दिखाया है।

WHO का क्या मानना है?

कोरोना वायरस को लेकर WHO ने वर्तमान स्थिति को “हेल्‍थ इमरजेंसी” करार दिया है। चीन में पैदा हुआ यह वायरस ईरान और इटली के बाद भारत में भी पसर रहा है। जिससे भारत में आज करीब 29 लोग संक्रमित बताए जा रहे हैं।

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