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“माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर नीति तैयार करने की मांग हम कब करेंगे?”

फोटो साभार- Flickr

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जगत, जीवन एवं जननी, ये इस  दुनिया की रचना के बहुत अहम स्तम्भ हैं। जगत की रचना के लिए जीवन की परिभाषा रची गई और जीवन की संरचना के लिए जननी की शक्ति रची गई।

संसार को रचने वाले रचियता ने तीन स्तम्भ को इस दुनिया को चलाने के लिए अहम माना। इस संसार में  मानव जीवन का चक्र महिला और पुरुष के जैविक प्रकियाओं के तहत होता है जिसकी उत्सर्जन  की परिकल्पना माहवारी के बिना नहीं की जा सकती है।

एक महिला अपने अस्तित्व के साथ साथ एक नए जीवन के अस्तित्व को जन्म देती है। प्रकृति की एक ताकत जिसे माहवारी, जैविक प्रक्रिया कहा गया।

काफी संवेदनशील हो जाता है महिलाओं का जीवन

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

एक महिला को अपने पूरे जीवनकाल में कई बायोलॉजिकल चेंजेज़ से गुज़रना पड़ता है। जैसे- माहवारी, गर्भवती होना और रजोनिवृत्ति (Menopause) आदि। इन वजहों से महिलाओं का जीवन काफी संवेदेनशील होता है।

यह प्रक्रिया जहां एक तरफ महिलाओं का सम्मान, ताकत और उनका गुरुर है, वहीं अपनी इन प्रक्रियाओं से अनभिज्ञ होने के कारण कई किशोर लड़कियां अवसाद एवं कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं।

माहवारी स्वच्छता प्रबंधन को लेकर एक बेहतर नीति तैयार हो इसकी ज़िम्मेदारी सरकार के साथ-साथ हम आम लोगों की भी है। हम यह सुनिश्चित करें कि पीरियड्स फ्रेंडली टॉयलेट्स का निर्माण जगह-जगह पर हो।

यदि ग्रामीण इलाकों में महिलाएं सैनिटरी पैड यूज़ नहीं कर पा रही हैं और राख या कपड़े का प्रयोग करना उनकी मजबूरी है, तो ज़ाहिर तौर पर इन चीज़ों को ठीक करने के लिए हम अपने नीति निर्माताओं से मांग करें। हमें अपनी आवाज इन चीज़ों के लिए बुलंद करनी होगी।

मिशन टीम फिटनेस महिला स्वस्थ पर कार्य करते हुए मानसिक एवं शारीरिक सेहत के साथ-साथ सामाजिक सेहत का निर्माण भी कर रहा है। ताकि हम स्वस्थ रहकर एक मज़बूत भारत का निर्माण कर पाएं।

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