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“कॉलेज से आते वक्त एक अधेड़ आदमी मेरा पीछा कर रहा था”

फोटो साभार- सोशल मीडिया

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आज़ादी के लगभग 73 वर्ष बाद भी कुछ समस्याएं ऐसी हैं जो थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इन्हीं मे से एक है महिलाओं के साथ किए जाने वाले अमानवीय व्यव्हार जो वर्तमान समाज के लिए सिर्फ एक समस्या ही नहीं, बल्कि अभिशाप है।

यद्यपि सरकार कोई भी हो मगर समस्या वैसी की वैसी है। जबकि देश के सबसे बड़े नायक महात्मा गाँधी जी ने कहा था, “सही मयाने में देश आज़ाद उस दिन होगा जब रात के 12 बजे भी घटनाएं सुरक्षित होंगी।” ऐसी स्थिति अब तक तो नहीं आई है कि हम शान से कह पाएं अब हम आज़ाद हैं।

NCRB के अनुसार साल में 4,15,786 रेप के मुक़दमे दर्ज़ किए जाते हैं। इस हिसाब से प्रतिदिन 67 और प्रति घंटे 3 मुकदमें दर्ज़ होते हैं। ये वे आंकड़े हैं जो सिर्फ दर्ज़ किए गए हैं। किन्तु लाखों की संख्या में ऐसी भी घटनाएं हैं जो कहीं दर्ज़ नहीं हैं।

यौन हिंसा को अनदेखा क्यों करती हैं लड़कियां?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

अब परिस्थिति क्या रही हो वह अलग बात है। खैर, ये वे घटनाएं हैं जिन्हें हम रेप की श्रेणी में रखते हैं मगर क्या आपने कभी सोचा है कि प्रतिदिन टैक्सी, बस और ऑफिस जैसी जगहों पर बहुत से ऐसे हादस होते हैं जब महिलाओं को सहज महसूस ना करते हुए भी कई बातों को अनदेखा करना पड़ता है।

ऐसी अनगिनत घटनाएं प्रतिदिन होती हैं जिनका ना कोई अकड़ा है और ना ही कोई हिसाब। ऐसी ही कुछ घटनाओं की साक्षी रही लड़कियों ने Aim to sustain की टीम से अपनी बातें साझा करते हुऐ बताया कि उनके साथ भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।

लड़कियों ने साझा किए अपने अनुभव

फोटो साभार- सोशल मीडिया

सीमा (बदला हुआ ना) ने हमरी टीम से बात करते हुऐ कहा कि जब मैं आज टैक्सी में आ रही थी, तब पास बैठे एक व्यक्ति का हाथ मेरे शरीर को स्पर्श कर रहा था। उस लड़की ने आगे बताया,

कुछ देर तक तो मुझे यह सब साधारण लग रहा था किन्तु कुछ समय पश्चात मैंने महसूस किया कि यह सब साधारण नहीं था। मै अब बहुत असहज महसूस कर रही थी मगर भीड़ ज़्यादा थी तो मैं कहती भी क्या? पास बैठे और लोगों के लिए शायद यह सब सामान्य हो। आखिरकार पास बैठ दूसरे व्यक्ति ने मेरी स्थिति को समझ लिया और उस व्यक्ति को सही बैठने के लिए कहा।

उसने अपनी बात समाप्त ही की थी कि दूसरी लडकी ने बताया, “अक्सर कुछ लोग मूझे घूरते रहते हैं और काभी-कभी कमेंट भी करते हैं। कुछ दिन पहले की बात है जब मैं कॉलेज से घर जा रही थी। धूप ज़्यादा थी इसलिए मैंने अपना चेहरा कपड़े से ढक लिया था। रास्ते में मैंन महसूस किया कि एक आदमी जिसकी उम्र 40 साल होगी, वह बहुत देर से मेरा पीछा कर रहा है और लगातार घूर रहा है।”

यह बात बताते-बताते उस लड़की ने हमसे सवाल किया कि लोग ऐसा क्यों करते हैं क्या उनके घर में महिलाए नहीं हैं या उनकी मानसिकता ही ऐसी हो गई है?

वास्तव में ये सामान्य समस्या नहीं है। ऐसा हो सकता है कि इस संदर्भ में हम सबके मत अलग-अलग हों किन्तु समस्या एक ही है जिसके समाधान के लिए हम सबको हाथ बढ़ाना होगा।

देश के सभी नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह सिर्फ ‘महिला दिवस’ जैसे किसी विशेष दिवस पर ही महिलाओं के लिए सम्मान प्रकट ना करे, बल्कि महिला सम्मान के लिए ऐसी स्थिति में महिलाओं के साथ खड़े हों क्योंकि शायद कल टैक्सी में बैठी असहज मसूस कर रही महिला आप के घर से हो।


लेखक-  पंकज यादव (उपाध्यक्ष, ए.टी.एस. फाउंडेशन)

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